सुप्रीम कोर्ट ने BCCI के साथ सेटलमेंट पर Byju’s को घेरा, NCLAT के फैसले पर भी उठाए सवाल – sc asks byjus why settle rs 158 cr with bcci but leave rs 15000 cr unpaid to others



सुप्रीम कोर्ट ने 25 सितंबर को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) के उस फैसले को लेकर चिंता जताई, जिसमें एडुटेक फर्म बायजूज (Byju’s) के खिलाफ इंसॉल्वेंसी की कार्यवाही बंद करने का निर्देश दिया गया है। सर्वोच्च अदालत का कहना था कि ट्राइब्यूनल के आदेश में विश्लेषण का अभाव है। अदालत ने संकेत दिए कि यह मामला फिर से विचार के लिए NCLAT के पास भेजा जा सकता है।

चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की बेंच ने मामले पर NCLAT के रवैये को संदेह जताया। चीफ जस्टिस ने कहा, ‘NCLAT के आदेश की वजह सिर्फ एक पैराग्राफ है। इसमें दिमाग का इस्तेमाल बिल्कुल नजर नहीं आता है। ट्राइब्यूनल को फिर से अपना दिमाग लगाना चाहिए और इसे नए सिरे से देखना चाहिए।’ सर्वोच्च अदालत ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को 158 करोड़ रुपये का भुगतान करने और अन्य क्रेडिटर्स को 15,000 करोड़ रुपये का बकाया पर पहल नहीं करने के बायजूज के फैसले पर आपत्ति जताई।

चीफ जस्टिस ने बायजूज के प्रतिनिधियों से सीधे तौर पर पूछा, ‘ आज आपके पास 15,000 करोड़ रुपये का बकाया है। आपने सिर्फ BCCI को क्यों चुना और इसका ही निपटारा क्यों किया?’ BCCI की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) के फैसले को नहीं पलटने का अनुरोध किया।

मेहता की दलीलों के बावजूद अदालत का कहना था कि BCCI का क्लेम बायजूज की कुल फाइनेंशियल जिम्मेदारियों का एक छोटा सा हिस्सा है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘BCCI के पास 158 करोड़ रुपये की छोटी सी बकाया रकम है….बाकी का क्या होगा? उन्हें तमाम मुश्किलों से गुजरना होगा।’ बायजूज की अमेरिकी फाइनेंशियल क्रेडिटर ग्लास ट्रस्ट कंपनी LLC ने NCLAT के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें बायजूज की पेरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड (Think & Learn Pvt Ltd) के खिलाफ इंसॉल्वेंसी की कार्यवाही पर रोक लगा दी गई थी।

नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) ने BCCI की तरफ से दायर याचिका पर जून में इंसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस शुरू किया था। बायजूज द्वारा BCCI के साथ सेटलमेंट के बाद NCLAT की कार्यवाही बंद कर दी थी।



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