NATO Innovation Fund begins with 1 billion euro in defence tech ai sector america not supporting

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NATO Innovation Fund : रूस-यूक्रेन युद्ध, दुनियाभर में एडवांस्‍ड होते वेपन्‍स और वेपन्‍स में बढ़ता आर्टिफ‍िशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्‍तेमाल अब हर देश को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर रहा है। नाटो (Nato) जिसका पूरा नाम नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन है, उसके 32 में से 24 मेंबर्स ने कहा है कि अब वो 4 यूरोपीय टेक कंपनियों में निवेश करेंगे। 1 बिलियन यूरो (लगभग 89.52 अरब रुपयों) का यह निवेश एआई, स्‍पेस और रोबोट‍िक डिफेंस टेक के क्षेत्र में एडवांस्‍ड बनने के लिए किया जाएगा।  

एक रिपोर्ट के अनुसार, इस इन्‍वेस्‍टमेंट का मकसद डिफेंस और सिक्‍योरिटी के क्षेत्र में आ रही चुनौतियों का सॉल्‍यूशन ढूंढना है। यूरोन्‍यूज के अनुसार, नाटो ने साल 2022 में इस फंड (NATO Innovation Fund) का ऐलान किया, जब रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला। फंड के जरिए डिफेंस टेक्‍नॉलजी डेवलप कर रहे स्‍टार्ट अप्‍स और उन टेक्‍नॉलजीज को खरीदने वाले सरकारी खरीदारों को कनेक्‍ट किया जाएगा और वो एक-दूसरे से डील कर पाएंगे।  

शुरुआत में जिन कंपनियों को इन्‍वेस्‍टमेंट मिली है, वो सभी यूरोप से हैं। इनमें जर्मनी की एआरएक्स रोबोटिक्स (ARX Robotics) शामिल है। यह अनमैन्‍ड रोबोट डिजाइन करती है।  

इसके अलावा, लंदन बेस्‍ड कंप्यूटर चिप मेकर कंपनी फ्रैक्टाइल (Fractile), आईकॉमैट (iComat) और स्पेस फोर्ज (Space Forge) को भी फंड मिला है। ये कंपनियां अंतरिक्ष के लिए मटीरियल्‍स तैयार करती हैं। 

नाटो इनोवेशन फंड के तहत चार वेंचर कैपिटल फंड में भी निवेश किया है। ये डीप टेक पर फोकस करते हैं। इनमें जॉइन कैपिटल, वीस्क्वायर्ड वेंचर्स, ओटीबी वेंचर्स और अल्पाइन स्पेस वेंचर्स शामिल हैं। खास यह है कि नाटो करीब 15 साल तक इनमें निवेश करेगा। 

NATO Innovation Fund की जरूरत क्‍यों? 

रिपोर्ट के अनुसार, इनोवेटर्स और मिलिट्री के बीच एक गैप है,‍ जिसे भरने की जरूरत है। एक ओर, मिलिट्री को नहीं पता होता कि लेटेस्‍ट डिफेंस टेक्‍नॉलजीज क्‍या है। दूसरी ओर, इनोवेटर्स को मिलिट्री की जरूरतों का पता नहीं चलता। जब दोनों आपस में कनेक्‍ट करेंगे, तो आउटपुट अच्‍छा निकलने की उम्‍मीद है। 

इसके अलावा, सरकारें आमतौर पर किसी भी प्रोजेक्‍ट में तेजी से आगे नहीं बढ़तीं। नाटो का इन्‍वेस्‍टमेंट फंड बिना सरकारी रुकावट के तेजी से काम करेगा। लेकिन खास बात यह भी है कि अमेरिका, कनाडा और फ्रांस जैसे बड़े नाटो देश इस फंड को सपोर्ट नहीं कर रहे।  
 

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