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  • Ananya Panday की कर्वी फिगर से Suhana Khan को हुई जलन?? बिकनी वाली तस्वीर पर किया ऐसा कमेंट अनन्या पांडे जब शुरूआत में बॉवीवुड में आयी थी तो उनका काफी अल […]

  • Onion Price Hike: फिर रुलाने लगा प्याज, दिल्ली-मुंबई में 80 रुपये तक पहुंची कीमत, जानें कब कम होंगे भाव?बाजार में कम आपूर्ति के साथ, कई प्रमुख शहरों में प्याज की कीमतें पिछले कुछ दिनों में काफी बढ़ गई हैं। इस वजह से ग्राहको को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, थोक बाजारों में प्याज की कीमत 40-60 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 70-80 रुपये प्रति किलो हो गई है। कुछ अन्य शहरों में, प्याज की कीमतें कुछ ही दिनों में बढ़कर लगभग दोगुनी हो गई हैं। इसे भी पढ़ें: Delhi-Mumbai में प्याज की कीमतों में जबरदस्त उछाल, पांच साल बाद नवंबर में इतने पहुंचे दामगौरतलब है कि प्याज की आसमान छूती कीमतें घरों और उपभोक्ताओं की आदतों पर काफी असर डाल रही हैं, जिससे थोक बाजारों में अस्थिरता पैदा हो रही है। दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में नवंबर में प्रति किलो प्याज की कीमतें पांच साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। चूंकि प्याज की बढ़ती कीमतों ने ग्राहकों की आंखों में आंसू ला दिए हैं, बिक्री कम होने के कारण विक्रेता बढ़ती दरों को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस समय, सरकारी अधिकारियों ने कहा कि आने वाले दिनों में प्याज की कीमतें और कम होने की उम्मीद है क्योंकि ताजा खरीफ फसल की आवक शुरू हो गई है।उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्याज की औसत अखिल भारतीय खुदरा कीमत 54 रुपये प्रति किलोग्राम है और सरकार द्वारा प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों में प्याज की सब्सिडी वाली बिक्री के बाद पिछले एक महीने में कीमतों में गिरावट आई है। सरकार उपभोक्ताओं को ऊंची कीमतों से राहत देने के लिए दिल्ली-एनसीआर और अन्य शहरों में बफर स्टॉक प्याज को खुदरा बाजार में 35 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर बेच रही है।अब तक 5 लाख टन का निस्तारण किया जा चुका है। मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार, बफर स्टॉक प्याज को पहली बार रेलवे के माध्यम से प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों तक पहुंचाया जा रहा है और आपूर्ति को बढ़ावा देने में मदद मिल रही है। अधिकारी ने कहा कि जब तक हमारा स्टॉक खत्म नहीं हो जाता और कीमतें स्थिर नहीं हो जातीं, हम बफर प्याज का थोक रेल परिवहन जारी रखेंगे। पिछले कुछ हफ्तों में दिल्ली, चेन्नई और गुहावटी में रेल रेक के माध्यम से लगभग 4,850 टन प्याज की आपूर्ति की गई है। कीमत के प्रति संवेदनशील दिल्ली के बाजा […]

  • online platform should deliver perishable food products for at least 45 days fssai प्रतिरूप फोटोANIभारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने ई-कॉ […]

