Ratan was left alone during the strike in the factory | फैक्ट्री में हड़ताल के वक्त अकेले हो गए थे रतन: माता-पिता अलग हुए तो स्कूल में किया शर्मिंदा, रिलीज हुई बायोग्राफी ‘रतन टाटा: ए लाइफ’


नई दिल्ली35 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
भारत के सबसे पुराने कारोबारी समूह के मुखिया रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर 2024 को हो गया था। - Dainik Bhaskar

भारत के सबसे पुराने कारोबारी समूह के मुखिया रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर 2024 को हो गया था।

2008 की बात है। पश्चिम बंगाल में टाटा की नैनो फैक्ट्री को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा था। आखिरकर फैक्ट्री को सिंगुर से गुजरात के साणंद में रीलोकेट करना पड़ा। ये टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा के लिए चैलेंजिंग सिचवेशन थी।

लेकिन रतन टाटा के धैर्य, शक्ति, साहस और दूरदर्शिता की असस परीक्षा हुई थी साल 1988 में। वर्कर्स ने तब हिंसक हड़ताल कर दी थी। टाटा मोटर्स के चेयरमैन रतन टाटा के लिए ये उनके जीवन के लोनलियस्ट टाइम में से एक था।

रतन टाटा की बायोग्राफी ‘रतन टाटा: ए लाइफ’ हाल ही में रिलीज हुई है, जिसमें लेखक पूर्व आईएएस अफसर थॉमस मैथ्यू ने एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में इन बातों का जिक्र किया। हार्पर कॉलिन्स इंडिया ने इस बुक को पब्लिश किया है।

रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर 2024 को हुआ था, जिसके बाद उनकी बायोग्राफी रिलीज हुई है।

सबसे अच्छे दिखने वाले उद्योगपतियों में से एक थे टाटा

मैथ्यू ने कहा- वह टाटा से पहली बार 1994-1995 में मिले थे। उन्होंने 1991 में टाटा संस के चेयरमैन का पद संभाला था। जैसा कि आप जानते हैं, रतन टाटा शायद सबसे अच्छे दिखने वाले उद्योगपतियों में से एक थे… छह फीट से अधिक लंबे, भूरी आंखों वाले।

मुझे याद है, 1995 में एक सोमवार को, वह मेरे ऑफिस में आए – मैं उस समय उद्योग मंत्री का निजी सचिव था… जब वह अंदर आए, तो ऐसा लगा मानो कोई ग्रीक गॉड कमरे में प्रवेश कर रहा हो। लेकिन जिस बात ने मुझे प्रभावित किया वह थी उनकी विनम्रता। हम तब से संपर्क में बने रहे।

मैथ्यू बोले- टाटा का “बचपन बहुत अच्छा नहीं था”

मैथ्यू ने कहा कि ये बायोग्राफी, “एक साधारण व्यक्ति की जटिलताओं को उजागर करने” का एक प्रयास है। पूर्व आईएएस अधिकारी ने कहा कि टाटा का “बचपन बहुत अच्छा नहीं था” लेकिन उनके शुरुआती जीवन में सबसे मजबूत ताकत उनकी दादी लेडी नवाजबाई टाटा थीं।

माता-पिता अलग हुए तो स्कूल में किया गया शर्मिंदा

बचपन में रतन टाटा के माता-पिता अलग हो गए थे जिससे उन्हें बहुत पीड़ा हुई। न केवल स्कूल में उन्हें शर्मिंदा किया गया, बल्कि उन्हें सामाजिक रूप से बहिष्कृत भी किया गया। लेकिन, एक दृढ़ निश्चयी व्यक्ति और अपनी दादी के संरक्षण के साथ, उन्होंने चुनौती का अच्छे से सामना किया।

आसमान में इंजन बंद कर को-पैसेंजर्स को डराते थे टाटा

टाटा ने न्यूयॉर्क में रिवरडेल नामक स्कूल में पढ़ाई की। अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की स्टडी की। मैथ्यू बताते हैं कि उनकी फ्लाइंग से जुड़े कई कहानियां फेमस है। वह आसमान में इंजन बंद कर अपने को-पैसेंजर्स को डराते थे।

कुत्तों से बहुत प्यार करते थे रतन टाटा

मैथ्यू ने कहा कि जब रतन टाटा 12 साल के थे, तब उन्हें एक फॉक्स टेरियर मिला था और वह उससे बहुत प्यार करते थे, लेकिन उनकी दादी को वह कुत्ता कभी पसंद नहीं था। लेकिन जब टाटा अपनी स्कूली शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए, तो उनकी दादी की कुत्तों के प्रति रुचि विकसित हो गई।

9 अक्टूबर 2024 को रतन टाटा का निधन हुआ था

भारत के सबसे पुराने कारोबारी समूह के मुखिया रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर 2024 को हो गया था। वे टाटा संस के मानद चेयरमैन थे। उन्होंने 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली। 1962 में उन्होंने फैमिली बिजनेस जॉइन किया था।

खबरें और भी हैं…



Source link

Exit mobile version