Eight top companies see combined valuation slump by Rs 2.01 lakh crore | टॉप-10 कंपनियों में से 8 का मार्केट-कैप ₹2.01 लाख-करोड़ घटा: रिलायंस टॉप लूजर रही, इसकी वैल्यू ₹60 हजार करोड़ घटकर 19.82 लाख करोड़ हुई

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मुंबई11 मिनट पहले

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पिछले हफ्ते के कारोबार में देश की टॉप-10 कंपनियों में से 8 का कंबाइन मार्केट कैपिटलाइजेशन 2.01 लाख करोड़ रुपए घटा है। इनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज को सबसे ज्यादा घाटा हुआ है। इसका मार्केट कैप ₹60,824 करोड़ घटकर 19.82 लाख करोड़ रह गया है।

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज यानी TCS का मार्केट कैप ₹34,136 करोड़ घटकर 16.12 लाख करोड़ रह गया है। वहीं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यानी SBI का मार्केट कैप ₹29,495 करोड़ घटकर ₹6.98 लाख करोड़ रह गया है।

इसके अलावा भारती एयरटेल, इंफोसिस, LIC, ICICI बैंक और ITC की मार्केट वैल्यू घटी है। वहीं HDFC बैंक और HUL की मार्केट वैल्यू बढ़ी है।

HUL का मार्केट कैप ₹14,179 करोड़ बढ़ा वहीं HUL का मार्केट कैप ₹14,179 करोड़ बढ़कर ₹6.66 लाख करोड़ हो गया है। HDFC बैंक का मार्केट कैप ₹3,735 करोड़ बढ़कर ₹12.47 लाख करोड़ हो गया है।

पिछले सप्ताह सेंसेक्स में 1.69% की गिरावट रही पिछले पूरे कारोबारी सप्ताह में सेंसेक्स में 1.69% की गिरावट रही। निफ्टी में भी 1.79% की गिरावट रही थी। वहीं हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार यानी 6 सितंबर को शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली थी।

सेंसेक्स 1017 अंक (1.24%) की गिरावट के साथ 81,183 के स्तर पर बंद हुआ था। निफ्टी में भी 292 अंक (1.17%) की गिरावट रही, ये 24,852 के स्तर बंद हुआ था।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है? मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटस नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।

मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।

मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)

मार्केट कैप कैसे काम आता है? किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।

कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है? मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।

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