[ad_1]
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मुस्लिमों के लिये ओबीसी कोटा रद्द किया
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत मुसलमानों सहित कई समुदायों को आरक्षण प्रदान करने वाले पश्चिम बंगाल सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है।
- वर्ष 2013 में पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग (अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के अतिरिक्त) (रिक्तियों और पदों का आरक्षण) अधिनियम, 2012 को अधिसूचित किया गया था, जिसके तहत 77 समुदायों (75 मुस्लिम समुदायों सहित) को अधिनियम की अनुसूची I में शामिल किया गया था।
- कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने पाया कि पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग और राज्य सरकार द्वारा आरक्षण प्रदान करने के लिये धर्म “एकमात्र” आधार रहा है, जो संविधान के अनुच्छेद 16 व पूर्व में न्यायालय द्वारा दिये गए आदेशों के तहत निषिद्ध है।
- न्यायालय ने विशेष रूप से इंद्रा साहनी बनाम भारत संघ (1992) के ऐतिहासिक निर्णय का हवाला दिया, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने स्थापित किया था कि आरक्षण के प्रयोजनों के लिये ओबीसी श्रेणियों की पहचान और पदनाम केवल धार्मिक संबद्धता के आधार पर नहीं हो सकता।
- अन्य राज्यों में भी समान धर्म-आधारित आरक्षण:
- केरल: अपने 30% ओबीसी कोटे के अंतर्गत 8% मुस्लिम कोटा प्रदान करता है।
- तमिलनाडु और बिहार: अपने ओबीसी कोटे में मुस्लिम जाति समूहों को भी शामिल करते हैं।
- कर्नाटक: 32% ओबीसी कोटे के अंतर्गत मुसलमानों के लिये 4% उप-कोटा था।
- आंध्र प्रदेश: पिछड़े मुस्लिम समुदाय को 5% आरक्षण कोटा प्रदान करता है।
और पढ़ें: आंध्र प्रदेश में मुसलमानों के लिये आरक्षण का मुद्दा
Please enable JavaScript to view the comments powered by Disqus.
[ad_2]
Source link