देश की प्रमुख ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग फर्म जेरोधा (Zerodha) की हायरिंग स्ट्रैटेजी बेहद खास है। जेरोधा के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर कैलाश नाद ने बताया कि कंपनी ने पिछले 4 साल के दौरान अपनी टेक टीम में सिर्फ 5 नए एंप्लॉयीज की भर्ती की है। टीम बनाने की जेरोधो की रणनीति के बारे में नाद ने कहा कि कंपनी का जोर तेज विस्तार के बजाय कामकाज का बेहतर माहौल तैयार करने पर है। उन्होंने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा, ‘हमने टेक टीम में पिछले 4 साल में 5 लोगों की भर्ती की है। इनमें से 3 लोगों की भर्ती पिछले साल हुई। टेक टीम में एंप्लॉयीज की कुल संख्या 35 है।’
इससे पहले उन्होंने कहा था कि पिछले 10 साल में जेरोधा की 35 सदस्यों वाली टेक टीम में अब तक सिर्फ 2 एंप्लॉयीज ने छोड़ा है। यह पूछे जाने पर कंपनी ने इस सफलता के लिए क्या रणनीति तैयार की है, नाद का कहना था कि जेरोधा अपने बीच ‘टैलेंट’ शब्द का इस्तेमाल भी नहीं करती है। चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) का कहना था, ‘ यह ऐसे लोगों का समूह है, जो एक-दूसरे के साथ घूमते-फिरते हैं, जिनके पास सही नजरिया है और जो एक-दूसरे के साथ काफी घुले-मिले हैं।’
कंपनी की कार्य संस्कृति में मानवीय गरिमा और रिश्ते बनाने पर फोकस है। उन्होंने कहा, ‘वास्तव में कोई तय फॉर्मूला नहीं है।’ उनका यह भी कहना था कि कंपनियां ताबड़तोड़ भर्ती इसलिए भी करती हैं, क्योंकि यह एक तरह से ग्रोथ मेट्रिक भी हो गया है। नाद ने कहा, ’10-15 साल पहले सॉफ्टवेयर टीम छोटी हुआ करती थी। स्टार्टअप्स में सैकड़ों प्रोग्रामर की भर्ती का प्रचलन नहीं था।’
जेरोधा के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर के मुताबिक, कंपनी अपना मौजूदा ढांचा बरकरार रखते हुए एक छोटी टीम के तौर पर भी आगे बढ़ सकती है। उन्होंने कहा, ‘छोटी टीम द्वारा मजबूत सिस्टम बनाया जाना मुमकिन है और यह सिस्टम बड़े पैमाने पर लोगों के लिए काम कर सकता है। मेरे लिए अगर किसी कंपनी की इंजीनियरिंग टीम भी उसके बिजनेस की रफ्तार से काफी तेज गति से बढ़ती है, तो यह थोड़ा सा अटपटा लगने वाला मामला है।’