क्रायोजेनिक्स – Drishti IAS


क्रायोजेनिक्स

स्रोत: द हिंदू 

क्रायोजेनिक्स को माइनस 153 डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान पर पदार्थ विज्ञान के रूप में परिभाषित किया गया है। यह बेहद कम तापमान होता है, जहाँ हाइड्रोजन, नाइट्रोजन और वायु जैसी सामान्य गैसें भी अपनी तरल अवस्था में पहुँच जाती हैं।

  • क्रायोजेनिक्स, आमतौर पर क्रायोजेनिक तरल पदार्थ के रूप में हीलियम और नाइट्रोजन का उपयोग करता है, जो किसी पदार्थ को ठंडा करता है।
    • नाइट्रोजन का क्वथनांक – 196 डिग्री सेल्सियस और हीलियम का क्वथनांक – 269 डिग्री सेल्सियस होता है। इन तापमानों के नीचे वे तरल होते हैं।
    • इन तरल पदार्थों को वैक्यूम फ्लास्क में संगृहीत करने की आवश्यकता होती है अन्यथा वे लीक हो सकते हैं और अपने आसपास के वातावरण को हानि पहुँचा सकते हैं।

क्रायोजेनिक्स का उपयोग:

  • उदाहरण के लिये, हाइड्रोजन सबसे अच्छे रॉकेट ईंधन में से एक है, लेकिन इसका उपयोग केवल तरल पदार्थ के रूप में किया जा सकता है, इसलिये इसे क्रायोजेनिक रूप से ठंडा करने की आवश्यकता होती है।
  • क्रायोजेनिक हाइड्रोजन और क्रायोजेनिक ऑक्सीजन पॉवर इसरो के LVM-3 रॉकेट का तीसरा चरण है।
  • चिकित्सा उपचार में उपयोग किये जाने वाले चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) उपकरण अपने चुंबकों के प्रशीतन के लिये क्रायोजेनिक तरल पदार्थ का उपयोग करते हैं।

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और पढ़ें: 3D प्रिंटेड क्रायोजेनिक इंजन और अंतरिक्ष क्षेत्र का निजीकरण

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