  • एसबीआई, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक घरेलू प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंकों की सूची में शामिलमुंबई । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को फिर से घरेलू प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंकों (डी-एसआईबी) की सूची में शामिल किया है। केंद्रीय बैंक ने डी-एसआईबी की सूची जारी की। इस सूची में शामिल होने के लिए ऋणदाताओं को उस ‘बकेट’ के अनुसार पूंजी संरक्षण भंडार के अतिरिक्त उच्च ‘कॉमन इक्विटी टियर 1’ (सीईटी 1) बनाए रखना आवश्यक है, जिसके अंतर्गत इसे वर्गीकृत किया गया है।सूची के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) अब भी ‘बकेट 4’ में बना हुआ है, जिसके लिए देश के सबसे बड़े ऋणदाता को 0.80 प्रतिशत का अतिरिक्त सीईटी 1 रखना होगा। निजी क्षेत्र के सबसे बड़ा ऋणदाता एचडीएफसी बैंक को ‘बकेट 2’ में रखा गया है, जिसके तहत उसे 0.40 प्रतिशत अधिक सीईटी 1 बनाए रखना होगा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि, एसबीआई तथा एचडीएफसी बैंक के लिए उच्च डी-एसआईबी अधिभार एक अप्रैल 2025 से लागू होगा। ‘‘इसलिए 31 मार्च 2025 तक एसबीआई और एचडीएफसी बैंक पर लागू डी-एसआईबी अधिभार क्रमशः 0.60 प्रतिशत और 0.20 प्रतिशत होगा।’’आईसीआईसीआई बैंक को ‘बकेट 1’ में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें निजी क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े ऋणदाता को सीईटी 1 भंडार में अतिरिक्त 0.20 प्रतिशत बनाए रखना होगा। आरबीआई ने कहा कि यह वर्गीकरण 31 मार्च 2024 तक बैंकों से एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित है। केंद्रीय बैंक ने पहली बार 2014 में डी-एसआईबी से निपटने के लिए रूपरेखा की घोषणा की थी। 2015 और 2016 में एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक को इस सूची में शामिल किया था। 2017 में अन्य दो बैंकों के साथ एचडीएफसी बैंक को भी […]

  • त्योहारी मांग से अक्टूबर में यात्री वाहनों की थोक बिक्री में मामूली वृद्धि : SIAMनयी दिल्ली । यात्री वाहनों की थोक बिक्री अक्टूबर में सालाना आधार पर मामूली बढ़त के साथ 3,93,238 इकाई हो गयी। उद्योग संगठन सियाम ने यह जानकारी दी। अक्टूबर 2023 में यात्री वाहनों की थोक बिक्री 3,89,714 इकाई थी। सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) ने बयान में कहा, पिछले महीने कुल दोपहिया वाहनों की बिक्री सालाना आधार पर 14 प्रतिशत बढ़कर 21,64,276 इकाई हो गई, जबकि अक्टूबर 2023 में यह 18,95,799 इकाई थी। स्कूटर की बिक्री अक्टूबर में 22 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 7,21,200 इकाई रही।मोटरसाइकिल की थोक बिक्री पिछले महीने 11 प्रतिशत की बढ़त के साथ 13,90,696 इकाई हो गई, जबकि अक्टूबर 2023 में यह 12,52,835 इकाई थी। अक्टूबर में मोपेड की बिक्री घटकर 52,380 इकाई रह गई, जबकि एक वर्ष पूर्व इसी माह यह 53,162 इकाई थी। तिपहिया वाहनों की थोक बिक्री पिछले महीने मामूली गिरावट के साथ 76,770 इकाई रह गई, जबकि अक्टूबर 2023 में यह 77,344 इकाई थी।सियाम के महानिदेशक राजेश मेनन ने कहा, ‘‘ अक्टूबर 2024 में दो प्रमुख त्यौहार दशहरा और दिवाली होने से उपभोक्ता मांग बढ़ी जिससे मोटर वाहन उद्योग को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिला…’’ उन्होंने कहा कि यात्री वाहनों ने 0.9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ अक्टूबर में 3.93 लाख इकाइयों की अपनी उच्चतम बिक्री दर्ज की। मेनन ने कहा कि दोपहिया वाहन खंड ने भी 2024 में अक्टूबर की अब तक की सबसे अधिक बिक्री दर्ज की। उन्होंने कहा, ‘‘ यह उच्च वृद्धि वाहन पंजीकरण आंकड़ों में भी परिलक्षित हुई। अक्टूबर 2024 में यात्री वाहनों और दोपहिया वाहनों दोनों के पंजीकरण में सालाना आधार पर 30 प्रतिश […]

