परिप्रेक्ष्य: रूस में प्रधानमंत्री मोदी


परिप्रेक्ष्य: रूस में प्रधानमंत्री मोदी




प्रिलिम्स के लिये:

चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर, उत्तरी समुद्री मार्ग, कोकिंग कोयला, एन्थ्रेसाइट कोयला, आर्कटिक क्षेत्र, परमाणु ऊर्जा संयंत्र, ISRO, मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, संयुक्त राष्ट्र, आर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपॉसल, यूरेशियन आर्थिक संघ, फार्मास्युटिकल क्षेत्र, व्यापार घाटा, ब्रिक्स, G20, शंघाई सहयोग संगठन, कज़ाखिस्तान, यूक्रेन, मानवाधिकार, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC), इंडो-पैसिफिक, क्वाड, दक्षिण चीन सागर, सलामी स्लाइसिंग नीति

मेन्स के लिये:

नई भू-राजनीतिक चुनौतियों के मद्देनज़र भारत-रूस संबंधों का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने रूस के राष्ट्रपति के साथ 22वीं भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक के लिये रूस की यात्रा की। यह यात्रा विश्व के शेष भागों तक अपनी पहुँच स्थापित करने के क्रम में भारत के अंतर्निहित बहुध्रुवीय दृष्टिकोण की परिचायक है।

22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन की मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • राजनीतिक संबंध: दोनों पक्षों ने इस बात पर बल दिया कि जटिल और चुनौतीपूर्ण भू-राजनीतिक स्थिति के बावजूद भारत-रूस संबंध मज़बूत बने हुए हैं। इन देशों ने एक संतुलित, पारस्परिक रूप से लाभकारी, धारणीय और दीर्घकालिक साझेदारी बनाने को महत्त्व दिया है।
  • व्यापार और आर्थिक भागीदारी: इन देशों के नेताओं ने वर्ष 2030 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य निर्धारित करके द्विपक्षीय व्यापार वृद्धि को बढ़ावा देने तथा इसे बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार के लिये राष्ट्रीय मुद्राओं के प्रयोग को बढ़ावा देने का भी निर्णय लिया है।
  • परिवहन और संपर्क: उन्होंने चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर और उत्तरी समुद्री मार्ग जैसी परियोजनाओं को भी तीव्रता से पूरा करने पर सहमति व्यक्त की है।
  • ऊर्जा भागीदारी: ऊर्जा क्षेत्र, विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ के रूप में उभरा है। रूस ने कोकिंग कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के साथ भारत को एन्थ्रेसाइट कोयले का निर्यात करने की संभावनाओं पर विचार करने हेतु सहमति व्यक्त की है।
  • रूस के सुदूर पूर्व और आर्कटिक में सहयोग: दोनों देशों ने वर्ष 2024 से 2029 तक रूस के सुदूर पूर्व में व्यापार एवं आर्थिक निवेश में भारत-रूस सहयोग के साथ-साथ रूस के आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग हेतु एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • असैन्य परमाणु सहयोग: दोनों देशों ने कुडनकुलम में शेष परमाणु ऊर्जा संयंत्र इकाइयों की निर्माण प्रगति को महत्त्व देते हुए इसके समय पर कार्य संपादन हेतु सहमति जताई है।
  • अंतरिक्ष: दोनों पक्षों ने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रमों, उपग्रह नेविगेशन और ग्रहों की खोज सहित शांतिपूर्ण अंतरिक्ष अन्वेषण के लिये भारत के ISRO और रूस के Roscosmos के बीच साझेदारी को सुदृढ़ करने पर बल दिया है।
  • सैन्य एवं तकनीकी सहयोग: दोनों पक्षों ने भारत में रक्षा उपकरणों के संयुक्त विनिर्माण को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तथा मित्र देशों को निर्यात करने की अनुमति भी शामिल होगी। 
  • शिक्षा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: दोनों पक्षों ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवाचार सहयोग 2021 के रोडमैप के तहत सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है।
  • संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षीय मंच: दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र के महत्त्व के साथ अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के सम्मान की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने के सिद्धांत सहित संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।
  • आतंकवाद का विरोध: उन्होंने कठुआ क्षेत्र (जम्मू और कश्मीर) में सेना के काफिले पर और मॉस्को में क्रोकस सिटी हॉल पर हुए हाल के कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की।
  • सम्मान: राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, “ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल” से सम्मानित किया।

इस यात्रा का क्या महत्त्व है?

