क्या है ADHD और उससे बचाव के उपाय, kya Hai ADHD aur usse bachaw ke upay


हाल ही में एक इंटरव्यू में अभिनेत्री आलिया भट्ट ने स्वीकारा कि उन्हें ADHD (Attention deficit hyperactivity disorder) है। ADHD एक मानसिक विकार है, जो किसी व्यक्ति के व्यवहार, ध्यान और डेली वर्क को प्रभावित करता है।

अभिनेत्री आलिया भट्ट, इस समय अपनी नई फिल्म “जिगरा” का प्रमोशन कर रही हैं। इस दौरान उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान खुद के ADHD स्पेक्ट्रम में आने के बारे में बताया। 31 वर्षीय आलिया ने बताया कि उन्हें कम उम्र से ही डिस्ट्रेक्शन के शुरुआती लक्षण (early symptoms of distraction) महसूस होते थे। और अंततः उन्होंने इसके कारण को समझने के लिए जांच करायी। हालांकि, आलिया ने यह भी कहा कि वह सेट पर कैमरे के सामने या अपनी बेटी Raha के साथ समय बिताते समय सबसे अधिक फोकस्ड महसूस करती हैं। ADHD किसी भी उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन इसके लक्षण आमतौर पर बचपन में ही शुरू होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 3.1 % वयस्क ADHD के साथ जीते हैं।

क्या कहती हैं आलिया?

आलिया भट्ट ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें ADHD है। इस विकार और इसके लक्षणों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे छोटे उम्र से ही ध्यान भटकने की आदत थी। मैं कक्षा में या बातचीत के दौरान जोन आउट हो जाती थी। हाल ही में, मैंने एक साइकोलाॅजिकल जांच करायी और पाया कि मैं ADHD स्पेक्ट्रम में उच्च स्तर पर हूं। मुझे ADHD है।”

आलिया ने यह भी बताया कि जब उन्होंने अपने दोस्तों को इसके बारे में बताया, तो उनकी प्रतिक्रियाएँ आश्चर्यजनक थीं। “जब मैंने अपने दोस्तों को इसके बारे में बताया, तो वे बोले, ‘हमें हमेशा पता था’। यह कोई नई बात नहीं है। लेकिन मुझे नहीं पता था। फिर, मैंने समझा कि कैमरे के सामने मैं क्यों शांत रहती हूं।”

उन्होंने आगे बताया कि जबकि ADHD ने उनके ध्यान को प्रभावित किया है, लेकिन वे जब सेट पर होती हैं या अपनी बेटी के साथ होती हैं, तो सबसे ज्यादा फोकस्ड महसूस करती हैं। वे कहती हैं, “जब भी मैं कैमरे के सामने होती हूं, मैं उस किरदार में पूरी तरह से डूबी होती हूं, जो मैं निभा रही हूं। और अब, राहा के बाद, जब मैं उसके साथ होती हूं, तो मेरा ध्यान एकदम फोकस्ड रहता है। ये मेरे जीवन के दो ऐसे पल हैं जहां मैं सबसे अधिक शांत रहती हूं।”

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बिहेवियरियल थेरेपी की मदद से संभव है एडीएचडीके लक्षणों पर काबू करना, चित्र: शटरस्टॉक

क्या है ADHD

ADHD एक न्यूरोडेवलपमेंटल स्थिति है, जिसे ध्यान भटकने, हाइपरएक्टिविटी, और इंपल्सिवनेस के लगातार पैटर्न के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह आमतौर में बचपन से विकसित होता है और यह अक्सर उम्र बढ़ने पर भी जारी रहता है।

इसके स्पेक्ट्रम में आने वाले बच्चों को ध्यान केंद्रित करने, इंपल्सिव एक्टिविटी को कंट्रोल करने, और बहुत ज्यादा कामों को करने में कठिनाई हो सकती है, जैसा कि अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) द्वारा बताया गया है। ये लक्षण वयस्कों में भी कुछ हद तक देखे जा सकते हैं।

क्या हैं एडीएचडी के प्रकार

1. इनअटैंटिव (Inattentive):

इस प्रकार की पहचान ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, भुलक्कड़पन, अव्यवस्था, और कार्यों को पूरा करने में समस्या के रूप में की जाती है। इसे अक्सर “ध्यान में कमी (ADD)” के रूप में भी जाना जाता है।

2. हाइपरएक्टिव-इंपल्सिव (Hyperactive-impulsive):

इस प्रकार की विशेषता अत्यधिक चंचलता, बैठे रहने में कठिनाई, अत्यधिकत आवेग, और दूसरों को बाधित करने से होती है। यह प्रकार छोटे बच्चों में अधिक आम है।

3. संयुक्त (Combined):

इसमें इनअटैंटिव और हाइपरएक्टिव-इंपल्सिव लक्षणों का मिश्रण होता है। व्यक्ति दोनों प्रकार की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं, जिससे यह ADHD का सबसे सामान्य प्रकार बन जाता है।

