अक्सर घरेलू नुस्खें की मदद से लोग एसिडिटी को शांत करने का प्रयास करते हैं। सप्ताह में 2 से 3 बार इस समस्या का बढ़ना गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग का जोखिम बढ़ा सकता है। ऐसे में योगासनों की मदद से शरीर में इस समस्या को रेगुलेट करने में मदद मिलती है।
त्योहारों के मौके पर अक्सर लोग ज्यादा तीखा, मीठा और नमकीन खाद्य पदार्थों का एक साथ सेवन करते हैं। प्रोसेस्ड फूड का अधिक मात्रा में सेवन करने से सीने में जलन का सामना करना पड़ता है, जो एसिड रिफ़्लक्स कहलाता है। अक्सर घरेलू नुस्खें की मदद से लोग एसिडिटी को शांत करने का प्रयास करते हैं। मगर सप्ताह में 2 से 3 बार इस समस्या का बढ़ना गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग का जोखिम बढ़ा सकता है। ऐसे में योगासनों की मदद से शरीर में इस समस्या को रेगुलेट करने में मदद मिलती है। जानते हैं एसिड रिफ़्लक्स से बचने के लिए इन योगासनों का करें अभ्यास (Yoga poses for acid reflux)।
एसिड रिफ़्लक्स किसे कहते हैं (What is acid reflux)
अमेरिकन अकेडमी ऑफ एलर्जी, अस्थमा और इम्यूनोलॉजी के अनुसार गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग यानि जीईआरडी एक डाइजेस्टिव डिसऑर्डर है। इस समस्या से ग्रस्त होने पर फूड और तरल पदार्थ पेट से फूड पाइप में वापस लौटने लगते हैं। इससे एसिडिटी, चेस्ट पेन और खाना निगलने में तकलीफ बढ़ने लगती है। वे लोग जो सप्ताह में एक से दो बार एसिड रिफ़्लक्स का शिकार होते हैं, उनमें गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग का जोखिम बढ़ जाता है।
इन योगासनों की मदद से एसिड रिफ़्लक्स की समस्या करें हल
1. सुप्तबद्ध कोणासन (Reclining bound angle)
इस योगासन का अभ्यास करने से पेट और शरीर के निचले हिस्से की मांसपेशियों में स्ट्रेच बढ़ने लगता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन नियमित बना रहता है। नियमित रूप से इसका अभ्याय करने से पाचन सबंधी समस्याएं हल हो जाती है, जिससे एसिडिटी का जोखिम कम होने लगता है।
जानें सुप्तबद्ध कोणासन को करने की विधि
- इसे करन के लिए मैट पर लेट जाएं और दोनों टांगों को सीधा कर लें। इस दौरान रीढ़ की हड्डी को एक दम सीधा रखें।
- अब दोनों टांगों को घुटनों से मोड़ लें और फिर दोनों पैरों के पंजों को जोड़कर अंदर की ओर रखें। इस दौरान टांगों की मांसपेशियों में खिंचाव आने लगता है।
- एक हाथ को पेट और दूसरे को चेस्ट पर रखें। उसके बाद आंखें बंद कर लें और फिर गहरी सांस लें व छोड़ें।
- इस दौरान सिर को तकिए पर भी टिका सकते हैं। 30 सेकण्ड से 1 मिनट तक इस मुद्रा में रहने के बाद शरीर को ढ़ीला छोड़ दें।
2. वज्रासन (Thunderbolt pose)
घुटनों के बल बैठकर किए जाने वाले इस योगासन से मंद पाचनक्रिया को रेगुलेट किया जा सकता है। इसे नियमित रूप से करने से पेट में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे एसिडिटी की समस्या हल होने लगती है। इससे पैरों में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने लगता है, जिससे सायटिका का दर्द भी कम होने लगता है।
जानें कैसे करें वज्रासन
- मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं। अपने हिप्स को पैरों के पंजों पर टिकाकर रखें। इससे घुटनों में खिंचाव महसूस होने लगता है।
- अब आंखों को बंद कर लें और सांस पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करें। इस दौरान दोनों हाथों को जोड़कर उपर की ओर लेकर जाएं।
- 30 सेकण्ड तक इसी मुद्रा में रहने के बाद शरीर को ढ़ीला छोड़ दें। रोज़ाना दिन में 2 बार इस मुद्रा का अवश्य प्रयास करें।
3. त्रिकोणासन (Triangle pose)
एसिडिटी के चलते सीने में जलन और हल्का दर्द महसूस होने लगता है। इससे राहत पाने के लिए त्रिकोणासन का अभ्यास करें। इससे पाचनक्रिया उत्तेजित होने लगती है और कब्ज से भी राहत मिलती है। रोज़ाना सुबह इस योग मुद्रा का अभ्यास करने से एसिडिटी से मुक्ति मिल जाती है।
जानें त्रिकोणासन करने की विधि
- इस योगासन के लिए मैट पर खड़े हो जाएं। अब दोनों पैरों के मध्य दूरी को बनाकर रखें। दाएं पैर को सामने और बाएं पैर को बाहर की ओर रखें।
- बाईं ओर से शरीर को नीचे की ओर झुकाएं और हाथ को पंजे के पास जमीन पर टिका लें। इस दौरान दाएं हाथ को उपर उठाएं।
- दाएं हाथ को उपर लेकर जाएं और गर्दन को भी उपर की ओर रखें। इस दौरान गहरी सांस लें और फिर छोड़ें।
- शरीर की क्षमता के अनुसार इस मुद्रा में बने रहें और उसके बाद सीधा खड़े हो जाएं।
4. पवनमुक्तासन (Wind relieving pose)
खानपान की गलत आदजें और सिडेंटरी लाइफस्टाइल एसिडिटी की समस्या को बढा देता है। ऐसे में पवनमुक्तासन की मदद से पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जिससे शरीर में बढ़ने वाली असुविधा से बचा जा सकता है। इसे दिनचर्या में शामिल करने से हार्ट बर्न से राहल मिलती है और मेटाबॉलिज्म बूस्ट होने लगता है। इसके अलावा पीठ दर्द की समस्या भी हल हो जाती है।
जानें पवनमुक्तासन करने की विधि
- इसे करने के लिए मैट पर सीधा लेट जाएं। अब टांगों को एक दम सीधा कर ले। इसके बाद अपर बॉडी को उपर की ओर उठाएं।
- फिर टांगों को आपस में जोड़कर घुटनों से मोड़ लें और दोनों बाजूओं से घुटनों को पकड़ें और उन्हें माथे के करीब लेकर आएं।
- गहरी सांस लें और फिर छोड़ें। इस योगासन से वेटलॉस में भी मदद मिलती है।