सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों और परियोजनाओं के लिए कर्ज देने वाली फर्मों के शेयर सोमवार को उस समय टूट गए जब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने परियोजनाओं को वित्त मुहैया कराने वाले नियमों में सख्ती का प्रस्ताव रखा।
इसके तहत लेनदारों को निर्माणाधीन परियोजनाओं को कर्ज देने के लिए ज्यादा पूंजी अलग रखनी होगी। पावर फाइनैंस कॉरपोरेशन (PFC) और आरईसी का शेयर क्रम से 9 फीसदी और 7.5 फीसदी टूट गया।
इस बीच, निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स में 3.7 फीसदी की गिरावट आई जबकि पीएनबी का शेयर 6.4 फीसदी नीचे आ गया। केनरा बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के शेयर भी नुकसान में रहे। भारतीय स्टेट बैंक के शेयर में करीब 3 फीसदी की गिरावट आई। आरबीआई ने शुक्रवार को परियोजनाओं को धन मुहैया कराने के बारे में मसौदा जारी किया था ताकि उनकी बैलेंस शीट को मजबूत बनाया जा सके।
प्रस्तावित नियमों के तहत लेनदारों को निर्माणाधीन परियोजनाओं को दिए गए बकाया कर्ज पर 5 फीसदी तक का प्रावधान करना होगा। जब वह परिसंपत्ति परिचालन में आ जाएगी तो इसे घटाकर 2.5 फीसदी कर दिया जाएगा। इसे और घटाकर एक फीसदी कर दिया जाएगा जब 20 फीसदी कर्ज वापस आ जाएगा और मौजूदा देनदारी चुकाने के लिए परियोजना के पास पर्याप्त नकदी की आवक होगी।
यह परिपत्र न सिर्फ परियोजना के वित्त पोषण को कवर करता है बल्कि सभी लेनदारों के लिए वाणिज्यिक रियल एस्टेट वित्त पोषण भी इसके दायरे में होंगे। ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि दिशानिर्देश तत्काल लागू होंगे और मौजूदा बकाया कर्ज भी इनके दायरे में आएगा।
विश्लेषकों ने कहा कि नए नियम के तहत लेनदारों को मौजूदा प्रावधानों के मुकाबले कई गुना प्रावधान करने होंगे। परिणामस्वरूप अगर ये नियम लागू हुए तो उनके लाभ पर चोट पड़ेगी और पूंजीगत खर्च की वृद्धि पर भी असर पड़ सकता है क्योंकि लेनदार अब उधार देने में ज्यादा हिचकिचाएंगे।
मैक्वेरी के विश्लेषकों सुरेश गणपति और पुनीत बहलानी ने एक नोट में कहा कि वित्तीय कंपनियों के नजरिये से हमें लगता है कि इसके दो असर होंगे – प्रावधानों की अनिवार्यता बढ़ने से लेनदारों के लाभ पर असर आएगा और ये कंपनियां परियोजनाओं के वित्त पोषण को सीमित कर सकती हैं। साथ ही चुनिंदा परियोजनाओं को कर्ज देंगी, ब्याज की दरें बढ़ाएंगी और पूंजीगत खर्च के चक्र में हो रहे सुधार को रोक देंगी।
कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों ने कहा कि परिसंपत्ति या कर्ज के सृजन पर प्रावधान एक तरह से मानक परिसंपत्ति प्रावधानों का विस्तार लगता है। थोड़े समय के लिए इक्विटी पर रिटर्न प्रभावित होगा जिसकी भरपाई ज्यादा मूल्यांकन के गुणक से की जाएगी। कुल मिलाकर हमें और प्रावधानों के लिए तैयार रहने की जरूरत होगी।
विश्लेषकों ने कहा कि इस असर को कुछ हद तक कम किया जा सकेगा क्योंकि लेनदारों को 5 फीसदी तक का प्रावधान चरणबद्ध तरीके से करना होगा यानी 2 फीसदी वित्त वर्ष 2025 में, 3.5 फीसदी वित्त वर्ष 2026 में और 5 फीसदी वित्त वर्ष 2027 में। मैक्वेरी के नोट में कहा गया है कि मौजूदा मानक परिसंपत्ति प्रावधान सभी श्रेणियों की मानक परियोजनाओं के कर्ज पर 40 आधार अंक है।
First Published – May 6, 2024 | 9:42 PM IST