मुंबई9 मिनट पहले
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SEBI प्रमुख माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने हिंडनबर्ग के आरोपों को छवि धूमिल करने की कोशिश बताया है।
अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने कहा कि हमारी रिपोर्ट पर SEBI चेयरपर्सन माधबी बुच ने प्रतिक्रिया देते हुए कई चीजें स्वीकार की हैं, जिससे कई नए प्रश्न खड़े हो गए हैं। हिंडनबर्ग ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर लिखा- बुच की प्रतिक्रिया से बरमूडा/मॉरीशस के एक फंड में विनोद अडाणी के निवेश की पुष्टि होती है। इसके अलावा उनके ओर से कथित रूप से गबन किए गए पैसों की भी पुष्टि होती है।
उन्होंने यह भी पुष्टि की है कि यह फंड उनके पति के बचपन के दोस्त के जरिए चलाया जाता था, जो उस समय अडाणी के डॉयरेक्टर थे। SEBI को अडाणी मामले से संबंधित निवेश फंडों की जांच करने का काम सौंपा गया था, जिसमें माधबी पुरी बुच की ओर से निवेश किया गया। यह स्पष्ट रूप से हितों का एक बड़ा टकराव है।
हिंडनबर्ग ने बुच दंपति पर उठाए नए सवाल
- बुच ने दावा किया है कि वे दोनों कंल्सटिंग कंपनियों से 2017 में SEBI में नियुक्त होते ही हट गई थीं, लेकिन मार्च 2024 की शेयरहोल्डिंग बताती है कि अगोरा एडवायजरी (इंडिया) में माधबी की 99% हिस्सेदारी है। यह कंपनी अब भी कमाई कर रही है।
- अगोरा पार्टनर्स सिंगापुर में माधबी की 16 मार्च 2022 तक 100% हिस्सेदारी थी, यानी SEBI में पूर्णकालिक सदस्य रहते समय तक। उन्होंने SEBI चेयरपर्सन बनने के दो हफ्ते बाद अपने शेयर पति के नाम पर ट्रांसफर किए थे।
- अगोरा एडवायजरी ने वित्त वर्षों (22,23, 24) में 2.3 करोड़ रुपए राजस्व कमाया, जबकि इस दौरान वे SEBI की चेयरपर्सन हैं।
- यह भी अहम है कि बुच ने SEBI का पूर्णकालिक सदस्य रहते हुए अपने निजी ई-मेल आईडी से अपने पति के नाम का इस्तेमाल कर बिजनेस किया।
जिस फंड का जिक्र उसमें SEBI चेयरपर्सन ने 2015 में निवेश किया था
माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने रविवार (11 अगस्त) को बयान जारी कर हिंडनबर्ग के आरोपों का खंडन किया था। SEBI चेयरपर्सन ने कहा – जिस फंड का जिक्र किया गया है उसे उन्होंने 2015 में लिया था। तब उनका SEBI से कोई संबंध नहीं था।
उन्होंने हिंडनबर्ग पर आरोप लगाया कि भारत में अलग-अलग मामलों में हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नोटिस का जवाब देने के बजाय, उन्होंने SEBI की विश्वसनीयता पर हमला करने और SEBI चीफ के चरित्र हनन करने का विकल्प चुना है।
अडाणी समूह ने कहा- हिंडनबर्ग ने जिनके नाम लिए, उनसे कारोबारी रिश्ते नहीं
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर अडाणी समूह ने कहा है, SEBI प्रमुख से ग्रुप के कारोबारी रिश्ते नहीं हैं। SEBI प्रमुख के साथ जिन लोगों के नाम लिए गए हैं, उनसे भी समूह का लेनदेन नहीं है। विदेशी होल्डिंग पर उठाए गए सवाल बेबुनियाद हैं। समूह की विदेशी होल्डिंग का स्ट्रक्चर पूरी तरह पारदर्शी है। इसका इस्तेमाल धन के हेरफेर के लिए नहीं किया गया।
ग्रुप ने कहा- हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का गलत इस्तेमाल किया। अडाणी ग्रुप पर लगाए आरोप पहले ही निराधार साबित हो चुके हैं। गहन जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2024 में हिंडनबर्ग के आरोपों को खारिज कर दिया था।
बुच दंपति ने कहा- सिंगापुर के फंड में निवेश 2015 में, SEBI से 2017 में जुड़ीं माधबी
- धवल 2010 से 2019 के बीच यूनिलीवर में काम करते हुए लंदन और सिंगापुर में रहे। माधबी 2011 से 2017 के बीच सिंगापुर में एक प्राइवेट इक्विटी फंड, फिर स्वतंत्र कंसल्टेंट रहीं। हिंडनबर्ग ने जिस निवेश की बात की है, वह दंपती ने 2015 में किया था।
- 2017 में माधबी SEBI में आईं। यह निवेश धवल ने बचपन के दोस्त अनिल आहूजा की सलाह पर किया, जो उसके CEO थे। 2018 में आहूजा ने यह फंड छोड़ दिया। तब तक इस फंड ने अडाणी समूह की किसी कंपनी के बॉन्ड, इक्विटी में निवेश नहीं किया था।
- धवल 2019 में ब्लैकस्टोन फंड से जुड़े। वे फंड की रियल एस्टेट विंग में नहीं थे। तब तक माधबी SEBI की चेयरमैन नहीं बनी थीं। धवल ने जब सिंगापुर स्थित फंड की संयुक्त हिस्सेदारी को अपने नाम किया, तो जानकारी SEBI के साथ सरकार को दी थी। यह जानकारी सिंगापुर सरकार और देश के आयकर विभाग को भी है।
