young adults do not want to answer phone calls rely more on text says Survey


जब मोबाइल फोन नए-नए आए, तो लोगों का एक-दूसरे से कनेक्‍ट होना आसान हो गया। ढाई रुपये प्रति मिनट कॉलिंग के जमाने में भी लोग अपनों की कुशलक्षेम पूछ लेते थे, पर अब प्राथमिकताएं बदल रही हैं। सस्‍ते फोन कॉल्‍स के जमाने में लोग कॉल से ज्‍यादा टेक्‍स्‍ट यानी मैसेज भेजना पसंद कर रहे हैं। मेट्रोयूके की एक रिपोर्ट के अनुसार, आज के युवा वयस्क (18 से 34 उम्र के) फोन कॉल को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रहे हैं। एक चौथाई अडल्‍ट्स ने यह माना है कि उन्‍होंने कभी फोन कॉल्‍स का जवाब नहीं दिया। 

यह आंकड़े एक लेटेस्‍ट सर्वे का हिस्‍सा हैं। जो बताते हैं कि लोगों की कम्‍युनिकेशन प्रिफरेंस यानी प्राथमिकताएं बदल गई हैं। 70 फीसदी यंग अडल्‍ट्स टेक्स्टिंग को टॉप पोजिशन पर रखते हैं। वॉइस नोट्स भी पॉपुलर हो रहे हैं। 40 फीसदी ने उसे अपनी पसंद बताया। कॉल को आमतौर पर लोगों ने किसी बुरी खबर से जोड़ा। 

सर्वे में यह निकलकर आया कि यंग अडल्‍ट्स के मुकाबले फोन इस्‍तेमाल करने वाले 35 से 54 साल के उम्र के लोगों के बीच कॉलिंग आज भी पहली चॉइस है। उस आयु वर्ग के सिर्फ 1 फीसदी लोग ही कॉल की तुलना में टेक्‍स्‍ट को प्राथमिकता देते हैं। 

यह सर्वे लोगों के कम्‍युनिकेशन स्‍टाइल में हो रहे बदलावों पर बात करता है। एक जमाना था जब फोन कॉल्‍स किसी से भी जुड़ने का प्रमुख जरिया होती थीं, लेकिन अब टेक्स्टिंग और वॉयस नोट्स युवा अडल्‍ट्स की पसंद बन रहे हैं। यह सर्वे ब्रिटेन पर बेस्‍ड है। वहां साल 2012 से 2022 तक 1.3 ट्रिलियन ऑनलाइन मैसेजेस और 36 अरब टेक्स्ट मैसेज एक्‍सचेंज हुए। 

आखिर क्‍यों लोग फोन कॉल्‍स रिसीव नहीं करना चाहते? सर्वे में ज्‍यादातर ने कॉल पर महसूस होने वाले प्रेशर को इससे जोड़ा। आधे से ज्‍यादा लोगों ने माना कि फोन कॉल से नेगेटिव न्‍यूज की आहट होती है। 
 

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