नीम की पत्तियों से बनाएं कीटनाशक, जानिए बनाने की विधि और फायदे | जैविक कीटनाशक | नीम के पत्तों के फायदे


नीम के पत्तों के फायदे

वर्तमान समय में रासायनिक उर्वरक और खाद का प्रयोग लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में रासायनिक खाद से पैदा हुए फल, सब्जी और अनाज के सेवन से कई तरह के रोग व कीट लग रहे हैं। इसलिये जैविक खेती को सरकार की ओर से भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें केवल प्राकृतिक रूप से तैयार खाद का इस्तेमाल किया जाता है। इसे बनाने में कम खर्च और ये रासायनिक कीटनाशकों की अपेक्षा काफी फायदेमंद भी होते हैं। 

नीम से कीटनाशक बनाने की विधि:

नीम की पत्तियों को इकठ्ठा करके छावं में सुखाएं फिर पत्तियों को पूरी तरह से सूख जाने पर उन्हें पर्याप्त पानी में रात भर डूबा कर रखें। फिर नीम की पत्ती वाले पानी का छिडक़ाव पौधों पर करें। इसके बाद फसल पर कीटों व का प्रभाव नहीं होगा। इस पानी का उपयोग आप विभिन्न प्रकार की सब्जियों के पौधों पर भी कर सकते हैं। बैंगन में तना छेदक कीट से पौधों को बचाने के लिए नीम के पानी का छिडक़ाव कर सकते हैं। 

कैसे इस्तेमाल करें:

लगभग 14 लीटर साफ पानी में 1- लीटर अर्क को मिलाकर सुबह के समय पौधों पर इसका छिडक़ाव करना चाहिए। यह पौधों की पत्तियों पर लगने वाले कीटों, मच्छर और माहू आदि से बचाव के लिए काफी कारगर साबित होती है। इस कीटनाशक के छिडक़ाव करते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसका छिडक़ाव लगभग एक माह पुरानी फसल पर ही करें। 

गोमूत्र और नीम की पत्तियों से कीटनाशक बनाने की विधि:

देशी गाय का मूत्र लगभग 15-20 लीटर किसी बर्तन में डालकर उसमें 2.5 किलो नीम की निम्बोली या पत्तियों को पीसकर मूत्र में मिलाएं।

इस मिश्रण में करीब 2.5 किलो धतूरे के पत्तों को पीसकर इस घोल में करीब 2.5 किलो अर्कमदार के पत्ते की चटनी बनाकर बर्तन में मिलाएं। फिर इसमें कद्दू या सीताफल के पौधे के पत्तों को पीसकर मिलाएं।

इस मिश्रण में लगभग 700 ग्राम तक तम्बाकू का पाउडर मिलाएं।

इसके साथ ही लाल मिर्च का पाउडर करीब 1 किलो मिश्रण में मिलायें।

तैयार मिश्रण को मिलाने के बाद इसे अच्छी तरह से उबाल लें फिर इसे ठंडा करके छान लें। इस तरह आपका जैविक कीटनाशक तैयार हो जाएगा। 

जैविक कीटनाशक के प्रयोग से फायदे:

रासायनिक कीटनाशक की अपेक्षा जैविक कीटनाशक को बनाने में कम खर्चा और काफी कम महंगे होते हैं। 

जैविक कीटनाशक वनस्पतियों पर आधारित उत्पाद से निर्मित किए जाते हैं जो कीटनाशक महीने में ही मिट्टी में मिलकर अपघटित हो जाते हैं, इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी बढ़ती है।  

खेतों में जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करने से फसलों के स्वभाव में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं होता है।

जैविक कीटनाशकों का उपयोग फलों और सब्जियों में उपज को भी बढ़ा देता है। 

जैविक कीटनाशको के प्रयोग से पर्यावरण संतुलन भी बना रहता है।



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