प्रत्येक प्रकार दैनिक गतिविधियों, संबंधों और पढ़ाई या ऑफिस के काम पर अलग-अलग तरीकों से प्रभाव डाल सकता है।

एडीएचडी बच्चों ही नहीं वयस्कों में भी पाया जा सकता, चित्र : शटरस्टॉक

जानिए क्या हैं एडीएचडी के लक्षण (Attention-Deficit/Hyperactivity Disorder symptoms)

1. ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई

2. बाहरी घटनाओं से आसानी से विचलित होना

3. दैनिक गतिविधियों में भूलना

4. कार्यों को व्यवस्थित करने या पूरा करने में कठिनाई

5. फिजेटिंग या बेचैनी

6. शांत बैठने या चुप रहने में कठिनाई

7. बिना सोचे-समझे कार्य करना

8. बातचीत या गतिविधियों में बाधा डालना

9. अत्यधिक बात करना या उत्तर जल्दी देना

10. सुनने में कमजोर होना

11. दिन में सपने देखना

वयस्कों में और भी हो सकते हैं लक्षण

1. अक्सर देर से पहुंचना

2. चीजें भूल जाना

3. बेचैनी का अनुभव

4. गुस्से को प्रबंधित करने में कठिनाई

5. इम्पलसिव व्यवहार

6. टालमटोल करना

7. जल्दी निराश होना

8. जल्दी बोरियत महसूस करना

9. पढ़ते समय ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई

10. मूड स्विंग्स का अनुभव करना

11. अवसाद के लक्षण

ये लक्षण हर एक में अलग हो सकते हैं और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे स्कूल, काम, और सामाजिक इंटरएक्शन को प्रभावित कर सकते हैं। यदि आपको या किसी और को इनमें से कोई लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो विशेषज्ञ से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।

एडीएचडी से ग्रस्त बच्चों के माता-पिता को ज्यादा हो सकता है डिमेंशिया का जोखिम। चित्र : शटरस्टॉक

क्या हैं ADHD के कारण:

ADHD का सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन निम्नलिखित कारकों के संयोजन से इस मानसिक विकार का जोखिम बढ़ सकता है:

1. जेनेटिक्स:

ADHD अक्सर परिवारिक इतिहास में पाया जाता है, जिससे इसका जोखिम बढ़ सकता है। यदि परिवार के किसी सदस्य को ADHD है, तो अन्य सदस्यों में भी इसके होने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा, जीन और पर्यावरणीय कारक दोनों ही इस स्थिति के विकास में योगदान कर सकते हैं। सही समय पर पहचान और उपचार महत्वपूर्ण है ताकि इसके प्रभावों को कम किया जा सके।

2. मस्तिष्क की संरचना और काम करने का तरीका:

मस्तिष्क के कुछ क्षेत्रों के आकार, गतिविधि और रासायनिक संतुलन में अंतर, विशेष रूप से ध्यान और आवेग नियंत्रण से संबंधित क्षेत्रों में, ADHD के विकास में भूमिका निभा सकते हैं। यह अंतर मस्तिष्क के कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे व्यक्ति की ध्यान केंद्रित करने और आवेगों को नियंत्रित करने की क्षमता में कमी आ सकती है। वैज्ञानिक अध्ययन इन मस्तिष्कीय विशेषताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर रहे हैं।


3. प्रीमेच्योर बर्थ

समय से पहले जन्म लेना या जन्म के समय वजन कम होना जोखिम बढ़ा सकता है। ऐसे शिशुओं में मस्तिष्क के विकास में बाधा आ सकती है, जिससे ADHD जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा, प्रारंभिक जीवन में मिलने वाली देखभाल और पर्यावरण भी इन लक्षणों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

4. पर्यावरणीय टाॅक्सिन्स के संपर्क में आना:

इनवायरमेंटल टॉक्सिन्स के संपर्क में आना, विशेष रूप से छोटी उम्र में, मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकता है। ये टॉक्सिन्स न्यूरोलॉजिकल समस्याएं पैदा कर सकते हैं, जिससे ADHD के लक्षणों का विकास हो सकता है। बच्चों की विकासात्मक प्रक्रिया में ये कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना आवश्यक है।

5. प्रेग्नेंसी के दौरान कारक:

गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान, शराब का सेवन, या नशीली दवाओं का उपयोग बच्चों में ADHD का जोखिम बढ़ा सकता है। ये पदार्थ फीटस के मस्तिष्क के विकास को बाधित कर सकते हैं, जिससे ध्यान और इम्पलस को कंट्रोल करने में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। स्वस्थ प्रेग्नेंसी के लिए इन आदतों से दूर रहना महत्वपूर्ण है ताकि बच्चे के विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सके।


6. मस्तिष्क की चोटें:

कुछ मामलों में, सिर पर लगी चोट भी ADHD के बढ़ने में भूमिका निभा सकती है। गंभीर सिर की चोटें मस्तिष्क के उन क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती हैं जो ध्यान और कंट्रोल के लिए महत्वपूर्ण हैं। ऐसी चोटों के बाद, लोगों में ध्यान केंद्रित करने, काम को पूरा करने और इम्पल्स को नियंत्रित करने में कठिनाई हो सकती है। यह महत्वपूर्ण है कि सिर की चोटों के बाद एक्सपर्ट से सलाह ली जाए।

ADHD के साथ अपने मानसिक स्वास्थ्य का नियंत्रण वापस पाएं। चित्र : शटरस्टॉक

कैसे पता किया जाता है?

