SpiceJet QIP allotment, Board approves issue of 48.7 crore shares at issue price of Rs 61.60 per share | स्पाइसजेट-बोर्ड ने 48.7 करोड़ शेयर जारी करने की मंजूरी दी: ₹61.60 प्रति शेयर होगा इश्यू प्राइस, पेड-अप इक्विटी शेयर कैपिटल बढ़कर ₹1,281 करोड़ हुई


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मुंबई31 मिनट पहले

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स्पाइसजेट का 16 सितंबर को ओपन हुआ 3,000 करोड़ रुपए का QIP 20 सितंबर को क्लोज हो गया है। कंपनी ने एक्सचेंज फाइलिंग में बताया है कि उसने क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स को 61.60 रुपए प्रति शेयर के इश्यू प्राइस पर 48.7 करोड़ (48,70,12,986) शेयरों का एलोकेशन मंजूर किया है। QIP के लिए फ्लोर प्राइस 64.79 रुपए प्रति शेयर रखा गया था।

अब कंपनी की पेड अप इक्विटी शेयर कैपिटल बढ़कर 1,281 करोड़ (12,81,68,57,030) रुपए हो गई है, जो पहले 794 करोड़ (7,94,67,27,170) रुपए थी। क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स से QIP के जरिए हासिल पैसों का इस्तेमाल कंपनी लेनदारों, पट्टेदारों, वेंडर्स और फाइनेंसर्स का बकाया सेटल करने के लिए करेगी।

स्पाइसजेट के ऊपर 15 सितंबर तक बकाया 601.5 करोड़ रुपए था

स्पाइसजेट के ऊपर 15 सितंबर तक बकाया 601.5 करोड़ रुपए था। कुल राशि में से 297.5 करोड़ रुपए TDS से संबंधित है, 156.4 करोड़ रुपए कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड और 145.1 करोड़ रुपए GST से जुड़े हैं।

20 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा

20 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा। जिसमें स्पाइसजेट को 3 एयरक्राफ्ट इंजन का इस्तेमाल बंद करने का निर्देश दिया गया था। इंजन लीज पर देने वालों यानि लेसर्स को स्पाइसजेट की ओर से भुगतान में चूक के कारण यह निर्देश दिया गया था।

20 सितंबर को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने दिल्ली हाई कोर्ट के 11 सितंबर के फैसले के खिलाफ स्पाइसजेट की अपील खारिज कर दी। बेंच ने कहा, ‘हम दखलंदाजी नहीं करेंगे। यह एक सही आदेश है।’

दिल्ली हाई कोर्ट ने 3 एयरक्राफ्ट इंजन का इस्तेमाल बंद करने का आदेश दिया था

पहले दिल्ली हाई कोर्ट की सिंगल जज बेंच ने 14 अगस्त को स्पाइसजेट को 3 एयरक्राफ्ट इंजन का इस्तेमाल 16 अगस्त तक बंद करने और उन्हें लेसर्स- टीम फ्रांस 01 एसएएस और सनबर्ड फ्रांस 02 एसएएस को सौंपने का आदेश दिया था।

उसके बाद स्पाइसजेट ने इस आदेश को चुनौती दी और दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस अमित बंसल की डिवीजन बेंच ने सिंगल जज बेंच के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी दखलंदाजी करने से इनकार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है।



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