Papmochani Ekadashi 2024: पापमोचनी एकादशी 5 अप्रैल को, गलती से कर बैठे बुरा काम तो ऐसे करें पूजा, मिलेगी पापों से मुक्ति


चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 04 अप्रैल को शाम 04.14 बजे शुरू होगी और अगले दिन 05 अप्रैल को दोपहर 01.28 बजे खत्म होगी।

By Sandeep Chourey

Publish Date: Wed, 03 Apr 2024 11:25 AM (IST)

Updated Date: Wed, 03 Apr 2024 11:51 AM (IST)

जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

HighLights

  1. चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी व्रत रखा जाता है।
  2. इस साल पापमोचनी एकादशी व्रत 05 अप्रैल को है।
  3. भगवान विष्णु के साथ धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है।

धर्म डेस्क, इंदौर। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है और हर एकादशी का व्रत विधि-विधान से करने पर इसका फल भी जरूर मिलता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी व्रत रखा जाता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, इस साल पापमोचनी एकादशी व्रत 05 अप्रैल को है। पौराणिक मान्यता है कि इस एकादशी व्रत पर यदि जगत के पालनहार भगवान विष्णु के साथ धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है तो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा यदि गलती से भी कुछ पाप कर बैठे हैं तो इन बुरे कर्मों से भी मुक्ति मिल जाती है।

पापमोचनी एकादशी पर पूजा मुहूर्त

हिंदू पंचांग के मुताबिक, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 04 अप्रैल को शाम 04.14 बजे शुरू होगी और अगले दिन 05 अप्रैल को दोपहर 01.28 बजे खत्म होगी। उदया तिथि मान के अनुसार 05 अप्रैल को पापमोचनी एकादशी मनाई जाएगी।

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जानें क्या है पापमोचनी एकादशी की व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राजा मांधाता ने लोमश ऋषि से सवाल किया कि गलती से हुए पापों से मुक्ति कैसे मिल सकती है। तब लोमश ऋषि ने बताया कि एक बार च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी तपस्या कर रहे थे और इस दौरान मंजुघोषा नाम की अप्सरा मेधावी पर मोहित हो गई। मंजुघोषा ने मेधावी को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन सफल नहीं हुई। आखिरकार उसने कामदेव की मदद से मेधावी को अपनी ओर आकर्षित कर लिया। इसके बाद मेधावी ऋषि महादेव की तपस्या की करना भूल गए।

कुछ समय बाद मेधावी ऋषि को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने मंजुघोषा को दोषी माना और उसे पिशाचिनी होने का श्राप दिया। इसके बाद अप्सरा मंजुघोषा ने बहुत बार माफी मांगी, तब मेधावी ऋषि ने पापों से मुक्ति के लिए चैत्र महीने की पापमोचनी एकादशी व्रत करने की विधि बताई। मंजुघोषा ने विधिपूर्वक पापमोचनी एकादशी का व्रत किया और अपने पापों से मुक्ति पाई। इस व्रत के प्रभाव से मंजुघोषा एक बार फिर अप्सरा बन गई और स्वर्ग में चली गई।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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    कई मीडिया संस्थानों में कार्य करने का करीब दो दशक का अनुभव। करियर की शुरुआत आकाशवाणी केंद्र खंडवा से हुई। महाराष्ट्र में फील्ड रिपोर्टिंग, भोपाल दूरदर्शन, ETV न्यूज़ सहित कुछ रीजनल न्यूज चैनल में काम करके इलेक्



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