किसानों के लिए खुशखबरी, इन फलों की खेती से होगा दोगुना मुनाफा | कीवी की खेती | ड्रैगन फ्रूट की खेती | एवोकाडो की खेती | Dragon Fruit Cultivation


ड्रैगन फ्रूट की खेती

भारत के अधिकतर किसान पारंपरिक खेती को छोड़ कर गैर- पारंपरिक खेती करना पसंद कर रहे हैं। अधिकतर किसान फलों की खेती करके अधिक पैदावार के साथ ही अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। देश में मानसून की शुरूआत हो चुकी है। ऐसे में किसान बरसात के समय इन फलों की खेती से पूरा फायदा उठा सकते हैं। अधिकतर किसान कम समय में फलों की खेती करके काफी अच्छी उपज के साथ  मुनाफा कमा सकते हैं। इन फलों की खेती से भी आप तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं।

कीवी की खेती Kiwi Cultivation:

कीवी एक छोटा और हरे रंग का फल है, यह फल स्वादिष्ट और कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें विटामिन सी, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। कीवी का सेवन करने से पाचन तंत्र और इम्यूनिटी बढ़ाने में भी मदद मिलती है। इस फल की खेती अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में की जाती है, जहां ठंडी हवा आसानी से पहुंच सके। इसकी खेती के लिये गहरी, दोमट, बलुई दोमट या हल्की अम्लीय मिट्टी में कर सकते हैं। एक हेक्टेयर में किसान कीवी की खेती करके 12 -15 टन फल प्राप्त कर सकते हैं। 

ड्रैगन फ्रूट की खेती Dragon Fruit Cultivation:

भारत में ड्रैगन फ्रूट की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। ड्रैगन फ्रूट पोषणीय होने के साथ-साथ एक आकर्षक फल भी है, इसका सबसे अधिक उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उत्पादन किया जाता है। किसान इस फल की खेती कम समय और कम पानी के साथ कर सकते हैं। ड्रैगन फ्रूट को उगाने के लिए जमीन के अंदर सीमेंट के खंभे लगाए जाते हैं। ड्रैगनफ्रूट की खेती के लिए सबसे सर्वोत्तम तापमान 25 से 30 डिग्री माना जाता है तथा अधिकतम तापमान 35 डिग्री तक ही होना चाहिए। 

एवोकाडो की खेती Avocado Cultivation:

एवोकाडो फल की देश में तेजी से लोकप्रियता बढ़ रही है, इस फल में कई पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें विटामिन बी, सी, ई, मैग्नीशियम, पोटेशियम, कार्बोहाइड्रेट, और फाइबर जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। एवोकाडो के पौधे के लिए 22 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच वाली मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। 

स्ट्रॉबेरी की खेती: स्ट्रॉबेरी फल ठंडे जलवायु वाले क्षेत्रों में उगाई जाती है। इसकी खेती उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर के उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है। इसका पौधा कम समय में फल देने के लिए परिपक्व हो जाता है। स्ट्रॉबेरी की बुवाई के लिए सितंबर-अक्टूबर का महीना उपयुक्त माना जाता है। बुवाई करने से पहले खेत की अच्छे से जुताई करके मिट्टी में गोबर से बनी खाद को अच्छे से मिलाना चाहिए। किसान स्ट्रॉबेरी की खेती से लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं।



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