नयी दिल्ली । विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारतीय कंपनियों को चीन के साथ व्यापार में संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, क्योंकि इसकी आपूर्ति श्रृंखला पर बहुत अधिक निर्भरता देश के राष्ट्रीय हित के लिए नुकसानदायक हो सकती है। उन्होंने उद्योग मंडल एसोचैम के एक कार्यक्रम में कहा कि वह भारतीय उद्योग से उस देश के साथ व्यापार न करने के लिए नहीं कह रहे हैं। चीन के साथ संबंधों पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वैश्विक विनिर्माण में 32-33 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले इस देश के साथ कई आपूर्ति श्रृंखलाओं को होकर गुजरना होगा।
उन्होंने कहा कि यह एक वास्तविकता है, जिसे हमें ध्यान रखना होगा। जयशंकर ने कहा, लेकिन, यह भी एक तथ्य है कि यदि आप किसी एक आपूर्ति श्रृंखला पर अत्यधिक निर्भर हो जाते हैं या आपूर्ति श्रृंखला के नाम पर आप अपने बाजार को इतना खोल देते हैं कि यह अब आपूर्ति श्रृंखला नहीं रह जाती, बल्कि इससे आपके क्षेत्र खोखले हो जाते हैं। तो आपको सावधान रहना होगा। उन्होंने कहा, कोई भी यह नहीं कह रहा है कि व्यापार न करें। लेकिन हम इतना कह रहे हैं कि इसके बारे में सोचें, इसका मूल्यांकन करें, इसके व्यापक नतीजों पर विचार करें।
विदेश मंत्री ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों के बीच लगभग साढ़े चार साल तक चले सीमा गतिरोध का भी संक्षेप में उल्लेख किया, जो पिछले महीने खत्म हुआ। पश्चिम एशिया की स्थिति के मद्देनजर लाल सागर में जलपोतों की आवाजाही में व्यवधान के बारे में पूछे गए एक सवाल पर जयशंकर ने कहा कि इससे व्यापार प्रभावित होता है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह हमारे लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। हमने अपना काम करने की कोशिश की है। हमने कुछ नौसेना के जहाज भी तैनात किए हैं। जयशंकर ने कहा कि आपूर्ति के लिए वैकल्पिक मार्ग परिवहन लागत बढ़ा रहे हैं और इस संबंध में ईरान और इजराइल सहित सभी प्रमुख पक्षों के साथ बातचीत की जा रही है।