- हिंडनबर्ग ने पहले से पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारियों को रहस्योद्घाटन जैसा बताया है। लेकिन SEBI के नोटिस का जवाब आज तक नहीं दिया। हिंडनबर्ग ने कई भारतीय कानूनों का उल्लंघन किया है।
10 अगस्त को हिंडनबर्ग ने क्या आरोप लगाए, पढ़ें…
- व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों से पता चलता है कि SEBI की वर्तमान चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति की अडाणी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों ऑफशोर फंडों (बरमूडा और मॉरीशस) में हिस्सेदारी थी, जिसका इस्तेमाल विनोद अडाणी ने किया था।
- ऐसा लगता है कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार 5 जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना अकाउंट खोला था। निवेश का सोर्स “सैलरी” है और कपल की नेटवर्थ $10 मिलियन आंकी गई है।
- माधबी बुच को अप्रैल 2017 में SEBI का “होलटाइम मेंबर” नियुक्त किया गया था। इस नियुक्ति से कुछ हफ्ते पहले, माधबी के पति, धवल बुच ने मॉरीशस फंड एडमिनिस्ट्रेटर ट्राइडेंट ट्रस्ट ग्लोबल डायनेमिक अपॉर्चुनिटीज फंड में निवेश के संबंध में ईमेल लिखा था।
- ईमेल में, धवल बुच ने “खातों को संचालित करने के लिए अधिकृत एकमात्र व्यक्ति होने” का अनुरोध किया था। हिंडनबर्ग ने कहा- ऐसा लगता है कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील नियुक्ति से पहले संपत्ति को अपनी पत्नी के नाम से हटा दिया गया है।
- 26 फरवरी, 2018 को माधबी बुच के निजी ईमेल को संबोधित एक बाद के अकाउंट स्टेटमेंट में, स्ट्रक्चर की पूरी डिटेल्स सामने आई है: GDOF Cell 90 (IPEplus Fund 1)। उस समय बुच की हिस्सेदारी की वैल्यू 8.72 लाख डॉलर थी।
- अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक, माधबी का एगोरा पार्टनर्स नाम की सिंगापुर ऑफशोर कंसल्टिंग फर्म अगोरा पार्टनर्स में 100% इंटरेस्ट था। 16 मार्च, 2022 को, SEBI चेयरपर्सन के रूप में नियुक्ति के बाद, उन्होंने चुपचाप शेयर अपने पति को ट्रांसफर कर दिए।
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि अडाणी समूह को लेकर जनवरी 2023 में किए गए खुलासों के बावजूद SEBI ने अडाणी ग्रुप के खिलाफ कोई पब्लिक एक्शन नहीं लिया।
अडाणी ग्रुप पर लगाए थे मनी लॉन्ड्रिंग, शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप
24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, बाद में इसमें रिकवरी आई। इस रिपोर्ट को लेकर भारतीय शेयर बाजार रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने हिंडनबर्ग को 46 पेज का कारण बताओ नोटिस भी भेजा था।
1 जुलाई 2024 को पब्लिश किए अपने एक ब्लॉग पोस्ट में हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि नोटिस में बताया गया है कि उसने नियमों उल्लंघन किया है। कंपनी ने कहा, SEBI ने आरोप लगाया है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में पाठकों को गुमराह करने के लिए कुछ गलत बयान शामिल हैं। इसका जवाब देते हुए हिंडनबर्ग ने SEBI पर ही कई तरह के आरोप लगाए थे।
रिपोर्ट के बाद अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 59% गिरा था
24 जनवरी 2023 (भारतीय समय के अनुसार 25 जनवरी) को अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर का प्राइस 3442 रुपए था। 25 जनवरी को ये 1.54% गिरकर 3388 रुपए पर बंद हुआ था। 27 जनवरी को शेयर के भाव 18% गिरकर 2761 रुपए पर आ गए थे। 22 फरवरी तक ये 59% गिरकर 1404 रुपए तक पहुंच गए थे। हालांकि, बाद में शेयर में रिकवरी देखने को मिली।
शॉर्ट सेलिंग यानी, पहले शेयरों को बेचना और बाद में खरीदना
शॉर्ट सेलिंग का मतलब उन शेयरों को बेचने से है जो ट्रेड के समय ट्रेडर के पास होते ही नहीं हैं। इन शेयरों को बाद में खरीद कर पोजीशन को स्क्वायर ऑफ किया जाता है। शॉर्ट सेलिंग से पहले शेयरों को उधार लेने या उधार लेने की व्यवस्था जरूरी होती है।
आसान भाषा में कहे तो जिस तरह आप पहले शेयर खरीदते हैं और फिर उसे बेचते हैं, उसी तरह शॉर्ट सेलिंग में पहले शेयर बेचे जाते हैं और फिर उन्हें खरीदा जाता है। इस तरह बीच का जो भी अंतर आता है, वही आपका प्रॉफिट या लॉस होता है।