Mpox से नहीं है Covid 19 जैसी महामारी का खतरा, वायरस के बारे में पहले से है काफी जानकारी: WHO | is there any relation between mpox and covid who clearified in hindi


Mpox and Covid Connection in Hindi: एमपॉक्स का कहर दुनियाभर में लगातार जारी है। एमपॉक्स से संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस वायरस के चलते कांगो में अब तक कुल 570 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। एमपॉक्स के बढ़ते प्रकोप के बीच अब यूएस में कोविड के नए वेरिएंट KP.3.1.1 (Covid New Variant) के फैलने की भी पुष्टि की गई है। इसे देखकर यह आंकलन किया जा रहा है कि कहीं एमपॉक्स कोविड का नया वेरिएंट तो नहीं (Is Mpox is Covid New Variant) या इसका कोविड से कोई संबंध है क्या? इन दोनों वायरस को आपस में जोड़ा जा रहा है। इसे देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस पर बड़ा खुलासा किया है। 

डब्ल्यूएचओ ने किया बड़ा खुलासा 

एमपॉक्स और कोविड के नए वेरिएंट को लेकर हो रही तरह-तरह की प्रतिक्रियाओं के बीच डब्ल्यूएचओ ने सीधेतौर पर यह स्पष्ट किया है कि एमपॉक्स कोविड का नया वेरिएंट नहीं है (Mpox is not Covid Variant)। डब्ल्यूएचओ के अधिकारी हंस क्लूग ने बताया कि चाहे वह कोविड को नया वेरिएंट हो या पुराना, इसका एमपॉक्स से कोई लेना देना नहीं है। क्लूग ने कहा कि हम एमपॉक्स (Mpox in Hindi) से मिलकर निपट सकते हैं और विश्वस्तर पर इस वायरस को समाप्त करने की चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एमपॉक्स के फैलने का मुख्य कारण त्वचा से त्वचा के संपर्क में आना है। 

एमपॉक्स के शुरुआती लक्षण (Mpox Early Signs)

  • एमपॉक्स के शुरुआती चरण (Mpox Early Stage) में आपको कई लक्षण देखने को मिल सकते हैं। 
  • आमतौर पर यह लक्षण व्यक्ति में 5 से 21 दिनों तक रह सकता है। 
  • एमपॉक्स के शुरुआती दिनों में सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द हो सकता है। 
  • ऐसी स्थिति में कई बार कमर या पूरी शरीर में दर्द महसूस हो सकता है। 
  • एमपॉक्स होने पर तेज बुखार के साथ ही लिम्फ नोड्स में भी सूजन हो सकती है। 

कितना खतरनाक है एमपॉक्स? (How Much Dangerous in Mpox)

एमपॉक्स अन्य वायरस की तुलना में थोड़ा ज्यादा खतरनाक साबित होता है। इस वायरस की मृत्यु दर (Mpox Death Rate) ज्यादा होने के साथ ही संक्रमण फैलने की दर भी अन्य वायरस की तुलना में अधिक है। एमपॉक्स के गंभीर लक्षण दिखाई देने के बाद कई बार मरीज की जान तक बचा पाना मुश्किल हो जाता है।



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