Ayurvedic tips to improve iodine levels: हमारे शरीर को नियमित रूप से पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। यह पोषक तत्व हमें आपने आहार से मिलते हैं। ठीक इसी तरह आयोडिन भी हमारे लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है, जो हमे कई तरह की समस्याओं से बचाता है। आयोडिन की कमी के कारण थायरॉइड व गले में घेंघा रोग हो सकता है। इसलिए नमक के जरिए आयोडिन लेने की सलाह दी जाती है। आप आयोडिन के स्तर को नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेदिक उपाय की मदद ले सकते हैं। इस लेख में डॉ. डिंपल जांगड़ा, आयुर्वेद और गट हेल्थ कोच, अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में आयोडीन की कमी को दूर करने के आसान आयुर्वेदिक उपायों के बारे में बताया गया है।
आयोडीन क्यों आवश्यक है? – Importance Of Iodine In Hindi
इससे पहले कि हम आपको आयोडिन को नियंत्रित करने के आयुर्वेदिक उपाय बताए, उससे पहले आपको शरीर में आयोडीन के महत्व को समझना आवश्यक है। आयोडीन थायराइड हार्मोन हार्मोन के बनने और अवशोषण, मेटाबॉलिज्म, वृद्धि और विकास को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयोडीन की कमी से थायरॉइड विकार, संज्ञानात्मक हानि (कॉग्नेटिव लॉस) और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
शरीर में आयोडीन की कमी होने पर अपनाएं ये आयुर्वेदिक उपाय – Ayurvedic Tips To Improve Iodine Levels In Hindi
आयोडीन युक्त आहार
आयोडीन के स्तर को बढ़ाने के लिए, अपने भोजन में आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे समुद्री शैवाल, समुद्री घास, सब्जियां और आयोडीन युक्त नमक शामिल करें। आयोडीन के ये प्राकृतिक स्रोत न केवल थायरॉइड फंक्शन को बेहतर करते हैं, बल्कि आपको आवश्यक मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट भी प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, आयोडीन युक्त मिट्टी में उगाए गए फलों और सब्जियों को भी आप डाइट में शामिल कर सकते हैं।
गुग्गल और अश्वगंधा का करें इस्तेमाल
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां लंबे समय से अपने चिकित्सीय गुणों और शरीर के हार्मोन को बैलेंस करने का काम करती आई हैं। कुछ जड़ी-बूटियां, जैसे गुग्गुल और अश्वगंधा, अपने थायराइड फंक्शन को सपोर्ट करती हैं। साथ ही, आयोडीन अवशोषण और उपयोग को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं।
नियमित रूप से बॉडी डिटॉक्स करें
आयुर्वेद में रोजाना बॉडी को डिटॉक्स करने पर जोर दिया जाता है। इससे शरीर में शुरु होने वाली समस्याएं अपने शुरुआती दौर में ही समाप्त हो जाती हैं। इससे थायराइड फंक्शन भी बेहतर होता है। इसमें वमन, एक्सोलिएशन को शामिल किया जाता है।
हार्मोनल बदलाव को नियंत्रित करें
आयुर्वेद मन और तन के साथ तालमेल बैठाने के लिए ध्यान क्रियाएं की जाती है। इससे शरीर के हार्मोन बैलेंस होते हैं। वहीं, व्यक्ति को पोषक तत्व जैसे आयोडीन की वजह होने वाली समस्याओं से बचाव होता है। इसके लिए आप प्राणायाम का अभ्यास कर सकते हैं।
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आयुर्वेद के अनुसार, पोषक तत्वों के अवशोषण और विषाक्त पदार्थों के बाहर करने के लिए उचित पाचन आवश्यक है। कमजोर पाचन अग्नि (अग्नि) आयोडीन अवशोषण को बाधित कर सकती है और पोषक तत्वों की कमी का कारण बन सकती है। पाचन अग्नि को बढ़ाने के लिए अदरक, हल्दी और जीरा जैसे गर्म मसालों का सेवन करें और पके हुए, आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल करें।