सरिस्का टाइगर रिज़र्व
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि संरक्षित क्षेत्रों में न केवल राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं, बल्कि महत्त्वपूर्ण बाघ आवास, अर्थात बाघ अभयारण्य भी शामिल हैं।
सरिस्का बाघ अभयारण्य:
- परिचय:
- सरिस्का बाघ अभयारण्य अरावली पर्वतमाला में स्थित है जो राजस्थान के अलवर ज़िले का एक हिस्सा है।
- सरिस्का को वर्ष 1955 में एक वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था और बाद में वर्ष 1978 में इसे बाघ अभयारण्य घोषित किया गया, जिसके बाद से यह भारत के प्रोजेक्ट टाइगर का हिस्सा बन गया।
- इस अभयारण्य में खंडहर हो चुके मंदिर, किले, छत्र और एक महल स्थित आदि हैं।
- कंकरवाड़ी किला अभयारण्य के केंद्र में स्थित है और कहा जाता है कि मुगल सम्राट औरंगज़ेब ने सिंहासन के उत्तराधिकार के संघर्ष में अपने भाई दारा शिकोह को इस किले में कैद कर लिया था।
- इस अभयारण्य में पांडुपोल में पांडवों से संबंधित भगवान हनुमान का एक प्रसिद्ध मंदिर भी है।
- पादप तथा जंतु:
- इसके तहत चट्टानी स्थलाकृति के साथ अर्द्ध शुष्क काँटेदार वन, घास के मैदान, चट्टानें एवं अर्ध-पर्णपाती वन शामिल हैं।
- इसमें ढोक वृक्ष, सालार, कदया, गोल, बेर, बरगद, बाँस, कैर आदि प्रमुख हैं।
- यहाँ पर रॉयल बंगाल टाइगर, तेंदुए, साँभर, चीतल, नीलगाय, चार सींग वाले मृग, जंगली सुअर, लकड़बग्घे एवं जंगली बिल्लियों जैसे विभिन्न जीव-जंतु भी पाए जाते हैं।
राजस्थान के अन्य संरक्षित क्षेत्र कौन-से हैं?
पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र ( Eco-Sensitive Zones-ESZ) क्या हैं?
- परिचय: राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (2002-2016) ने निर्धारित किया कि राज्य सरकारों को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों की सीमाओं के 10 किमी के भीतर आने वाली भूमि को पर्यावरण-नाज़ुक क्षेत्र या पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) के रूप में घोषित करना चाहिये।
- ESZ के आसपास गतिविधियाँ:
- निषिद्ध गतिविधियाँ: वाणिज्यिक खनन, आरा मिलें, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग, प्रमुख जलविद्युत परियोजनाएँ (HEP), लकड़ी का व्यावसायिक उपयोग।
- विनियमित गतिविधियाँ: वृक्षों की कटाई, रिसॉर्ट्स की स्थापना, प्राकृतिक जल का व्यावसायिक उपयोग, बिजली के तारों का निर्माण, कृषि प्रणाली में भारी बदलाव, सड़कों का चौड़ीकरण।
- अनुमत गतिविधियाँ: कृषि या बागवानी पद्धतियाँ, वर्षा जल संचयन, जैविक खेती, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग।
- ईएसजेड का महत्त्व:
- ESZ संरक्षित क्षेत्रों के आसपास बफर ज़ोन के रूप में कार्य करते हैं। वे विकास और मानवीय हस्तक्षेप के नकारात्मक प्रभावों को कम करते हुए, इन मुख्य क्षेत्रों के आसपास गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं।
- ESZ इन-सीटू संरक्षण में मदद करते हैं। उदाहरण, असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के एक सींग वाले गैंडे का संरक्षण।
- ESZ वन्यजीव गलियारों को बनाए रखने और मानव-पशु संघर्ष की घटनाओं को कम करने में सहायता करते हैं, जहाँ जंगली पशु भोजन और पानी की तलाश में मानव बस्तियों में प्रवेश करते हैं।
- कई ESZ में आर्द्रभूमि, मैंग्रोव और भित्तियों जैसे नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र शामिल हैं जो जैव विविधता को बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। इन क्षेत्रों के आसपास गतिविधियों को विनियमित करके, ESZ उनके स्वास्थ्य और पारिस्थितिक कार्यों को संरक्षित करने में सहायता करते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स:
प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2014)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?
(a) केवल 1
उत्तर: (c)
प्रश्न. निम्नलिखित राज्यों में से किस एक में पाखुई वन्यजीव अभयारण्य अवस्थित है? (2018)
(a) अरुणाचल प्रदेश
उत्तर: (a)
मेन्स
प्रश्न. “भारत में आधुनिक कानून की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पर्यावरणीय समस्याओं का संविधानीकरण है।” सुसंगत वाद विधियों की सहायता से इस कथन की विवेचना कीजिये। (2022)
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