ओवेरियन कैंसर से जुड़े मिथ्स,- Ovarian cancer se jude myths


वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजे़शन के अनुसार विश्व भर में महिलाओं में इस कैंसर के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। ओवेरियन कैंसर महिलाओं में पाया जाने वाला 7वां सबसे आम कैंसर है। वहीं भारतीय महिलाओं में पाया जाने वाला ये तीसरा सबसे सामान्य कैंसर है।

महिलाओं में ओवेरियन कैंसर के मामले दिनों दिन बढ़ रहे हैं। अंडाशय में तेज़ी से होने वाली कोशिकाओं की वृद्धि डिम्बग्रंथि कैंसर का जोखिम बढ़ा देती है। इस दौरान महिलाओं को पेल्विक पेन, सूजन और बार-बार यूरिन पास करने की समस्या का सामना करना पड़ता है। अनियमित खानपान और अनहेल्दी आदतें इस समस्या का कारण साबित हो रही है। मगर इस बीमारी को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उत्पन्न होने लगते है और वो बिना किसी जानकारी के कई मिथ्स पर विश्वास कर लेते हैं। सबसे पहले जानते हैं ओवेरियन कैंसर क्या है और इससे जुड़े कुछ मिथ्स।

ओवेरियन कैंसर किसे कहते हैं (What is ovarian cancer)

ये कैंसर ओवरीज़ यानि अंडाशय में बनने लगता है। इसके चलते ओवरी में तेज़ी से होने वाली सेल ग्रोथ जब टिशूज़ को नष्ट कर देती है, तो उस स्थिति को ओवेरियन कैंसर कहा जाता है। कोशिकाओं के डीएनए में आने वाला बदलाव इस समस्या का कारण साबित होता है। इस प्रक्रिया के दौरान हेल्दी सेल्स डैमेज हो जाते हैं और कैंसर कोशिकाएं शरीर में बनी रहती हैं।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजे़शन के अनुसार विश्व भर में महिलाओं में इस कैंसर के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। ओवेरियन कैंसर महिलाओं में पाया जाने वाला 7वां सबसे आम कैंसर है। वहीं भारतीय महिलाओं में पाया जाने वाला ये तीसरा सबसे सामान्य कैंसर है। इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक ऐसी महिलाएं, जिनमें इस बीमारी की पहचान पहली स्टेज पर कर ली जाती है, उनमें 94 फीसदी महिलाएं 5 साल तक जीवित रह पाती है। वहीं 70 से 80 फीसदी मामलों की पहचान आखिरी स्टेज पर पहुंचकर हो पाती है। इसमें से केवल 28 फीसदी ही 5 वर्ष तक जीवित रहती हैं।

ovarian cancer kya hai
डिम्बग्रंथि के कैंसर के लक्षणों को वक्त रहते पहचान कर बचाई जा सकती है 80 फीसदी महिलाओं की जान। चित्र : एडॉबीस्टॉक

नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे 2024 (National cancer awareness day 2024)

भारत में सन् 2014 से लेकर हर साल 7 नंवबर को नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे के रूप में मनाया जाता है। होप, लव एंड स्ट्रेंथ आवर वेपन्स अंगेस्ट कैंसर (Hope, love and strength- our weapons against cancer) है। लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए मनाए जाने वाले इस खास दिन पर कैंसर के प्रकार और उनकी मृत्यु दर से लेकर रोकथाम के उपायों तक हर चीज़ पर फोकस किया जाता है। साथ ही इस दिन रेडियोएक्टीविटी के क्षेत्र में विश्व विख्यात वैज्ञानिक मैरी क्यूरी की जयंती भी मनाइ जाती है। उनके किए कई कार्य रेडियम जितने ही उपयोगी थे। उन पर आधारित चिकित्सा कैंसर के सबसे प्रभावी उपचारों में से एक है। मैक्स हॉस्पिटल शालीमार बाग में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के डायरेक्टर डॉ कुमारदीप दत्ता चौधरी बता रहे हैं ओवेरियन कैंसर के बारे में पूरी जानकारी।

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जानें ओवेरियन कैंसर से जुड़े कुछ मिथ्स (Ovarian cancer myths)