  • व्यापार संबंधों को बढ़ावा देना: यदि INSTC, उत्तरी समुद्री मार्ग और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारे पर यातायात बढ़ता है, तो पारगमन समय 40 दिनों से घटकर 20 दिन हो सकता है।
  • क्षेत्रीय व्यापार में वृद्धि: यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ मुक्त व्यापार समझौते के परिणामस्वरूप भारत, यूरेशियन व्यापार में अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकता है।
  • लोगों के बीच संपर्क: एकातेरिनबर्ग और कज़ान में दो नए वाणिज्य दूतावासों की स्थापना, रूस में भारतीय प्रवासियों की बढ़ती उपस्थिति को दर्शाती है।
  • व्यापार वृद्धि: भारतीय फार्मास्यूटिकल क्षेत्र जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए रूस में दवाओं का प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता बन गया है। डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, सन फार्मा और सिप्ला जैसी कंपनियों ने स्थानीय स्तर पर जेनेरिक दवाओं का उत्पादन करने के लिये रूसी फर्मों के साथ साझेदारी की है।
  • पूंजी बाज़ार विकास: रूस के बैंकों ने रूसी खातों में निष्क्रिय पड़े रुपए को भारतीय शेयरों, सरकारी प्रतिभूतियों और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में निवेश किया है।
  • प्रत्यावर्तन: पुतिन द्वारा रूसी सशस्त्र बलों में सेवारत भारतीयों को छुट्टी देने और उन्हें वापस भेजने पर सहमति व्यक्त करना, नई दिल्ली के लिये एक महत्त्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता है।

भारत और रूस को एक दूसरे की आवश्यकता क्यों है?

  • सामरिक स्वायत्तता: भारत को अपने प्रभाव क्षेत्र में आकर्षित करने के पश्चिमी प्रयासों के बावजूद, भारत अपनी सामरिक स्वायत्तता की नीति के प्रति प्रतिबद्ध है।
  • समर्थन का प्रदर्शन: भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा ने पुतिन की वैश्विक प्रतिष्ठा को पुनर्जीवित किया है। उत्तर कोरिया जैसे बहिष्कृत देशों या चीन जैसे लोकतांत्रिक मानदंडों से रहित देशों के नेताओं की यात्राओं के विपरीत, भारत एक लोकतांत्रिक महाशक्ति और आर्थिक दिग्गज के रूप में वर्तमान में विश्व स्तर पर पाँचवें स्थान पर है।
  • विश्वसनीय सहयोगी: रूस एक प्रमुख मित्र के रूप में बना हुआ है, जिस पर भारत क्षेत्रीय मुद्दों में मध्यस्थ कारक के रूप में विश्वास कर सकता है। भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध के दौरान, रूस ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी।
  • बहुध्रुवीय विश्व: रूस और भारत दोनों ही ब्रिक्स (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका), जी-20 एवं शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य हैं तथा “हित-आधारित विदेश नीति” का पालन करते हैं।
  • भारत एक आदर्श संतुलनकर्त्ता के रूप में: चीन के प्रति एक लोकतांत्रिक प्रतिसंतुलन के रूप में अपनी छवि के कारण भारत एक “भू-राजनीतिक स्वीट स्पॉट ” पर है। बहुध्रुवीय विश्व की जटिलताओं के बीच भारत, पश्चिमी देशों और रूस के बीच संतुलन बनाए रखना जारी रखेगा।

भारत अमेरिका के साथ संबंधों में किस प्रकार संतुलन बनाए रखता है?

  • कज़ाखिस्तान में SCO शिखर सम्मेलन में भाग न लेना: भारत ने कज़ाकिस्तान में बैठक में भाग न लेने का फैसला, अमेरिका और पश्चिमी ब्लॉक के बाकी सदस्यों को यह संदेश देने के लिये किया कि वह यूक्रेन में रूस की कार्रवाई के क्रम में अंतर्राष्ट्रीय कानून एवं मानवाधिकारों के बारे में सवाल उठने पर उसका साथ नहीं दे रहा है। 
  • रक्षा साझेदारी में विविधता लाना: रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्त्ता बना हुआ है, लेकिन भारत ने अमेरिका और फ्राँस तथा इज़रायल जैसे अन्य देशों से अपने हथियारों के आयात में उल्लेखनीय वृद्धि की है। 
  • कोई नवीन रक्षा उपकरण सौदा नहीं: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत की सुरक्षा के लिये नई चुनौती के बावजूद, प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान रूस के साथ किसी नए रक्षा उपकरण सौदे की घोषणा नहीं की गई। 
  • अलग-अलग भू-राजनीतिक संरेखण: रूस के विरोध के बावजूद भारत ने परमाणु सौदों, रक्षा खरीद और इंडो-पैसिफिक के लिये समर्थन के माध्यम से अमेरिका के साथ सुरक्षा सहयोग को मज़बूत किया है। इस बीच रूस, भारत के प्राथमिक रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी चीन के साथ अपने संबंधों को गहरा कर रहा है और पाकिस्तान के साथ जुड़ाव बढ़ा रहा है।
  • पूर्व और पश्चिम के बीच पुल: भारत ब्रिक्स और SCO दोनों का सदस्य है, साथ ही इंडो-पैसिफिक में क्वाड का भी सदस्य है। पुतिन के सहयोगी शी जिनपिंग, क्वाड को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने एकाधिकार के संदर्भ में एक चुनौती के रूप में देखते हैं।
  • शी जिनपिंग की कार्रवाइयों के प्रति पुतिन अनिच्छुक: विश्व भर में दक्षिण चीन सागर और तटीय देशों में चीन के बढ़ते क्षेत्रीय दावों पर चिंता व्यक्त करने के बावजूद, पुतिन इस क्षेत्र में शी जिनपिंग की सलामी स्लाइसिंग नीति की निंदा या आलोचना नहीं करते हैं। भारत क्वाड के प्रति प्रतिबद्ध है।
  • यूक्रेन में शांति: जबकि भारत ने यूक्रेन में रूस के युद्ध की निंदा नहीं की है, इसने लगातार शांति का आह्वान किया है। भारत ने स्विट्ज़रलैंड में यूक्रेन संघर्ष पर हुए शांति शिखर सम्मेलन में भाग लिया।

भारत-रूस संबंधों से जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं?

