मुंबई2 मिनट पहलेलेखक: सचीन पी मामपट्टा
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भारती इंटरप्राइजेज ने हाल ही में ब्रिटिश दूरसंचार कंपनी BT में 24.5% हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान किया है। यह सौदा 35 हजार करोड़ रुपए का है। खास बात यह है कि भारतीय कंपनियों के विदेश में बड़े अधिग्रहण मुनाफे का सौदा साबित हो रहे हैं।
भारतीय कंपनियों के बड़े विदेशी अधिग्रहण सौदों की पड़ताल से पता चलता है कि भारतीय इकोनॉमी में तेज वृद्धि के बावजूद विदेशी बाजार में उनकी पैठ देसी बाजार के मुकाबले 1.6 से 17.6% बढ़ी है।
इस एनालिसिस में साल 2000 के बाद हुए शीर्ष 5 विदेशी अधिग्रहण सौदों को शामिल किया गया, जिन सौदों में कई निवेशक समूह थे, उन्हें इस एनालिसिस में शामिल नहीं किया गया।
विदेशी कंपनियों को एक्वायर करने के बाद बढ़ी कंपनियों की ग्रोथ
- टाटा स्टील ने 2007-08 में 12.7 अरब डॉलर में कोरस ग्रुप का अधिग्रहण किया। इस सौदे के बाद टाटा स्टील का डोमेस्टिक कारोबार सालाना 13.2% की रेट से बढ़ा। वहीं, कंपनी का विदेशी कारोबार 14.8% की रेट से बढ़ा।
- भारती एयरटेल ने वित्त वर्ष 2011 में 10.7 अरब डॉलर में जईन अफ्रीका का अधिग्रहण किया। कंपनी की विदेशी आय 24.7% की सालाना दर से बढ़ी लेकिन घरेलू कारोबार में 7.1% का इजाफा हुआ।
- हिंडाल्को इंडस्ट्रीज ने वित्त वर्ष 2008 में 5.8 अरब डॉलर में अमेरिकी कंपनी नोवेलिस का अधिग्रहण किया था। विदेशी विंग से आय 19% से बढ़ी, जो घरेलू बिजनेस से दोगुना है। 2024 में हिंडाल्को की आय में नोवेलिस का हिस्सा 60% है।
- एग्रीकल्चर केमिकल कंपनी UPL ने 2019 में 4.2 अरब डॉलर में एरिस्टा लाइफसाइंसेज का अधिग्रहण किया। इसकी विदेशी आय में 17.7% वृद्धि हुई, जबकि देसी कारोबार से आय केवल 8.8% बढ़ी।
- टाटा मोटर्स ने फोर्ड मोटर कंपनी से 2.3 अरब डॉलर में जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण किया। उसकी विदेशी आय में 13.8% वृद्धि हुई, पर घरेलू आय 11.2% बढ़ी।
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