यूपी के बरेली शहर के गुलाब नगर मोहल्ले में रहने वाले डॉक्टर श्वेतकेतु शर्मा पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं. मजेदार बात ये है कि उनके परिवार में आज भी अधिकांश बातचीत संस्कृत में ही की जाती है. यह उनकी माता की देन है कि पीढ़ी दर पीढ़ी उनके परिवार के सभी सदस्य संस्कृत में बोलते नजर आ रहे हैं. यही नहीं, अब वह अपने पोते को भी संस्कृत भाषा सीखा रहे हैं. डॉक्टर श्वेतकेतु ने बताया कि उनकी माता जी डॉक्टर सावित्री देवी शर्मा शहर की पहली वेदाचार्य थीं. वह आर्य कन्या विद्यालयों में संस्कृत की लेक्चरर भी रही और उन्होंने अपने जीवन काल में सैकड़ों कार्यक्रमों में संस्कृत में ही व्याख्यान दिए. उन्होंने हिंदी और इंग्लिश की जानकारी होने के बाद भी स्कूल और घर में संस्कृत में ही बातचीत की. इसी वजह से घर में संस्कृत का वातावरण शुरू से रहा है.
वेद और उपनिषद से लिए गए परिवार के सदस्यों के नाम
डॉक्टर श्वेतकेतु के मुताबिक, पूरा परिवार भाई और पिता भी माता से संस्कृत में ही बात करते थे. इस कारण घर में सभी संस्कृत भाषा में इंटरेस्ट लेने लगे और आज गुलाब नगर का यह डॉक्टर परिवार संस्कृत में बातचीत करने वाला परिवार के नाम से जाना जाता है. डॉक्टर श्वेत के घर में सभी के नाम वेदों और उपनिषदों से लिए गए हैं. वे बताते हैं कि उनका नाम श्वेतकेतु उपनिषद से लिया गया है, तो वहीं दोनों भाइयों कविकृतु और शतककृतु का नाम वेद मित्रों से लिया गया है. डॉक्टर श्वेतकेतु के दोनों बेटों की शादी हो चुकी है. दोनों इंजीनियर हैं और शहर से बाहर रहते हैं. ऐसे में जब भी परिवार को एकत्र होने का मौका मिलता है, तो साथ में बैठकर संस्कृत में ही बात करते हैं. वह बताते हैं कि बेटे भी संस्कृत में बोल और समझ लेते हैं, लेकिन उनकी संस्कृत भाषा में इतनी फ्लुएंसी नहीं है क्योंकि वह बचपन से ही बाहर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. घर के माहौल के कारण वे संस्कृत को अच्छी तरह से समझ सकते हैं. जब भी छुट्टी पर बेटे और उनका पोता आता है, तो वह उसे संस्कृत भाषा सीखाते हैं.
ऑनलाइन लगा रहे संस्कृत की पाठशाला
इसके साथ ही डॉक्टर श्वेत बताते हैं कि संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए वह ऑनलाइन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए भी वेदों, संस्कृति, संस्कृत शिक्षा जैसे एहम विषयों पर ऑनलाइन मीटिंग के माध्यम से लोगों को जागरुक कर रहे हैं. संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए वह अपनी इस मुहिम से देश-विदेश में रहने वाले लोगों को जोड़ रहे हैं और संस्कृत इन कार्यक्रमों के जरिए संस्कृत भाषा को सीखा रहे हैं.
स्रोत : न्यूज़ 18