30 की उम्र से अधिक की जयदातर महिलाओं को सबसे ज्यादा शिकायत बेली फैट की होती है। मेटाबॉलिज्म धीमी होने की वजह से शरीर की फैट बर्निंग कैपेसिटी कम हो जाती है।
आप भी अपनी 30s में एंटर कर चुकी हैं! इस दौरान शरीर में कई सारे बदलाव नजर आ सकते हैं। पोषक तत्वों की कमी से लेकर हड्डियों का कमजोर होना यहां तक की मेटाबॉलिज्म भी धीमा हो जाता है। हालांकि, इस उम्र की जयदातर महिलाओं को सबसे ज्यादा शिकायत बेली फैट की होती है। मेटाबॉलिज्म धीमी होने की वजह से शरीर की फैट बर्निंग कैपेसिटी कम हो जाती है। वहीं ज्यादातर फैट पेट और कमर के आसपास के हिस्सों में जमा हो जाते हैं। ऐसे में महिलाओं को अपने शरीर पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
सर्टिफाई न्यूट्रीशनिस्ट, योगा ट्रेनर और डायबीटीज एजुकेटर अमृता मिश्रा ने महिलाओं में 30 के बाद बेली फैट बढ़ने के कारण बताते हुए इनसे बचाव के लिए नियमित दिनचर्या में कुछ जरूरी चीजों को शामिल करने की सलाह दी है (belly fat after 30)। तो फिर देर किस बात की, चलिए जानते हैं इस बारे में अधिक विस्तार से।
जानें 30 के बाद बेली फैट बढ़ने का कारण (what causes belly fat after 30)
कई महिलाओं को उम्र बढ़ने के साथ पेट की चर्बी बढ़ना शुरू हो जाती है, भले ही उनका वजन न बढ़े। यह संभवतः एस्ट्रोजन के कम स्तर के कारण हो सकता है, क्योंकि एस्ट्रोजन का शरीर में फैट के स्थान पर प्रभाव पड़ता है। वहीं आपके जेनेटिक्स भी अधिक वजन और मोटापे में योगदान कर सकते हैं। जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, वे मांसपेशियों को खोना शुरू कर देती हैं, जो वजन बढ़ाने में योगदान दे सकता है। इसके साथ ही मेटाबॉलिज्म की कमी फैट बर्निंग कैपेसिटी को कम कर देती है, जिसकी वजह से बेली फैट बढ़ सकता है।
ये लाइफस्टाइल फैक्टर्स भी हो सकते हैं बेली फैट के लिए जिम्मेदार
जितनी कैलोरी आप बर्न करती हैं, उससे ज्यादा फैट और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खराब डाइट लेने से पेट की चर्बी बढ़ सकती है। एक गतिहीन जीवनशैली से भी वजन बढ़ सकता है। तनाव के कारण आपका शरीर ज़्यादा कोर्टिसोल रिलीज करता है, जो जिससे आंत के आस पास चर्बी जमा होने का कारण बन सकता है। वहीं पर्याप्त नींद न लेना वजन बढ़ाने में योगदान दे सकता है। अत्यधिक शराब के सेवन से पेट के आसपास वजन बढ़ सकता है।
ये बीमारियां भी बढ़ा देती हैं बेली फैट का खतरा
30 की उम्र के बाद या उससे पहले भी महिलाओं को थायराइड हो जाता है, वहीं कई महिला मेटाबॉलिक सिंड्रोम का शिकार हो जाती हैं। इतना ही नहीं डायबिटीज और हाइपरटेंशन भी महिलाओं में बेली फैट बढ़ने का कारण हो सकते हैं। इसके साथ ही खराब खान पान जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर में योगदान देता है, महिलाओं में बढ़ते वजन और बेली फैट का कारण बन सकता हैं।
जानें 30 के बाद जीवनशैली में कौन से बदलाव बेली फैट कम करने में आएंगे आपके काम (how to manage belly fat after 30)
1. नींबू पानी या गुनगुने पानी से करें दिन की शुरुआत
यदि आप अपने बेली को शेप में रखना चाहती हैं, तो सबसे पहले रोजाना अपने दिन की शुरुआत एक गिलास गुनगुने पानी के साथ करें। आप चाहें तो इसमें एक चम्मच नींबू का रस भी मिला सकती हैं। ऐसा करने से बॉडी में मेटाबॉलिज्म बढ़ जाता है, और जब आप सुबह के समय किसी भी शारीरिक गतिविधि में भाग लेती हैं, तो अधिक कैलोरी बर्न होती है। इस प्रकार आपको बेली फैट के साथ समग्र शरीर के वजन को संतुलित रखने में मदद मिलती है। साथ ही यह पाचन स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है।
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2. ब्रेकफास्ट में लें प्रोटीन रिच फूड
अपने दिन की शुरुआत ग्रीक योगर्ट, प्रोटीन स्मूदी, अंडे की सफ़ेदी या दलिया से करें। सुबह प्रोटीन खाने के बाद, आप दोपहर के भोजन तक बिना किसी भूख के संतुष्टि महसूस करती हैं। प्रोटीन वजन घटाने के दौरान मांसपेशियों को बनाए रखता है और आपके मेटाबॉलिज्म रेट को बढ़ावा देता है। आप हर दूसरे भोजन में अंडे, मछली, चिकन, बीन्स या डेयरी जैसे प्रोटीन भी शामिल कर सकती हैं।
3. एक्सरसाइज के लिए समय निकालें
बढ़ती उम्र के साथ शरीर का वजन ही नहीं बल्कि बीमारियां भी बढ़ने लगती हैं। ऐसे में खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय रखना बहुत जरूरी है। ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि आपको रोजाना जिम जाकर हाई इंटेंसिटी वर्कआउट करनी है, बल्कि आप अपने घर के कामकाज को करते हुए सुबह और शाम की वॉक के साथ भी अपनी सेहत को मेंटेन कर सकती हैं। इसके अलावा लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठने और लेटने से बचें।
बच्चों के साथ या पेट के साथ खेलना और घूमने जाना भी मददगार साबित हो सकता है। यदि आप वर्किंग वुमन हैं, तो ऑफिस में स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज जरूर करें। साथ ही साथ खुद को एक्टिव रखें, ताकि लंबे समय तक बैठने की वजह से आपका वजन न बढ़े।
4. डाइटिंग से ज्यादा जरुरी है खाने की हेल्दी प्लानिंग
आपको खाने की स्वस्थ योजना बनानी चाहिए, और इसका नियमित रूप से पालन करें। ज्यादातर लोग डाइटिंग करना शुरू कर देते हैं, अगर माइंडफुल ईटिंग की जाए तो डाइटिंग की असल में कोई आवश्यकता नहीं होती। सामान्य तौर पर, कार्ब मैनेजमेंट करना सिख जाए तो आधी से ज्यादा परेशानी खत्म हो जाती है।
5. लेबल रीडर बनें
ब्रांडों की तुलना करें और उनके बीच अंतर करें। उदाहरण के लिए, कुछ दही दावा करते हैं कि वे फैट में कम हैं, लेकिन वे दूसरों की तुलना में कार्ब्स और अतिरिक्त चीनी में अधिक होते हैं। ग्रेवी, मेयोनेज़, सॉस और सलाद ड्रेसिंग जैसे खाद्य पदार्थों में अक्सर उच्च मात्रा में फैट और बहुत सारी कैलोरी होती है। इनके लेवल की जांच करें और सबसे पहले एडेड शुगर और साल्ट युक्त खाद्य पदार्थों पर नियंत्रण पाएं।
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