किसी व्यक्ति को ADHD है या नहीं, यह तय करने की प्रक्रिया में कई स्टेप्स होते हैं। ADHD का पता करने के लिए कोई एक जांच नहीं है, और कई अन्य समस्याएं, जैसे एंग्जाइटी, अवसाद, नींद की समस्याएं, और कुछ प्रकार की सीखने की अक्षमताएं, के लक्षण समान हो सकते हैं।

बच्चों में ADHD का पता लगाने के लिए

1.मेडिकल एग्जामिनेशन :

प्रक्रिया आमतौर पर चिकित्सा परीक्षा से शुरू होती है, जिसमें सुनने और देखने के परीक्षण शामिल होते हैं, ताकि अन्य स्थितियों को बाहर किया जा सके जो समान लक्षण पैदा कर सकती हैं।

2. सिमटम्स चेकलिस्ट:

ADHD के लक्षणों का आकलन करने के लिए एक चेकलिस्ट का उपयोग किया जाता है, साथ ही माता-पिता, शिक्षकों और कभी-कभी बच्चे से भी बात करी जाती है।

3. इतिहास की समीक्षा:

डॉक्टर बच्चे के लक्षणों के इतिहास और शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक विकास में सामना की गई किसी भी चुनौतियों की जांच करेंगे।

वयस्कों में एडीएचडी का निदान कैसे किया जाता है

ADHD एक उम्र के बाद भी जारी रह सकता है, और कुछ वयस्कों को बिना किसी पुरानी घटना से जुड़े भी यह हो सकता है। जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, लक्षण अलग तरीके से प्रकट हो सकते हैं; उदाहरण के लिए, हाइपरएक्टिविटी अत्यधिक बेचैनी के रूप में दिखाई दे सकती है। व्यक्ति की जिम्मेदारियों के साथ चुनौतियाँ बढ़ जाती हैं।

1. मेडिकल टेस्ट और जीवन इतिहास:

वयस्कों से उनके बचपन के लक्षणों के बारे में पूछा जाता है, क्योंकि ADHD का लक्षण 12 साल की उम्र से पहले होना चाहिए। इससे डाक्टर को यह समझने में मदद मिलती है कि क्या लक्षण लंबे समय से मौजूद हैं या हाल ही में विकसित हुए हैं।

2. वर्तमान लक्षण:

ध्यान में कमी, हाइपरएक्टिविटी या इम्पलसिवनेस के पाँच या अधिक लक्षणों का होना आवश्यक है। इन लक्षणों में जैसे कि ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, अधीरता, और अचानक निर्णय लेना शामिल हो सकते हैं। ये लक्षण व्यक्ति के दैनिक जीवन, कार्य और संबंधों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं, इसलिए इनकी पहचान और निदान में सावधानी बरतना आवश्यक है।

3. दैनिक जीवन पर प्रभाव:

लक्षणों का कार्य, संबंधों या दैनिक कार्यों पर महत्वपूर्ण प्रभाव होना चाहिए। यदि ये लक्षण व्यक्ति की नौकरी, पारिवारिक जीवन या सामाजिक गतिविधियों में बाधा डालते हैं, तो यह ADHD के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। सही समय पर पहचान और उपचार से व्यक्ति की जीवन गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

4. अन्य स्थितियों की जांच:

ADHD के लक्षण अवसाद, एंग्जाइटी, और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षणों के साथ ओवरलैप कर सकते हैं, इसलिए इन कारकों को ध्यान में रखना आवश्यक है। इससे सही निदान में मदद मिलती है, क्योंकि कुछ लक्षण विभिन्न स्थितियों में समान हो सकते हैं। एक व्यापक मूल्यांकन से उपचार की योजना को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।

5. पारिवारिक इनपुट और खुद की समझ:

व्यवहार और इतिहास के बारे में समझने के लिए प्रश्नावली का उपयोग किया जाता है और साथी या परिवार के सदस्यों से फीडबैक लिया जाता है। यह जानकारी डॉक्टर को व्यक्ति के लक्षणों की गंभीरता और उनके प्रभाव का मूल्यांकन करने में मदद करती है। पारिवार वालों से मिली जानकारी से इस प्रक्रिया को और भी सटीक बनाया जा सकता है, जिससे उचित उपचार का चयन किया जा सके।


याद रखें

ADHD से निपटना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खास तौर पर यदि इसे अनदेखा किया जाए। इसलिए, अगर आप किसी लक्षण को देखते हैं, तो अपने डॉक्टर को सूचित करें और एक स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखें।



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