स्रोत: डाउन टू अर्थ
हाल ही में हुए एक अध्ययन में बिहार के गंगा के मैदानी क्षेत्रों में बढ़ते कैंसर के मामलों के लिये भूजल में मैंगनीज़ (Mn) संदूषण को ज़िम्मेदार ठहराया गया। ब्लड सेंपल्स (औसत: 199 µg/L; उच्चतम: लीवर कैंसर के मरीज़ में 6,022 µg/L) और घरेलू हैंडपंप के जल में Mn का बढ़ा हुआ स्तर देखा गया है।
- अध्ययन में बिहार के 1,146 कैंसर रोगियों की जाँच की गई, जिसमें कार्सिनोमा सामान्य (84.8%) था।
घरेलू जल के सेंपल्स का मैंगनीज़ संदूषण के लिये परमाणु अवशोषण स्पेक्ट्रोफोटोमीटर का उपयोग करके परीक्षण किया गया है।
मैंगनीज़:
- यह पृथ्वी पर पाँचवीं सबसे प्रचुर धातु है, जो ऑक्साइड, कार्बोनेट और सिलिकेट के रूप में प्राकृतिक रूप से विद्यमान है।
- यह शरीर में होमियोस्टेसिस को बनाए रखने के लिये अल्प मात्रा में महत्त्वपूर्ण है, किंतु अधिक मात्रा में विषाक्त हो जाता है।
- WHO के अनुसार पीने योग्य जल में मैंगनीज़ की अनुशंसित सीमा 400 µg/L है।
संदूषण के स्रोत:
स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- मैंगनीज़ के उच्च स्तर के निरंतर संपर्क में रहने से विषाक्तता उत्पन्न होती है, जिससे कमज़ोरी, भद्दापन, भावनात्मक अस्थिरता, गतिशीलता में कमी और उन्नत अवस्था में कैंसर जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं।
प्रभावित क्षेत्र:
- भारत: बिहार का गंगा का मैदान, पश्चिम बंगाल (मुर्शिदाबाद, 24 परगना), कर्नाटक (तुमकुर)।
- वैश्विक: नाइज़ीरिया, बांग्लादेश, चीन, जापान और ग्रीस ।
और पढ़ें: भारत में भूजल प्रदूषण