  • कोई बड़ा सैन्य सौदा नहीं: सैन्य-तकनीकी साझेदारी भारत-रूस संबंधों का आधार रही है। हाल के वर्षों में S-400 एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम के बाद से दोनों देशों के बीच कोई बड़ा सैन्य सौदा नहीं हुआ है।
  • हथियारों की आपूर्ति में विलंब: यूक्रेन में युद्ध और पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण नई दिल्ली को हथियारों के निर्यात की समय पर आपूर्ति को लेकर चिंताएँ उत्पन्न हो गई हैं।
  • रूस-चीन सामंजस्य: चीन के साथ रूस के घनिष्ठ संबंध से यह चिंता उत्पन्न होती है कि रूसी हथियारों के लिये भारत की तुलना में चीन को प्राथमिकता मिल सकती है।
  • क्षमता का अधिक आकलन: रूस के सुदूर पूर्व के साथ जुड़ने और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री कॉरिडोर को पुनर्जीवित करने के नई दिल्ली के प्रयासों के बावजूद, इस क्षेत्र को श्रम क्षमता तथा विदेशी बाज़ारों तक पहुँच के मामले में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि जापान और दक्षिण कोरिया ने रूस पर प्रतिबंध लगा रखे हैं।
  • प्रतिबंधों के कारण बाधा: INSTC में प्रतिबंधित ईरान के साथ व्यापार करने के क्रम में वस्तुओं की बार-बार लोडिंग व अनलोडिंग एक बाधा साबित हो सकती है।
  • व्यापार घाटा: रूस भारत का तेल का प्राथमिक आपूर्तिकर्त्ता बन गया है, लेकिन रूस को भारतीय निर्यात में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। इसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2024 के लिये द्विपक्षीय व्यापार में 57 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार घाटा हुआ, जो 66 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर है।
  • पश्चिम के साथ संबंधों में बाधा: रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद भारत पर मास्को से दूरी बनाने के लिये पश्चिम की ओर से दबाव डाला गया है। भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने इस बात पर बल दिया कि संघर्ष के दौरान “रणनीतिक स्वायत्तता जैसी कोई चीज़ नहीं होती” और कहा कि आज के परस्पर संबंधित विश्व में “कोई भी युद्ध अब दूर नहीं रह गया है।”

आगे की राह:

  • रणनीतिक साझेदारी: वार्षिक शिखर सम्मेलन और रणनीतिक संवाद तंत्र जैसे ढाँचों के माध्यम से रणनीतिक साझेदारी को सुदृढ़ करना।
  • रक्षा सहयोग को बढ़ाना: प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिये संयुक्त रक्षा विकास परियोजनाओं पर सहयोग करना।
  • व्यापार विविधीकरण: रक्षा और ऊर्जा जैसे पारंपरिक क्षेत्रों से परे व्यापार का विस्तार करके प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स और कृषि को भी शामिल करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय मंच: वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और साझा हितों को बढ़ावा देने के लिये संयुक्त राष्ट्र, BRICS और SCO जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मिलकर कार्य करना।
  • मीडिया अनुबंध: गलत धारणाओं को दूर करने और द्विपक्षीय संबंधों के लाभों को उजागर करने के लिये  मीडिया एवं सार्वजनिक कूटनीति का उपयोग करना।




  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

मेन्स:  

प्रश्न. ‘नाटो का विस्तार एवं सुदृढीकरण और एक मज़बूत अमेरिका-यूरोप रणनीतिक साझेदारी भारत के लिये अच्छा काम करती है।’ इस कथन के बारे मे आपकी क्या राय है? अपने उत्तर के समर्थन में कारण और उदाहरण दीजिये। (2023)

प्रश्न. भारत-रूस रक्षा समझौतों की तुलना में भारत-अमेरिका समझौतों की क्या महत्ता है? हिंद-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में स्थायित्व के संदर्भ में विवेचना कीजिये। (2020)

प्रश्न.’भारत और यूनाइटेड स्टेट्स के बीच संबंधों में खटास के प्रवेश का कारण वाशिंगटन का अपनी वैश्विक रणनीति में अभी तक भी भारत के लिये किसी ऐसे स्थान की खोज करने में विफलता है, जो भारत के आत्म-समादर और महत्त्वाकांक्षा को संतुष्ट कर सके।’ उपयुक्त उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिये। (2019)

प्रश्न. S-400 हवाई रक्षा प्रणाली, विश्व में इस समय उपलब्ध अन्य किसी प्रणाली की तुलना में किस प्रकार से तकनीकी रूप से श्रेष्ठ है ? (2021)





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