मुंबई36 मिनट पहले
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टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार रात करीब 11:30 बजे निधन हो गया। टाटा ग्रुप में अब तक सबसे ऊंचा पद टाटा परिवार के ही किसी सदस्य को मिलता रहा है।
ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल है कि रतन टाटा के जाने के बाद अब उनकी इस विरासत को कौन संभालेगा। फिलहाल ग्रुप की कमान एन चंद्रशेखरन के पास है, ये टाटा परिवार से नहीं हैं।
अभी नोएल नवल टाटा के बच्चे लिआह, माया और नेविल ग्रुप में
1868 में शुरुआत के बाद ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी एन टाटा ने 1904 तक इसकी कमान संभाली। उनके बाद ग्रुप की जिम्मेदारी सर दोराबजी टाटा (1904-1932), जे आर डी टाटा (1938-1991) और 2012 तक रतन टाटा। अभी रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल नवल टाटा के बच्चे लिआह, माया और नेविल अन्य प्रोफेशनल्स की तरह कंपनी में काम कर रहे हैं।
सबसे बड़ी बेटी लिआह टाटा ने मैड्रिड, स्पेन से IE बिजनेस स्कूल से मार्केटिंग में मास्टर डिग्री हासिल की है। साल 2006 में उन्होंने ताज होटल रिसॉर्ट्स एंड पैलेस में बतौर असिसटेंट सेल्स मैनेजर जॉइन किया था। फिलहाल वो द इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (IHCL) में वाइस प्रेसिडेंट के तौर पर काम कर रही हैं।
छोटी बेटी माया टाटा ने ग्रुप की फ्लैगशिप फाइनेंशियल सर्विस कंपनी टाटा कैपिटल में एनालिस्ट के तौर पर जॉइन किया था। जबकि उनके भाई नेविल टाटा ने ट्रेंट में अपनी प्रोफेशनल जर्नी की शुरुआत की।
1868 में स्थापना: इसके प्रोडक्ट्स सुबह से शाम तक हमारी जिंदगी में शामिल
टाटा ग्रुप की स्थापना जमशेदजी टाटा ने 1868 में की थी। यह भारत की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी है, 10 अलग-अलग बिजनेस में इसकी 30 कंपनियां दुनिया की 100 से ज्यादा देशों में कारोबार करती है। अभी एन चंद्रशेखरन इसके चेयरमैन हैं।
टाटा संस टाटा कंपनियों की प्रींसिपल इन्वेस्टमेंट होल्डिंग और प्रमोटर है। टाटा संस की 66% इक्विटी शेयर कैपिटल उससे चैरिटेबल ट्रस्ट के पास हैं, जो एजुकेशन, हेल्थ, आर्ट एंड कल्चर और लाइवलीहुड जनरेशन के लिए काम करता है।
2023-24 में टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों का टोटल रेवेन्यू 13.86 लाख करोड़ रुपए था। यह 10 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देती है। इसके प्रोडक्ट्स सुबह से शाम तक हमारी जिंदगी में शामिल है। चायपत्ति से लेकर घड़ी, कार और एंटरटेनमेंट सर्विसेज देती है।
रतन टाटा के 5 बिजनेस लेसन
1. रिस्क टेकर
- लक्जरी कार कंपनी जगुआर लैंड रोवर जैसे नए बिजनेस में निवेश करने का जोखिम रतन टाटा ने उठाया। यूरोप की दूसरी बड़ी स्टील कंपनी कोरस का भी अधिग्रहण किया। इस निवेश ने टाटा ग्रुप को सफलता के नए मुकाम पर पहुंचाया।
- टाटा ने साल 2000 में दुनिया के दूसरे सबसे बड़ी चाय मैन्युफैक्चरर टेटली का अधिग्रहण किया गया था। तब यह कंपनी टाटा टी से तीन गुना बड़ी थी। अधिग्रहण के बाद ये दुनिया की सबसे बड़ी चाय कंपनियों में से एक बन गई।
2. डिसीजन मेकर
- 1990 के दशक में रतन ने पैसेंजर कार बनाने के अपने फैसले की घोषणा की तो इसकी काफी आलोचना हुई थी। अगले कुछ सालों में उन्होंने अकेले ही कंपनी का आधुनिकीकरण किया। आज टाटा देश की सफलतम कार कंपनियों में शामिल है।
- 2007 में टाटा ने यूरोप की स्टील कंपनी कोरस के अधिग्रहण का फैसला लिया। उनकी टीम को बोली जमा करने में एक साल लग गया। तब तक कीमत बढ़ चुकी थी, लेकिन वह फिर भी इसके साथ आगे बढ़े। इसका कंपनी को फायदा मिला।
3. आइडिएटर
- एक लाख रुपए में कार लॉन्च करने का आइडिया रतन टाटा का ही था। 2009 में उन्होंने टाटा नैनो लॉन्च की थी। बिक्री के मोर्चे पर फेल होने के बाद 2019 में भले ही इसे बंद कर दिया गया हो, लेकिन टाटा के इस आइडिया की खूब तारीफ हुई थी।
- 1998 में लॉन्च हुई टाटा इंडिका भारत की पहली स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित कार थी। इसे बनाने का आइडिया रतना टाटा का ही था। इसके अलावा टाटा सफारी, भारत की पहली एसयूवी है जिसे टेल्को (अब, टाटा मोटर्स) ने लॉन्च किया था।
4. लीडर
- रतन टाटा एक बड़े टीम लीडर हैं क्योंकि वह लोगों को प्रेरित करते हैं। उनका कंपनी के लिए बिल्कुल साफ विजन है। ये कर्मचारियों को इस विजन के लिए काम करने के लिए प्रेरित करता है।
- कर्मचारियों के बुरे समय में हमेशा उनके साथ रहना उन्हें एक बड़ा लीडर बनाता है। रतन टाटा एक बार पिछले दो साल से अस्वस्थ एक पूर्व कर्मचारी से मिलने के लिए मुंबई से पुणे में फ्रेंड्स सोसाइटी पहुंच गए थे।
5. इनोवेटर
- रतन टाटा के पास जब टाटा ग्रुप की पूरी जिम्मेदारी थी तब उन्होंने इंडिका से लेकर नैनो जैसी कार भारत को दी। रतन टाटा कहते हैं किसी भी स्टार्टअप का फ्यूचर तभी अच्छा हो सकता है जब उसमें नए इनोवेशन किए गए हो।
- नए प्रयोग होने से स्टार्टअप की सफलता की गारंटी बढ़ जाती है। रतन टाटा ने उन स्टार्टअप में निवेश किया जिसमें ज्यादा से ज्यादा इनोवेशन किया गया है। ओला इलेक्ट्रिक, लेंस कार्ट, पेटीएम जैसी कंपनियों में उनका निवेश है।