  • भोजपुरी अदाकारा Akshara Singh को जान से मारने की धमकी, फोन करने वाले ने मांगी 50 लाख की फिरौती भोजपुरी अदाकारा अक्षरा सिंह जान से मारने की धमकी मिलने वाली हस्तियों की सूच […]

  • Prabhasakshi NewsRoom: महंगाई आसमान पर, मुद्रास्फीति की दर RBI के संतोषजनक आंकड़े 6% के पार पहुँचीदेश में महंगाई एक बार फिर तेजी से बढ़ी है जिससे उपभोक्ताओं की जेब ढीली हो रही है। हम आपको बता दें कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 6.21 प्रतिशत हो गई, जो इससे पिछले महीने यानी सितंबर में 5.49 प्रतिशत थी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ऐसा मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने के कारण हुआ है। इस तरह खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर के ऊपर निकल गई है। हम आपको याद दिला दें कि पिछले साल इसी महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 4.87 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों से पता चलता है कि खाद्य वस्तुओं में मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 10.87 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर में 9.24 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर में 6.61 प्रतिशत थी।एनएसओ ने कहा, “अक्टूबर, 2024 के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 6.21 प्रतिशत है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मुद्रास्फीति की दर 6.68 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों के लिए 5.62 प्रतिशत है।” एनएसओ के आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर, 2024 के दौरान ‘दालों और इसके उत्पादों’, अंडे, ‘चीनी और कन्फेक्शनरी’ और मसालों के उपसमूह में मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई। एनएसओ ने कहा, “अक्टूबर, 2024 में उच्च खाद्य मुद्रास्फीति मुख्य रूप से सब्जियों, फलों और तेलों और वसायुक्त वस्तुओं की मुद्रास्फीति में वृद्धि के कारण हैं।”इसे भी पढ़ें: जनजाति समाज के लिए चलाई जा रही आर्थिक विकास की योजनाएंइस बीच, इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सीपीआई मुद्रास्फीति चिंताजनक रूप से बढ़कर अक्टूबर, 2024 में 14 महीने के उच्चस्तर पर पहुंच गई, जो मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मध्यम अवधि लक्ष्य सीमा चार प्रतिशत (दो प्रतिशत घट-बढ़) से अधिक है। उन्होंने कहा, “मुद्रास्फीति में क्रमिक वृद्धि मुख्य रूप से खाद्य और पेय पदार्थ खंड के कारण हुई, जिसके बाद मुख्य वस्तुओं में हल्की वृद्धि हुई।” अदिति नायर ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर को पार कर गई है और चालू वित्त वर्ष (2024-25) की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के लिए एमपीसी के अनुमान से कम से कम 0.6-0.7 प्रतिशत अधिक रहने की आशंका है। इससे एमपीसी की आगामी बैठक में रेपो दर में कटौती की संभावनाएं समाप्त हो गई हैं। उन्होंने कहा, “हमारा अनुमान है कि 0.5 प्रतिशत का दर कटौती चक्र फरवरी, 2025 या उसके बाद शुरू हो सकता है।”इस बीच, कांग्रेस ने खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने के कारण महंगाई में वृद्धि को लेकर मंगलवार को चिंता व्यक्त की और सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में वह खाद्य पदार्थों की कीमतों को मुद्रास्फीति के आकलन से बाहर कर सकती है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘खाद्य मुद्रास्फीति अब दोहरे अंक में पहुंच गई है।” उन्होंने कहा कि अक्टूबर में सब्जियों की कीमतों में 42.18 प्रतिशत की वृद्धि हुई। मुंबई जैसी जगहों पर प्याज अब 80 रुपये प्रति किलोग्राम की ऊंची कीमत पर बिक रहा है। खुदरा मुद्रास्फीति अब रिजर्व बैंक (आरबीआई) के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर है। उन्होंने कहा, ‘‘यह सब सुस्त खपत, निवेश में कमी, स्थिर वास्तविक मजदूरी और व्यापक बेरोजगारी के साथ हो रहा है। जब खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि का सामना करना पड़ता है, तो सरकार का जोर केवल खाद्य पदार्थों की कीमतों को मुद् […]

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