science and technology will be at the forefront in the year 2025


हाल ही में अमेरिकी आईटी फर्म गार्टनर ने 2025 के लिए टॉप टेक्नोलॉजी ट्रेंड की सूची जारी की है। इस लिस्ट में एजेंटिक एआई से लेकर न्यूरोलॉजिकल इनोवेशन तक को शामिल किया गया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नए साल में किस तरह से यह उभरती टेक्नोलॉजी हमारे एक्सपीरियंस को पूरी तरह बदलने जा रही है। ये टॉप इनोवेशन क्या हैं और वैश्विक आईटी इंडस्ट्री के वर्तमान और भविष्य को किस तरह बदलने की क्षमता रखते हैं, चलिए आपको बताते हैं।

न्यू अवतार देखने को मिलेंगे

साल 2025 में एआई नए अवतार के साथ आने वाला है। एआई का नया अवतार एजेंटिक एआई है। दरअसल, यह एक क्वेरी एंड रिस्पॉन्स सिस्टम पर काम करने वाली मशीनी एजेंट है। इसके जरिए काम करने के लिए इंसानी हस्तक्षेप की जरुरत नहीं होगी।  अनुमान लगाया जा रहा है कि 2028 तक इन्सानों किए जाने वाले रोजमर्रा के कम से कम 15 प्रतिशत काम पर एजेंटिक एआई स्वायत्त रूप से करने लगेगा। 

पोस्टक्वांटम क्रिप्टोग्राफी

 इसके अलावा आपको, इस साल नई तकनीकी बदलाव में पोस्टक्वांटम क्रिप्टोग्राफी देखने को मिलेगी।  क्वांटम कंप्यूटिंग के विकसित होने के साथ ही टेक इंडस्ट्री में अभी के समय ‘एंक्रिप्शन मेथड’ के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है। क्वांटम कंप्यूटर वर्तमान एंक्रिप्शन सिस्टम को आसानी से ब्रेक कर सकते हैं। इसके चलते टेक कंपनियों ने ‘पोस्टक्वांटम क्रिप्टोग्रापी’ (पीक्यूसी) से निबटने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। एचपी पहली कंपनी है, जिसने अपने ऑन-बोर्ड फर्मवेयर को पीक्यूसी सुरक्षित करेगी। इसके साथ ही गूगल, आईबीएम, माइक्रोसॉफ्ट भी क्वांटम-प्रतिरोधी एल्गोरिदम विकसित कर रहे हैं। यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी अपने नए पीक्यूसी मानकों की घोषणा कर चुका है।

एआई गर्वनेंस प्लेटफॉर्म

रोजमर्रा की जिंदगी में एआई के बढ़ते प्रयोग के साथ ही इसके संचालन की भी जरूरत महसूस हुई। इसमें कानूनी चुनौतियां अहम है। एआई गर्वनेंस प्लेटफॉर्म 2025 में काफी अहम रहने वाले हैं। इन प्लेटफॉर्म से ही एआई के उपयोग के लिए नीतियां बनाने और प्रबंधित करने में मदद मिलेगी। इस तरह का प्लेटफॉर्म विकसित करने वाले संस्थानों में एआई के चलते आने वाली चुनौतियां दूसरे संस्थानों की तुलना में 2028 तक 40 प्रतिशत कम हो जाएंगी।

भ्रामक सूचना से सुरक्षा

भ्रामक सूचनाएं आज के समय में एक बड़ी चुनौती बन गई है, इसलिए भ्रामक सूचनाओं से सुरक्षा टेक्नोलॉजी के टॉप ट्रेंड में रहने वाला है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग कारगार साबित होंगे। मेटा ने एआई जनरेटेड कंटेंट के बारे में जानकारी देना अनिवार्य कर दिया है। गूगल और माइक्रोसॉफ्ट इसकी पहचान के लिए एडवांस एल्गोरिदम विकसित कर रहे हैं। 2028 तक इस तरह की सेवाएं लेने वाली कंपनियों की संख्या 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।

स्पेटियल कंप्यूटिंग

स्पेटियल कंप्यूटिंग एआर, वीआर की मिक्स्ड रिटलिटी की मदद से फिजिकल और डिजिटल दुनिया के बीच के अंतर को कम करती है। डिवाइस चलाने के लिए की-बोर्ड, माउस की जरूरत नहीं रहती। अगले पांच से सात वर्षों में यह तकनीक व्यापक हो जाएगी। इस वर्ष भी इस क्षेत्र में कई अहम इनोवेशन सामने आएंगे।



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