नासा का पार्कर सोलर प्रोब


स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नासा के पार्कर सोलर प्रोब द्वारा किसी भी अन्य मानव निर्मित उपकरण की तुलना में सूर्य के अधिक निकट उड़ान भरकर 430,000 मील प्रति घंटे की गति प्राप्त करके तथा 982°C तक के तापमान को सहन करके एक ऐतिहासिक रिकाॅर्ड बनाया गया है।

पार्कर सोलर प्रोब से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: 
    • वर्ष 2018 में लॉन्च किये गए कार के आकार के इस रोबोटिक अंतरिक्ष यान का नाम अमेरिकी सौर खगोल भौतिकीविद् यूजीन न्यूमैन पार्कर के नाम पर रखा गया है।
      • यह नासा का पहला मिशन है जिसका नाम किसी जीवित शोधकर्त्ता के नाम पर रखा गया है तथा यह सूर्य के कोरोना के 3.8 मिलियन मील के दायरे में अन्वेषण करने वाला पहला मिशन है।

    • इस प्रोब में अत्यधिक तापमान को सहन करने के लिये उन्नत कार्बन-कम्पोज़िट हीट शील्ड का उपयोग किया गया है।

  • उद्देश्य:
    • पार्कर सोलर प्रोब का लक्ष्य सूर्य के निकट 6.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी से गुजरते हुए सूर्य के ऊर्जा प्रवाह, कोरोना के तापन का अध्ययन करना है।
      • यह सौर पवनों के स्रोत की भी जाँच करेगा, जो अंतरिक्ष मौसम को प्रभावित करने वाले आवेशित कणों की उच्च गति वाली तरंगे हैं।

    • सूर्य के कोरोना की जाँच करना, तथा यह समझना कि यह सूर्य की सतह से अधिक गर्म क्यों है, जो खगोलभौतिकी में एक लंबे समय से रहस्य बना हुआ है।
    • सौर वायु के स्रोतों पर प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र की संरचना और गतिशीलता का निर्धारण करना है।
    • ऊर्जावान कणों को गति प्रदान करने और गति देने वाली प्रक्रियाओं का अध्ययन करना।

आदित्य-L1 मिशन

  • आदित्य-L1 मिशन लैग्रेंज प्वाइंट L1 पर भारत की सौर वेधशाला है, जो सूर्य के क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल गतिकी का निरंतर अवलोकन करने में सक्षम है।
  • अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (L1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन कि.मी. दूर है।
  • इस मिशन का उद्देश्य सौर कोरोना (Solar Corona), प्रकाशमंडल (Photosphere), क्रोमोस्फीयर (Chromosphere) और सौर पवन (Solar Wind) के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करना है।

लैग्रेंज बिंदु:

  • परिचय:
    • लैग्रेंज बिंदु वे स्थान हैं जहाँ एक छोटी वस्तु दो-पिंडों के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में स्थिर रह सकती है।
    • यह अंतरिक्ष यान को दो बड़े पिंडों के गुरुत्वाकर्षण बलों को छोटे पिंड के साथ तालमेल बिठाने के लिये आवश्यक अभिकेंद्रीय बल के साथ संतुलित करके न्यूनतम ईंधन खपत के साथ स्थिर स्थिति बनाए रखने में सक्षम बनाता है।

  • प्रकार: 
    • लैग्रेंज बिंदु L1 सूर्य-पृथ्वी रेखा के बीच स्थित है। पृथ्वी से L1 की दूरी पृथ्वी-सूर्य दूरी का लगभग 1% है।
    • सूर्य से पृथ्वी के पीछे स्थित L2, पृथ्वी की छाया के हस्तक्षेप के बिना ब्रह्मांड का अवलोकन करने के लिये आदर्श स्थितियाँ प्रदान करता है।
    • सूर्य के पीछे, पृथ्वी के विपरीत स्थित L3, सूर्य के दूरवर्ती भाग के संभावित अवलोकन प्रदान करता है।
    • L4 और L5 पर स्थित वस्तुएँ स्थिर स्थिति बनाए रखती हैं तथा दो बड़ी वस्तुओं के साथ समबाहु त्रिभुज बनाती हैं।




  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में, “भुवन” क्या है, जो हाल ही में समाचारों में था ?

(a) इसरो (ISRO) द्वारा भारत में दूर-शिक्षण को प्रवर्तित करने के लिये प्रमोचित एक लघु-उपग्रह
(b) अगले चंद्र-प्रभाव अन्वेषी (मून इम्पैक्ट प्रोब), चन्द्रयान-II, का नाम
(c) इसरो (ISRO) का भू-पोर्टल (जियोपोर्टल) जिसमें भारत के त्रिविम प्रतिबिंबन की क्षमता है
(d) एक अंतरिक्ष दूरबीन जिसको भारत में विकसित किया गया है

 उत्तर: (c)





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