1. ओवेरियन कैंसर सिर्फ ज्यादा उम्र की महिलाओं को प्रभावित करता है

अमेरिकन ऑनकोलॉजी इंस्टीट्यूट के अनुसार इसमें कोई दोराय नहीं कि कैंसर 50 से 60 वर्ष की महिलाओं में सबसे आम है। मगर जीवनशैली में आने वाले बदलावों के चलते 20 और 30 की उम्र की महिलाएं भी इस समस्या का शिकार हो रही हैं। आनुवंशिकता और पारिवारिक इतिहास जैसे कारण इस समस्या के जोखिम को बढ़ा देते हैं। ऐसे में ओवेरियन कैंसर के प्रति जागरूकता होना आवश्यक है।

कोशिकाओं के डीएनए में आने वाला बदलाव समस्या का कारण साबित होता है। इस प्रक्रिया के दौरान हेल्दी सेल्स डैमेज हो जाते हैं और कैंसर कोशिकाएं शरीर में बनी रहती हैं। चित्र : एडोब स्टॉक

2. ओवेरियन कैंसर का जोखिम पारिवारिक इतिहास वाली महिलाओं में ही बढ़ता है

डिम्बग्रंथि कैंसर का खतरा अनुवांशिकता और पारिवारिक इतिहास होने से बढ़ने लगता है। मगर केवल उन्हीं महिलाओं में ये समस्या पाई जाए, ऐसा ज़रूरी नहीं है। वे लोग जो हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का उपयोग करते हैं, उनमें ये समस्या बढ़ने लगती है। इसके अलावा जागरूकता की मी इस समस्या के बढ़ने का कारण साबित होती है। इसके अलावा मोटापा, शरीर में पोषण की कमी, गलत दवाओं का सेवन और एंडोमेट्रियोसिस से इस समस्या के बढ़ने का खतरा बढ़ता है।

3. ओवेरियन सिस्ट ओवरी में कैंसर के समान हैं

डिम्बग्रंथि के सिस्ट होना सामान्य समस्या है। सिस्ट तरल पदार्थ से भरी एक थैली होती हैं जो अंडाशय पर या उसके अंदर बन सकती हैं। इससे शरीर में हार्मोन असंतुलन का सामना करना पड़ता है, जिससे चेहरे पर पिंपल्स बनने लगते हैं। इस बारे में डॉ आरएमएल अस्पताल नई दिल्ली में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अंजुम आरा बताती हैं कि औरतों में अलग अलग प्रकार की सिस्ट पाई जाती है। उनमें से कुछ कैंसरस और कुछ नॉन कैंसरस होती है। अधिकतर सिस्ट कैंसर नहीं होती हैं। आमतौर पर रिप्रोडक्टिव एज की महिलाओं में नॉन कैंसर सिस्ट होती है। मगर मेनोपॉज के बाद अक्सर महिलाओं में कैंसर सिस्ट का खतरा बढ़ने लगता है।

4. ओवेरियन कैंसर में लक्षण नहीं दिखते हैं

इस समस्या से ग्रस्त लोगों में दिखने वाले लक्षण अस्पष्ट होते हैं। पेट के निचले हिस्से में होने वाला दर्द और बार बार यूरिन पास करने जैसे लक्षणों को लोग इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम और प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से जोड़कर देखने लगते हैं। इस समस्या से ग्रस्त महिलाओं को योनि में सूजन, जलन, पेट में निचले हिस्से में दर्द, खाना खाने में कठिनाई और भूख कम लगने की समस्या बनी रहती है। ऐसे लक्षण दिखने पर डॉक्टर से अवश्य संपर्क करें और जांच करवाएं।

शरीर में ओवेरियन कैंसर तब विकसित होता है, जब इस क्षेत्र में कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से टूटती है और गुणा करती हैं। चित्र: शटरस्टॉक

5. ओवेरियन कैंसर लाइलाज बीमारी है

अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार 80 प्रतिशत मामलों में डिम्बग्रंथि कैंसर की जानकारी आखिरी स्टेज पर पहुंचकर मिल पाती है। मगर उसके बावजूद भी इलाज संभव होता है। दरअसल, उपचार के परिणाम कितने बेहतर होंगे ये चीज लाइफस्टाइल से लेकर डाइट तक तक कई चीजों पर निर्भर करती है।



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