Diabetes Diet: इन आटे की रोटियों को मधुमेह के मरीजों खाना चाहिए, ब्लड शुगर रहेगी नियंत्रित


भारत में मधुमेह की बीमारी तेजी से फैल रही है। हर उम्र के लोग इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। मधुमेह, जिसे आम भाषा में डायबिटीज कहा जाता है, एक ऐसा रोग है जो खराब खानपान और बिगड़ी लाइफस्टाइल के कारण हो सकता है। मधुमेह के रोगियों को अपने खानपान का बहुत ख्याल रखने की आवश्यकता होती है। खानपान में जरा सी भी गलती की गई तो ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाती है और तबीयत बिगड़ सकती है। मधुमेह का अब तक कोई स्थायी इलाज नहीं है लेकिन इस बीमारी को लाइफस्टाइल में बदलाव करके और सही खानपान के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है। घर में ज्यादातर गेंहू का आटा ही खाया जाता है लेकिन मधुमेह के रोगी कुछ खास आटे से बनी रोटियों को खा सकते हैं जिससे शरीर को भरपूर मात्रा में फाइबर मिलता है और स्वास्थ्य दुरुस्त रहता है और ब्लड शुगर सामान्य रहता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार जानिए हमें किस आटे के बनी रोटियां खानी चाहिए-
राजगिरा आटा
राजगिरा आटा का इस्तेमाल कई घरों में व्रत के दौरान किया जाता है। राजगिरा को रामदाना भी कहा जाता है। राजगिरा के आटे में कार्बोहाइड्रेट की कम मात्रा होती है, राजगिरा आटे में फाइबर की अत्यधिक मात्रा पायी जाती है। इसमें विटामिन, खनिज और लिपिड्स भी पाए जाते हैं। ऐसे में यह आटा शरीर में ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। राजगिरा के आटे से रोटी, चीला आदि बनाए जा सकते हैं। राजगिरा का आटा मधुमेह के रोगियों के लिए बेहद लाभदायक साबित हो सकता है। 

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ज्वार का आटा 
ज्वार एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। इसमें कैल्शियम, आयरन और विटामिन बी की भी अच्छी खासी मात्रा पायी जाती है। इतना ही नहीं, इसमें आयरन, पोटेशियम और फॉसफोरस भी पाया जाता है। ज्वार का आटा ब्लड शुगर लेवल और ब्लड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है और पाचन को बेहतर करने में भी यह असरदार है। ज्वार के आटे से रोटियां ही नहीं बल्कि डोसा और उपमा आदि बनाकर भी खाया जा सकता है।
चने का आटा 
फाइबर से भरपूर चने का आटा ब्लड शुगर कम करने के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल कम करने में भी असरदार है। यह आटा इंसुलिन रेसिस्टेंस को रोकता है जिससे ब्लड शुगर लेवल कम होने में सहायता मिलती है। इसके अतिरिक्त यह ग्लूटन फ्री होता है और खाने में भी स्वादिष्ट है। चने के आटे की रोटियां मधमेह के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होती है।
रागी का आटा
रागी को मंडुआ भी कहा जाता है, इसके आटे की रोटी मधुमेह के मरीजों के लिए लाभदायक साबित हो सकती है। पहाड़ों पर रागी का इस्तेमाल खाने में कई अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। रागी में कैल्शियम और आयरन के साथ फाइबर और प्रोटीन की मात्रा अच्छी होती है। इसे खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है और भूख कम लगती है। रागी के आटे से रोटी के अलावा डोसा, चीला और लड्डू भी बनाए जा सकते हैं।



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