Scientists developed indoor solar cells can generate energy from candle bulb light too

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वैज्ञानिक काफी समय से कोशिशों में जुटे हैं कि आर्टिफ‍िशियल लाइट को कैसे इस्‍तेमाल किया जाए। आर्टिफ‍िशियल यानी कृत्रिम लाइट उस रोशनी को कहा जाता है, जो मोमबत्ती जलाने, घर में आने वाली बिजली या फ‍िर आग से निकलती है। भविष्‍य में इस रोशनी से सोलर सेल को चार्ज करने की उम्‍मीद जग गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, लिथुआनिया की काउनास यूनिवर्सिर्टी के कुछ रिसर्चर्स ने 37 फीसदी चार्जिंग एफ‍िशिएंसी वाले इनडोर सोलर सेल (indoor solar cell) विकसित किए हैं। 
रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने सौर ऊर्जा से बिजली बनाने का तरीका तो बहुत पहले खोज लिया था और दुनियाभर में यह इस्‍तेमाल भी हो रहा है, लेकिन आर्टिफ‍िशियल लाइट को एनर्जी में बदलना एक चुनौती थी। रिसर्चर्स ने अब नए तरह के पेरोवस्काइट सौर सेल (perovskite solar cell) डेवलप किए हैं। इनमें आर्टिफ‍िशियल लाइट से बिजली खींचने की क्षमता है। 

रिपोर्ट के अनुसार, नए सोलर सेलों को बनाने में एक ऑर्गनिक सेमीकंडक्‍टर का इस्‍तेमाल हुआ है। वैज्ञानिकों ने इससे जुड़ा एक प्रयोग भी किया। उन्‍होंने एक सफेद एलईडी की रोशनी से सोलर सेलों को चार्ज करने में कामयाबी पाई। खास बात है कि जो इंडोर सोलर सेल डेवलप किए हैं, वो सूर्य की रोशनी के मुकाबले आर्टिफ‍िशियल लाइट से बेहतर बिजली बना पाते हैं।  

इस तकनीक का कर्मशल इस्‍तेमाल कब तक मुमकिन होगा, इस बारे में जानकारी नहीं है। हालांकि इस बात की उम्‍मीद है कि यह तरीका एक दिन कारगर बनेगा। इस तरह के सोलर सेल से बनने वाली एनर्जी लोगों की जरूरत को कितना पूरा कर पाएगी, यह भी एक सवाल है। 
 

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