2 अरब डॉलर जुटाएंगी NBFC


सरकार की इनफ्रास्ट्रक्टर फाइनैंस कंपनी (आईएफसी) सहित 8 गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) ने बाह्य वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) के माध्यम से 2 अरब डॉलर से अधिक जुटाने की योजना बनाई है। विदेश के बाजारों में भारतीय फर्मों के अनुकूल माहौल को देखते हुए यह योजना बनाई गई है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के मुताबिक आरबीआई में ईसीबी को लेकर जनवरी 2024 में अभिरुचि दाखिल करने वाली NBFC में आरईसी लिमिटेड (50 करोड़ डॉलर से अधिक), टाटा मोटर्स फाइनैंस (20 करोड़ डॉलर), एलऐंडटी फाइनैंस होल्डिंग्स (12.5 करोड़ डॉलर), श्रीराम फाइनैंस (75 करोड़ डॉलर) शामिल हैं।

भारतीय स्टेट बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत की कंपनियों और उच्च रेटिंग वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) द्वारा विदेश से उधारी बढ़ सकती है क्योंकि हेजिंग की लागत कम है और वैश्विक ब्याज दरों में कमी का रुख है।

एसबीआई के अधिकारी का समर्थन करते हुए एक बड़ी NBFC से जुड़े शीर्ष अधिकारी ने कहा कि फंड के स्रोत का विस्तार करने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब घरेलू स्तर पर धन जुटाने से तुलना की जाती है तो कुल मिलाकर यह सस्ता पड़ता है।

सार्वजनिक क्षेत्र के एक कर्जदाता ने कहा कि यह धन भारत के बैकों की विदेशी शाखा द्वारा जुटाई जा रही है, लेकिन जोखिम प्रबंधन के हिसाब से उसके घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों एक्सपोजर को देखना जरूरी है। फरवरी के लिए रिजर्व बैंक के मासिक बुलेटिन ‘स्टेट आफ इकॉनमी’ के मुताबिक अप्रैल-दिसंबर 2023 के दौरान ईसीबी पंजीकरण (36.1 अरब डॉलर) और डिस्बर्समेंट (26.6 अरब डॉलर) का स्तर इसके पहले के साल की समान अवधि से अधिक था।

वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही के दौरान ईसीबी पंजीकरण की असमान्य रूप से अधिक राशि (21 अरब डॉलर) के बाद 2023-24 की दूसरी और तिमाही के दौरान क्रमशः 8 अरब डॉवर और 7 अरब डॉलर के पंजीकरण से स्थिति सामान्य हो गई।

मूल के पुनर्भुगतान को समायोजित करने के बाद शुद्ध ईसीबी प्रवाह इस साल अब तक 5.6 अरब डॉलर रहा है, जबकि पिछले साल की समान अवधि के दौरान शुद्ध आउटफ्लो 2.3 अरब डॉलर था। अप्रैल-दिसंबर 2023 के दौरान कुल पंजीकृत ईसीबी में से तीन चौथाई से ज्यादा पूंजीगत व्यय के लिए था। साथ ही जुटाया गया करीब तीन चौथाई ईसीबी एक्सप्लिसिट हेजिंग, रुपये में लिए गए कर्ज, या विदेशी मूल कंपनी से लिए कर्ज के रूप में आया था।

इससे ब्याज और विनिमय दर की संवेदनशीलता में कमी आई। अप्रैल-जुलाई के दौरान सिक्योर्ड ओवरनाइट फाइनैंसिंग रेट (एसओएफआर) 50 आधार अंक बढ़ा है, जो ब्याज दर का वैश्विक मानक है लेकिन बाद में वैश्विक मौद्रिक नीति की सख्ती के कदमों से इसमें स्थिरता आ गई।

 

First Published – March 6, 2024 | 10:51 PM IST

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