रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं के इलाज में असरदार है मेरुदंड वस्ति, जानें क्या है इसकी प्रक्रिया | merudanda vasti benefits in hindi


आयुर्वेद में मेरुदंड वस्ति चिकित्सा पंचकर्म की एक महत्वपूर्ण विधि मानी जाती है। यह न केवल शरीर के विभिन्न रोगों को ठीक करने में सहायक होती है, बल्कि शरीर के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में भी मदद करती है। वस्ति का मुख्य उद्देश्य शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना और दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करना है। इसे विशेष रूप से वात दोष के विकारों के उपचार के लिए बेहद प्रभावी माना जाता है। मेरुदंड वस्ति चिकित्सा में औषधीय तेलों या काढ़ों का उपयोग किया जाता है, यह शारीरिक कमजोरी को दूर करने, नसों की समस्याओं और दर्द को कम करने में मदद करता है। वस्ति चिकित्सा न केवल पीठ दर्द, जोड़ों के दर्द, साइटिका और स्पॉन्डिलाइटिस जैसे रोगों के उपचार में फायदेमंद होती है, बल्कि यह शरीर के वात दोष को नियंत्रित कर स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देती है। इस लेख में आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा से जानिए, मेरुदंड वस्ति के क्या-क्या फायदे होते हैं।

मेरुदंड वस्ति क्या है?

मेरुदंड वस्ति आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी और उससे संबंधित समस्याओं के इलाज के लिए विकसित किया गया है। इस प्रक्रिया में गर्म औषधीय तेल या काढ़े का उपयोग करके प्रभावित क्षेत्र पर वस्ति (धारा) किया जाता है। इससे रीढ़ की समस्याओं का समाधान होता है और शरीर की ऊर्जा प्रणाली भी संतुलित होती है।

मेरुदंड वस्ति के फायदे

1. रीढ़ की हड्डी के दर्द और स्टिफनेस में राहत

मेरुदंड वस्ति उपचार का मुख्य उद्देश्य रीढ़ की हड्डी के दर्द और कठोरता (Stiffness) को दूर करना है। इसमें उपयोग किए गए औषधीय तेल त्वचा में प्रवेश करते हैं और मांसपेशियों की सूजन को कम करते हैं। जो लोग पीठ दर्द, सायटिका या स्लिप डिस्क जैसी समस्याओं से परेशान हैं, उनके लिए यह उपचार विशेष रूप से प्रभावी होता है।

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2. रीढ़ के लचीलेपन में सुधार

लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने या गलत पॉश्चर के कारण रीढ़ का लचीलापन कम हो जाता है, जिससे आगे चलकर कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। मेरुदंड वस्ति रीढ़ का लचीलापन बेहतर करता है।

3. सूजन और साइटिका में कमी

साइटिका एक सामान्य समस्या है जिसमें दर्द होता है। मेरुदंड वस्ति न केवल साइटिका के दर्द को कम करता है, बल्कि सूजन को भी नियंत्रित करता है। इसमें इस्तेमाल किए गए औषधीय तेल सूजन को कम करके तंत्रिका तंत्र को शांति प्रदान करते हैं।

4. रीढ़ की मांसपेशियों और डिस्क को मजबूत करना

मेरुदंड वस्ति न केवल रीढ़ की समस्याओं को ठीक करता है, बल्कि रीढ़ की मांसपेशियों और डिस्क को भी मजबूत बनाता है। इससे रीढ़ की हड्डी को अधिक सहारा मिलता है और भविष्य में रीढ़ की समस्याओं के होने की संभावना कम हो जाती है।

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5. सर्वाइकल में लाभदायक

आजकल सर्वाइकल की समस्या आम होती जा रही है। मेरुदंड वस्ति में इस्तेमाल किए गए औषधीय तेल और प्रक्रिया सर्वाइकल के लक्षणों को कम करने में प्रभावी होते हैं।

6. नर्वस सिस्टम के लिए फायदेमंद

मेरुदंड वस्ति तंत्रिका तंत्र को संतुलित करने और उसे मजबूत करने में भी सहायक होती है। यह तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याओं, जैसे कि नर्व पेन और झुनझुनी, में भी राहत प्रदान करती है।

मेरुदंड वस्ति की प्रक्रिया

इस प्रक्रिया के लिए मरीज की पीठ को साफ किया जाता है। फिर एक विशेष प्रकार के आटे से पीठ के उस हिस्से पर रिंग बनाई जाती है, जहां तेल डाला जाएगा। आटे की रिंग के अंदर गुनगुना औषधीय तेल डाला जाता है। तेल का तापमान और समय अवधि मरीज की समस्या और चिकित्सा आवश्यकता के अनुसार तय की जाती है। तेल डालने के बाद मरीज को कुछ समय तक आराम दिया जाता है ताकि तेल रीढ़ की हड्डी और उसके आसपास की मांसपेशियों में गहरे तक प्रवेश कर सके।

किसे कराना चाहिए मेरुदंड वस्ति?

मेरुदंड वस्ति उन लोगों के लिए उपयुक्त है, जिन्हें लंबे समय से पीठ दर्द, सायटिका, स्पॉन्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क, रीढ़ की मांसपेशियों की कमजोरी और तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं हो रही हैं।

निष्कर्ष

मेरुदंड वस्ति आयुर्वेद में रीढ़ की समस्याओं के लिए एक अत्यधिक प्रभावी और प्राकृतिक उपचार है। यह न केवल रीढ़ की हड्डी को मजबूत और लचीला बनाता है, बल्कि तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियों को भी शक्ति प्रदान करता है। यदि आप पीठ दर्द, साइटिका या अन्य रीढ़ से संबंधित समस्याओं से परेशान हैं, तो मेरुदंड वस्ति आपकी समस्या का एक प्रभावी समाधान हो सकता है। लेकिन यह प्रक्रिया आयुर्वेदाचार्य द्वारा ही की जानी चाहिए।

All Images Credit- Freepik

 



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