बायजूज (Byju’s) के बड़े निवेशकों ने कंपनी के फाउंडर बायजू रवींद्रन को हटाने और बोर्ड में बदलाव करने की मांग की है। यह न सिर्फ बायजूज के लिए बड़ा झटका है बल्कि इससे इंडियन स्टार्टअप्स में कॉर्पोरेट गवर्नेंस का मसला सुर्खियों में आ गया है। हालांकि, इसमें नया कुछ नहीं है। स्टार्टअप्स ने अब तक यह नहीं समझा है कि कॉर्पोरेट गवर्नेंस उनकी जिम्मेदारी है। पिछले कुछ महीनों से कंपनी मामलों का मंत्रालय (MCA) स्टार्टअप्स के लिए कॉर्पोरेट गवर्नेंस को अनिवार्य बनाने के लिए गाइडलाइंस तैयार करने के बारे में सोच रहा है। देर से ही सही, लेकिन बायजूज के बड़े निवेशकों ने कड़े फैसले लिए हैं। यह पूरे स्टार्टअप इकोसिस्टम के हित में हो सकता है। उन्हें न सिर्फ कॉर्पोरेंट गवर्नेंस की अनदेखी की वजह से यह कदम उठाना पड़ा बल्कि बायजूज का 25 करोड़ डॉलर की वैल्यूएशन पर राइट्स इश्यू के जरिए फंड जुटाने की कोशिश ने उन्हें कंपनी के खिलाफ खुलकर आ जाने को मजबूर कर दिया।
सालों से बायजूज कॉर्पोरेट गवर्नेंस की अनदेखी कर रही थी
प्राइवेट इक्विटी की दुनिया में जो चीज सबसे अहम है वह है वैल्यूएशन। जब तक किसी स्टार्टअप की वैल्यूएशन बढ़ती रहती है, कोई सवाल नहीं पूछा जाता। जैसे ही वैल्यूएशन गिरती है चारों ओर से सवाल उठने लगते हैं। बायजूज के निवेशकों ने गवर्नेंस, फाइनेंशियल मिसमैनेजमेंट और कंप्लायंस के जो मसले उठाए हैं, वे नए नहीं हैं। सालों से यह कंपनी बुनियादी कॉर्पोरेट नॉर्म की अनदेखी करती आ रही है। ऑडिटेड रिजल्ट्स के ऐलान में देर होती रही। उसने अपने कर्ज चुकाने से इनकार किया। इसके ऑडिटर्स ने रहस्यम तरीके से इस्तीफा दिए। ये सभी शेयरहोल्डर्स के लिए मैनेजमेंट में बदलाव की मांग करने के लिए पर्याप्त कारण थे। इनवेस्टर्स को इन बातों की चिंता थी, लेकिन वे खुलकर सामने आने को तैयार नहीं थे।
वैल्यूएशन घटते ही कंपनी के कामकाज को लेकर सवाल
जब तक वैल्यूएशन बढ़ती रही किसी तरह का विरोध देखने को नहीं मिला। 2019 से 2022 के बीच बायजूज की वैल्यूएश 5.5 अरब डॉलर से बढ़कर 22 अरब डॉलर पहुंच गई। हालांकि, इस बात के स्पष्ट सबूत थे कि कंपनी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। जून 2023 में पेमेंट को लेकर विवाद और एंप्लॉयीज को कंपनी से बाहर करने का सिलसिला शुरू हुआ। Prosus ने कंपनी की वैल्यूएशन 75 फीसदी तक घटा दी। एक महीने बाद Blackrock ने भी वैल्यूएशन में कम कर दी। जून में ऑडिटर Deloitte ने इस्तीफा दे दिया। एक महीने बाद Prosus, Peak XV और Chan Zuckerberg Initiative ने भी खराब कॉर्पोरेट गवर्नेंस का हवाला देते हुए बाहर हो गए।
बायजू रवींद्र के साथ दूसरे लोग भी नाकामी के लिए जिम्मेदार
यह दलील कि पहली बार आंत्रप्रेन्योर बने रवींद्रन को कॉर्पोरेट गवर्नेंस की समझ नहीं है, सही नहीं लगती। बायजूज की नाकामी के लिए रवींद्रन को जिम्मेदार ठहराना स्वाभाविक है। लेकिन, ऐसा नहीं है कि कंपनी से उन्हें बाहर कर देने से खराब हालात के लिए जिम्मेदार दूसरे लोग भी बरी हो जाएंगे। अगर पेटीएम के पेमेंट्स बैंक के मसले को इसके साथ जोड़ कर देखा जाए तो यह साफ हो जाता है कि इंडियन स्टार्टअप इकोसिस्टम की बीमारी गंभीर है।
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