बेंगलुरु30 मिनट पहलेलेखक: संचित श्रीवास्तव
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गांवों से चलने वाली देश की पहली टेक्नोलॉजी कंपनी जोहो अब उत्तर भारत में भी अपने प्रोजेक्ट्स शुरू करेगी। (फाइल फोटो: कंपनी के सीईओ श्रीधर वेम्बू )
गांवों से चलने वाली देश की पहली टेक्नोलॉजी कंपनी जोहो अब उत्तर भारत में भी अपने प्रोजेक्ट्स शुरू करेगी। कंपनी के सीईओ श्रीधर वेम्बू कहते हैं हमारे ऑफिस में कई कर्मचारी उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से हैं इसलिए हम अब उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में प्रोजेक्ट्स शुरू कर रहे हैं ताकि यहां के युवाओं को माइग्रेट न करना पड़े। सोनभद्र के अलावा भी हम यूपी के देवरिया जैसे शहरों में योजना शुरू करने की सोच रहे हैं। पढ़िए दैनिक भास्कर के साथ श्रीधर वेम्बू के साथ खास बातचीत…
सवाल : दक्षिण के बाद अब उत्तर भारत में प्रोजेक्ट्स क्यों शुरू कर रहे?
जवाब : यह जरूरी है क्योंकि हम देखते हैं कि हमारे चैन्नई ऑफिस में कई कर्मचारी उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से आते हैं। यह क्षेत्र काफी समृद्ध हैं, इसलिए हमारा उद्देश्य है कि उत्तर भारत के छोटे शहरों और गांव तक भी पहुंचें। ताकि माइग्रेशन को कम किया जा सके, लोग अपने होमटाउन में रहकर ही जॉब कर सकें।
फिलहाल उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में हमारा एक प्रोजेक्ट शुरू होने वाला है। इसी तरह आसपास के क्षेत्र में भी हम ऑफिस बनाएंगे। यूपी के पास बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य हैं, वहां भी हमारी नजर है। उम्मीद है कि साल के अंत तक हम उत्तर प्रदेश में अपना प्रोजेक्ट शुरू कर देंगे।
सवाल : ग्रामीण विकास पर जोर देना क्यों जरूरी है?
जवाब : हमें दो चीजों पर ध्यान देना होगा। रूरल डेवलपमेंट और रिसर्च एंड डेवलपमेंट। देश के सभी 832 जिले समृद्ध नहीं है। तो पहला कदम हमें रिसर्च पर लेना है कि भारत में इनवेनशन बढ़ाएं। लेकिन दूसरा कदम यह होना चाहिए कि यह सभी डेवलपमेंट सिर्फ कुछ चुनिंदा शहरों में न हो।
सारी नौकरियां अगर बैंगलुरु और मुंबई में होंगी तो पूरे देश की आबादी यहीं बस जाएगी। इससे हमारे शहर, जो पहले ही भीड़-भाड़ से परेशान हैं, उन पर दबाव बढ़ेगा। ऐसे में जरूरी है कि इनवेनशन गांवों से हों और हमारे छोटे शहर भी समृद्ध हो पाएं।
सवाल : आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से भारतीय टेक इंडस्ट्री किस तरह प्रभावित होगी?
जवाब : एआई फिलहाल एक ‘ब्लैक बॉक्स’ जैसा टूल है। यह बुद्धिमान तोते की तरह काम कर सकता है, जो चीजें आसानी से याद कर सकता है, लेकिन हमें पता नहीं कब किसी का पर्सनल डेटा यूज हो जाए। इसलिए यहां सबसे महत्वूर्ण है‘डेटा प्राइवेसी’।
अगर हम किसी एआई मॉडल पर अपनी डिटल्से सीधे डाल देते हैं तो वो डेटा का दुरुपयोग होने की आशंका है। इसलिए एआई में प्राइवेसी गारंटी पर काम करना होगा। लेकिन एआई प्रोडक्टिविटी बढ़ाने मेंमदद कर सकता है। अगले 5-10 साल में हम देखेंगे कि 10 सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स 100 लोगों के बराबर काम कर रहे हैं।
सवाल : एआई से भारत में नौकरियों पर कितना असर पड़ेगा?
जवाब : किसी भी टेक्नोलॉजी में हम श्रेष्ठ बन सकते हैं, क्योंकि हमारी आबादी युवा है। एआई का ही उदाहरण लें तो हम इसे काफी तेजी से सीख रहे है। नई तकनीक से उन देशों में समस्या आएगी, जहां आबादी बुजुर्ग है।
दूसरा पहलू है कि एआई से नई नौकरियां विकसित होंगी लेकिन मौजूदा नौकरियों पर जरूर संकट है। हम उसे रोक नहीं सकते क्योंकि सॉफ्टवेयर कंपनी होने के नाते हम टेक्नोलॉजी को ना नहीं कह सकते हैं। हम नई स्किल्स सीख सकते हैं ताकि नई नौकरियां विकसित कर सकें।
सवाल : वर्क लाइफ बैलेंस की चर्चा में आपका क्या मत है, युवाओं में स्ट्रेस क्यों बढ़ रहा?
जवाब : युवाओं में तनाव की बढ़ी वजह है बढ़ता कॉम्पिटीशन। हर कोई अच्छी सैलरी वाली जॉब चाहता है…इस वजह से कई लोग बड़े शहर में जाकर नौकरी करते हैं, अकेले रहते हैं। ऐसे में उनके पास ज्यादा कुछ करने को होता नहीं है,तो वे 12-14 घंटे ऑफिस में बिताने लगते हैं। फिर अकेलापन बढ़ता है, तनाव होता है। इसलिए जरूरी है कि कम भीड़-भाड़ वाले शहरों में नई नौकरियां लाईं जाएं ताकि युवा भी अपने परिवार से ज्यादा दूर न रहें।