शरीर में ब्लड फ्लो को बनाए रखने के लिए शारीरिक अंगों का उचित प्रकार से कार्य करना बेहद ज़रूरी है। योग की मदद से रक्त का प्रवाह उचित बना रहता है। जानते हैं शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को नियमित बनाए रखने वाले योगासन
शरीर को हेल्दी बनाए रखने के लिए ब्लड सर्कुलेशन का नियमित रूप से होना आवश्यक है। रक्त प्रवाह में बाधा आने पर शारीरिक अंगों में दर्द, ऐंंठन और खिंचाव की समस्या का सामना करना पड़ता है। शरीर में ब्लड फ्लो को बनाए रखने के लिए शारीरिक अंगों का उचित प्रकार से कार्य करना बेहद ज़रूरी है। इसके लिए शरीर की सक्रियता को बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। योग की मदद से शरीर में रक्त का प्रवाह उचित बना रहता है। जानते हैं शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को नियमित बनाए रखने वाले योगासन।
जानते हैं शरीर में रक्त के प्रवाह को दुरूस्त रखने वाले 4 योगासन (Yoga to improve blood circulation)
1. अधोमुख शवासन (Downward facing dog)
इस योग मुद्रा की गिनती सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में की जाती है। इसे नियमित रूप से करने से शरीर की मांसपेशियों में खिंचाव बढ़ने लगता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन उचित बना रहता है। इसे करने से रीढ़ की हड्डी, कंधों और बाजूओं में संतुलन बढ़ने लगता है। साथ ही शारीरिक अंगों में बढ़ने वाली स्टिफनेस दूर हो जाती है।
जानें इसे करने की विधि
इसे करने के लिए मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अब कमर से आगे की ओर झुकें और दोनों पंजों को जमीन पर टिका लें।
अब दोनों एड़ियों को उपर उठाएं और सिर को नीचे की ओर रखें। इसके बाद दाएं घुटने को मोड़ें।
दाएं घुटने को मोड़ते वक्त दाई एड़ी उठाएं। फिर बाएं घुटने को मोड़ते हुए बाई एड़ी को उठाएं।
30 सेकण्ड से 1 मिनट तक इसी मुद्रा में रहने के बाद शरीर को रिलैक्स करना बेहद आवश्यक है।
इसके बाद बालासन में आ जाएं और घुटनों के बल ज़मीन पर कुछ देर आराम करें।
2. पश्चिमोत्तानासन (Seated forward bend)
हैमस्ट्रिंग को मज़बूत कर शारीरिक थकान दूर करने वाले इस योगासन को करने से शरीर में ब्लड फ्लो बढ़ने लगता है। इसे रोज़ाना करने से वेटलॉस में भी मदद मिलती है और शरीर में बढ़ने वाले तनाव और एंग्ज़ाइटी की समस्या से भी मुक्ति मिल जाएगी। मसल्स को रिलैक्स रखने वाले इस योगासन को दिन में 2 से 3 बार अवश्य करें।
जानें इसे करने की विधि
इस योग मुद्रा को करने के लिए मैट पर सीधे बैठ जाएं और दोनों टांगों को सामने की ओर फैला जाएं।
अब दोनों पंजों को अपनी ओर मोड़ें और कंधों को भी सीधा कर लें। इसके अलावा रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
गहरी सांस लें और दोनों बाजूओं को उपर की ओर लेकर जाएं। उसके बाद सांस धीरे धीरे रिलीज़ करें।
सांस छोड़ने के दौरान बाजूओं को नीचे ले जाएं और दोनों हाथों से पैरों की उंगलियों को पकड़ लें।
इसके बाद दोनों बाजूओं को कोहनी से मोड़े और कोहनियों को जमीन पर टिका लें।
30 सेकण्ड से 1 मिनट तक इसी मुद्रा में रहें और फिर शरीर को रिलैक्स रखें और सुखासन में बैठ जाएं।
3. विपरीत करणी (Leg up the wall)
शरीर में बढ़ने वाली स्टिफनेस को दूर करने के लिए विपरीत करणी योगासन का अभ्यास करें। इससे शरीर में रक्त का प्रवाह उचित बना रहता है। इसके अलावा शारीरिक अंगों में होने वाले दर्द से भी बचा जा सकता है। साथ ही मेंटल हेल्थ भी बूस्ट होती है।
जानें इसे करने की विधि
इस योग मुद्रा को करने के लिए मैट पर लेट जाएं और गहरी सांस लेते हुए दोनों टांगों को सीधा कर लें।
दोनों हाथों को कमर पर रखें और अब टांगों को उपर की ओर लेकर जाएं। बाजूओं से कमर को सहारा दें।
चाहें, तो बैलेंस बनाने के लिए दोनों टांगों को दीवार से लगा लें। अब 30 सेकण्ड तक इसी मुद्रा में रहें।
टांगों को नीचे ले आएं और सांस धीरे धीरे छोड़ें। 3 से 4 बार इस योगासन का अभ्यास करें।
4. उत्थिता त्रिकोणासन (Extended triangle pose)
पैरों की मज़बूती को बनाए रखने के लिए योगासनों का अभ्यास ज़रूरी है। उत्थिता त्रिकोणासन का अभ्यास करने से शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा थाइज़, बाजूओं और काफ मसल्स पर जमा अतिरिक्त चर्बी को दूर करने में मदद मिलती है।
जानें इसे करने की विधि
इसे करने के लिए मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अब दोनों हाथों को सीधा कर लें और दाई ओर देखे।
दाई टांग को घुटने से मोड़े और पैर के पंजे को बाहर की ओर निकालकर रखें। वहीं बाएं पैर को पीछे ले जाएं।
कमर को सीधा रखें और दोनों बाजूओं को खोल लें। इससे बाजूओं में बढ़ने वाली स्टिफनेस दूर होने लगती है।
नियमित रूप से इसका अभ्यास करने से शरीर में लचीलापन बढ़ने लगता है।
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