[ad_1]
Byju’s News: एक समय स्टार्टअप का पोस्टर बन चुकी बायजूज अर्श से फर्श पर आ चुकी है। बायजूज को अब अमेरिकी कोर्ट से करारा झटका लगा है। डेलवेयर सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर को इसके 120 करोड़ डॉलर के टर्म लोन बी पर डिफॉल्ट पाया है। इसके चलते बायजूज के हाथ से इसकी अमेरिकी इकाई निकल गई। अमेरिकी कोर्ट ने डेलावेयर कोर्ट ऑफ चांसरी के फैसले का सपोर्ट किया है जिसमें ग्लास ट्रस्ट की अगुवाई में इसके लेंडर्स को बायजूज की अमेरिकी सब्सिडियरी अल्फा इंक का नियंत्रण दिया गया था। बायजूज ने टर्म लोन के लिए इसे गिरवी रखा था।
Alpha को गिरवी रख लिया था 120 करोड़ डॉलर का लोन
बायजूज को 120 करोड़ डॉलर का लोन 37 विततीय संस्थानों ने दिया था। लोन की शर्तों के तहत लेंडर्स की तरफ से ग्लास ट्रस्ट को यह हक मिला कि अगर बायजूज डिफॉल्ट होती है तो इसके एसेट्स पर दावा कर सकती है। बायजूज जब लोन की शर्तों को पूरा नहीं कर पाई तो मार्च 2023 में बायजूज को डिफॉल्ट का नोटिस थमा दिया और ग्लास ट्रस्ट ने बायजूज की अल्फा इंक पर नियंत्रण लेने का कोशिश की। अगस्त 2023 में डेलवेयर कोर्ट ऑफ चांसरी ने ग्लास के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि लेंडर्स एग्रीमेंट की शर्तों के मुताबिक ही काम कर रहे हैं।
बायजूस ने इस फैसले के खिलाफ डेलावेयर सुप्रीम कोर्ट में अपील की। बायजूज ने कहा कि चूंकि यह मामला अभी न्यूयॉर्क कोर्ट में चल रहा है तो सुप्रीम कोर्ट को इसे खारिज कर देना चाहिए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि बायजूज अब इस मामले में कुछ कहने का हक छोड़ चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों नहीं माना Byju’s का तर्क
23 सितंबर को अपने फैसले में डेलवेयर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट ऑफ चांसरी से पहले बायजूज के पास मामला सुलझाने का काफी मौका था लेकिन बायजूज ऐसा नहीं कर पाई। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि अपील पर पहली बार पेश किए गए नए तर्कों पर विचार नहीं कर सकता, जब तक कि न्याय के लिए यह बहुत जरूरी न हो और यहां ऐसी स्थिति नहीं थी कि नए तर्क पर विचार किए जाएं।
Glass Trust ने भारत में भी किया है मुकदमा
ग्लास ट्रस्ट ने 120 करोड़ डॉलर के लिए लोन के लिए अमेरिका ही नहीं भारत में भी मुकदमा किया है लेकिन भारत में चल रही दिवालिया प्रक्रिया के तहत इसे हाल ही में कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) से हटा दिया गया है। यह फैसला इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (IRP) पंकज श्रीवास्तव ने लिया है। उनका कहना है कि ग्लास ट्रस्ट को कम से कम 51 फीसदी लेंडर्स का सपोर्ट नहीं है। इस फैसले के खिलाफ लेंडर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की हुई है।
[ad_2]
Source link