Why Byju’s and Paytm Slips: एक समय फिनटेक प्लेटफॉर्म पेटीएम (Paytm) और एडुटेक प्लेटफॉर्म बायजूज (Byju’s) तेजी से ऊपर की सीढ़ियां चढ़ रहे थे। अब समय ये है कि दोनों ही दिग्गज स्टार्टअप दिक्कतों से जूझ रहे हैं। इसकी कई वजहें हैं लेकिन दिग्गज निवेशक और सोरिन इनवेस्टमेंट्स के फाउंडर संजय नायर के मुताबिक दोनों के को-फाउंडर्स के ओवरकॉन्फिडेंस और फीडबैक को लेकर बेरुखी ने मिलकर इनके ग्रोथ की रफ्तार उल्टी की है। संजय नायर ने ये बातें मनीकंट्रोल स्टार्टअप कॉन्क्लेव के दूसरे एडीशन के दौरान चर्चा में कही। इस मौके पर एस्सेल (Accel) के फाउंडिंग पार्टनर प्रशांत तापसे ने भी दोनों नामी-गिरामी स्टार्टअप के संघर्षों से सीख पर रोशनी डाली।
मुझे सब आता है, इस नजरिए ने पहुंचाया नुकसान
संजय नायर ने कहा कि फाउंडर में थोड़ा-बहुत घमंड आ जाता है लेकिन ‘मैं सब जानता हूं। मुझे पता है क्या करना है। मुझे चुनौती मत दो. मुझसे सवाल मत करो’ इस रुझान ने दोनों स्टार्टअप्स के सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा कर दिया। उन्होंने आगे कहा कि इस रवैये के चलते आमतौर पर जो अहम फीडबैक होता है, उस पर भी ध्यान नहीं जाता है। एक तरह से आप सुनते हो लेकिन ऐसा कह सकते हैं कि नहीं सुनते हो यानी उस पर ध्यान ही नहीं देते हो। संजय के मुताबिक फाउंडर्स के आस-पास ऐसा माहौल तैयार हो गया, जो उन्हें बुरी खबरें ही नहीं देना चाहता, जो उनसे सवाल नहीं पूछ सकता है।
संजय ने हालांकि किसी कंपनी का नाम उदाहरण के तौर पर तो नहीं लिया लेकिन उन्होंने ये बातें बायजूज और पेटीएम की चुनौतियों और इससे स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए सबक पर पूछे गए सवाल के जवाब में कही। संजय ने निवेशकों और फाउंडर्स के बीच खुली बातचीत की जरूरत बताई।
‘मुख्य कारोबारी मॉडल को बीच में न छोड़ें’
प्रशांत तापसे ने भी कहा कि आईपीओ लाने से पहले बिजनेस मॉडल अच्छे से स्थापित हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आईपीओ लाने से पहले आपको स्पष्ट हो जाना चाहिए कि क्या आपका मुख्य कारोबारी मॉडल मेच्योर हो चुका है? और क्या प्रोडक्ट ऐसा हो चुका है जिसे नए रास्ते की तलाश करने की बजाय आगे बढ़ाया जा सकता है? अधिग्रहण को लेकर भी प्रकाश ने कहा कि अगर यह कंपनी को मुख्य लक्ष्य से दूर ले जाता है तो इससे दूर ही रहना अच्छा है। प्रकाश के मुताबिक अपने प्रोडक्ट की पहले से मार्केटिंग न करें और यह सुनिश्चित करें कि जो वादा किया गया है, वह प्रोडक्ट के अनुरूप ही हो।
उदाहरण के लिए बायजूज ने आक्रामक तरीके से कंपनियों की खरीदारी शुरू कर दी जिससे यह सवाल उठने लगा कि क्या यह कदम उसकी मुख्य कारोबारी रणनीति के अनुरूप हैं। वहीं दूसरी तरफ पेटीएम लगातार कारोबारी घाटे के बावजूद आईपीओ लेकर आई जिससे इसके बिजनेस मॉडल की मेच्योरिटी को लेकर चिंता होने लगी।