Punjab Pearl Group Owner Nirmal Singh Bhangu Death Update | पंजाब के 45 हजार करोड़ घोटाले के मास्टरमाइंड की मौत: साइकिल पर दूध बेचता था भंगू, चिटफंड से साढ़े 5 करोड़ लोगों को ठगा – Amritsar News


पर्ल ग्रुप के मालिक निर्मल सिंह भंगू (केसरी पगड़ी में) को 2016 में CBI ने गिरफ्तार किया था।

पंजाब के रहने वाले पर्ल ग्रुप के मालिक व 45 हजार करोड़ घोटाले के मास्टरमाइंड निर्मल सिंह भंगू की रविवार रात दिल्ली में मौत हो गई। उसे जनवरी 2016 में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद से वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद

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भंगू पर आरोप था कि उसने पोंजी स्कीम्स से करोड़ों का साम्राज्य इकट्ठा किया। भंगू ने 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को ऐसी स्कीम्स में फंसा कर हजारों करोड़ रुपए इकट्ठा किए और उसे विदेश में इन्वेस्ट कर दिया। जांच शुरू हुई तो जनवरी 2016 को CBI ने निर्मल सिंह को पकड़ लिया। इसके बाद जांच एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने भी की।

पर्ल्स ग्रुप का मालिक निर्मल सिंह भंगू पंजाब के बरनाला जिले का रहने वाला था। बताया जाता है कि वह जवानी के दिनों में अपने भाई के साथ साइकिल से दूध बेचता था। इसी दौरान उसने पॉलिटिकल साइंस में पोस्‍ट ग्रेजुएशन भी की।

1980 में खोली खुद की कंपनी

70 के दशक में भंगू नौकरी की तलाश में कोलकाता चला गया। जहां उसने एक फेमस इन्वेस्टमेंट कंपनी पियरलेस में कुछ साल काम किया। उसके बाद इन्वेस्टर्स से करोड़ों की ठगी करने वाली हरियाणा की कंपनी गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड में काम करने लगा। इस कंपनी के बंद होने के बाद वह बेरोजगार हो गया।

इसी कंपनी के काम करने के आइडिया के तहत उसने 1980 में पर्ल्‍स गोल्‍डन फॉरेस्‍ट (पीजीएफ) नाम की कंपनी बनाई। यह कंपनी भी गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड की तर्ज पर लोगों से सागौन जैसे पेड़ों के प्लांटेशन पर इन्वेस्टमेंट करा कुछ वक्त बाद अच्छा मुनाफा लौटाने का वादा करती थी। 1996 तक कंपनी ने करोड़ों रुपए जुटा लिए। इनकम टैक्स और दूसरी जांच के चलते कंपनी को बंद कर दिया गया।

विदेश में बनाया अपना साम्राज्य

इसके बाद उसने पंजाब के बरनाला से एक नई कंपनी पर्ल्स एग्रोटेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PACL) की शुरुआत की। ये एक चेन सिस्टम स्कीम्स थी। कंपनी के दिए बड़े मुनाफे के दावों और वादों के लालच में करीब पांच करोड़ से ज्यादा लोगों ने इसमें पैसा लगा दिया।

इसके तहत लोगों से हर महीने मामूली रकम जमा करवाई जाती थी। लोगों से जुटाई गई छोटी-छोटी रकम से उसने देश ही नहीं विदेश में पर्ल्स ग्रुप का एम्पायर खड़ा कर लिया। करोड़ों रुपए को भंगू ने अलग-अलग तरह के कई कारोबार में इन्वेस्ट किया।

जब वादे के मुताबिक इन्वेस्टर्स को उनका लगाया पैसा नहीं लौटाया गया तो कंपनी के खिलाफ लोगों शिकायत दर्ज करानी शुरू कर दी। इसके बाद मामला CBI के पास पहुंचा।

पुलिस कस्टडी में निर्मल सिंह भंगू की फाइल फोटो।

CBI की जांच में क्या…
CBI की जांच के अनुसार लोगों से ठगी करने वाली कंपनियों की पहचान पर्ल्स इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड, एआरएसएस इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड और जैन इंफ्रा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के रूप में की गई।
उच्च रिटर्न के झूठे वादे पर लोगों को निवेश करने के लिए मनाने के लिए निर्मल भंगू की कंपनियों द्वारा योजनाएं शुरू की गईं थी। विभिन्न राज्यों के 5.50 करोड़ निवेशकों से जुटाई गई धनराशि का दुरुपयोग किया गया।

निवेशकों को झूठे भूमि आवंटन पत्र दिए गए। दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में और उसके आसपास के अधिकांश लैंड या तो अस्तित्व में नहीं थी, वह सरकारी प्रॉपर्टी थी या उनके असल मालिकों की तरफ से बेची ही नहीं गई थी।

23 लाख से अधिक कमीशन एजेंटों को शामिल किया था और उनमें से 1700 से अधिक सीनियर लैवल के फील्ड ऑफिसर थे। इन्हें निवेशकों को लाने के लिए लाखों रुपए का मासिक कमीशन का भुगतान किया गया।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश पर आरोपियों ने बाद में एक योजना बंद कर दी, लेकिन पिछले निवेशकों को भुगतान करने के लिए इस्तेमाल की गई धनराशि इकट्ठा करने के लिए एक अलग कंपनी के नाम पर एक और योजना शुरू की। शेल संस्थाओं का उपयोग करके एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी डायवर्ट किया गया और ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों में लगभग 132.99 मिलियन आस्ट्रेलियन डॉलर का निवेश किया गया।

सीएम मान ने प्रॉपर्टी सीज करवानी शुरू की

मई 2023 में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पर्ल ग्रुप की प्रॉपर्टी को सीज कर इन्वेस्टर्स के पैसे लौटाने का वादा किया था। जिसके बाद पंजाब सरकार ने प्रॉपर्टी को सीज करने की कानूनी प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी।

पिछले साल पत्नी हुई थी गिरफ्तार
पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने सितंबर 2023 में निर्मल सिंह भंगू की पत्नी प्रेम कौर को भी गिरफ्तार किया था। प्रेम कौर को इस मामले में पर्ल ग्रुप की संपत्तियों को अलग करने और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन का आरोप था। प्रेम कौर ने संपत्तियों को बेचने के लिए एक करीबी रिश्तेदार को ट्रांसफर करने के लिए नामांकित किया गया था।



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