विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पिछले पंद्रह सालों में भारत में मोटापा तेज़ी से बढ़ा है। इसके पीछे की वजह प्रोसेस्ड और रिफाइंड फ़ूड है। साथ ही, फिजिकल एक्टिविटी में कमी भी इसका कारण है।
पोषण स्वास्थ्य और विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। बेहतर पोषण, बेहतर बाल और मातृ स्वास्थ्य नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के जोखिम को कम करता है। यह सीधे तौर पर लोंगेविटी से भी जुड़ा है। वर्ल्ड हेल्थ ओर्गनइजेशन भारत पर किये गए सर्वेक्षण के निष्कर्ष में स्पष्ट कहता है। एक ओर भारत में करोड़ों बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, तो दूसरी तरफ यहां मोटापा सबसे बड़ी बीमारी के रूप में सामने आया है। अधिक वजन और मोटापा यहां जबरदस्त चुनौती पेश कर रहे हैं। फिजिकल एक्टिविटी में कमी, पोषण संबंधी समस्या के कारण अधिक वजन और मोटापा (obesity increases in India) जैसी समस्या सामने आ रही है।
क्या कहता है डब्ल्यूएचओ का आंकड़ा (World Health Organization data on obesity in India)
विश्व स्तर पर वर्ष 1975 के बाद से अधिक वजन या मोटापा तीन गुना अधिक बढ़ गया है। 2040 तक भारत में ग्रामीण निवासियों और वृद्ध भारतीयों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन पिछले 15 साल में भारतीय महिलाओं (15 से 49 वर्ष) और पुरुषों (15 से 49 वर्ष) के बीच अधिक वजन या मोटापे पर विश्लेषण करता है।
इससे पता चला है कि महिलाओं में यह 12.6% से 24%, तो पुरुषों में में 9.3% से 22.9% तक बढ़ गया है। भारत में 20 वर्ष से अधिक उम्र की 4.4 करोड़ महिलाएं और 2.6 करोड़ पुरुष मोटापे से ग्रस्त पाए गए। महिलाओं में मोटापे की व्यापकता के मामले में भारत 197 देशों में 182 वें स्थान पर है। पुरुषों के लिए यह स्थान 180वां है। ये आंकड़े वर्ष 2022 के हैं।
क्या है नीति आयोग का आंकड़ा (Niti Aayog data on obesity)
नीति आयोग के नवीनतम स्वास्थ्य सूचकांक के अनुसार, केरल भारत का सबसे स्वस्थ राज्य है।भारत में सबसे अधिक मोटापे की दर वाले राज्य पंजाब में, लगभग 14.2 प्रतिशत महिलाएं और 8.3 प्रतिशत पुरुष मोटापे से ग्रस्त पाए गए।
कौन हैं मोटापे से ग्रस्त ( obesity side effects)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वसा का असामान्य या अत्यधिक संचय मोटापा है, जो कई तरह के स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है। 25 से अधिक बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को अधिक वजन माना जाता है और 30 से अधिक बॉडी मास इंडेक्स को मोटापा माना जाता है।यह आंकड़ा तब और महत्वपूर्ण हो जाता है, जब भारत में पहले से ही नॉन कम्युनिकेबल डिजीज का बोझ बहुत अधिक है। हृदय रोग, स्ट्रोक और मधुमेह उनमें सबसे ऊपर हैं। मोटापा एक प्रमुख जोखिम कारक है, जो इन बीमारियों की शुरुआत को ट्रिगर है करता है। यहां तक कि मोटापा किशोरों में भी टाइप 2 डायबिटीज के लिए जिम्मेदार होता है।
क्या हो सकती है वजह (cause of obesity)
न्युट्रिशनिष्ट सीमा सिंह बताती हैं, ‘पारंपरिक खाद्य पदार्थों और फिजिकल एक्टिविटी से दूर होना मोटापे की सबसे बड़ी वजह है। साथ ही आहार विकल्पों में बदलाव भी बड़ा कारण है। दालें, साबुत अनाज, फल और सब्जियों जैसे संपूर्ण खाद्य पदार्थों की बजाय प्रोसेस्ड और रिफाइंड कार्ब्स का सेवन वजन बढ़ा रहा है। हमारा पारंपरिक भोजन एनिमल प्रोडक्ट, नमक, रिफाइन आयल, एडेड शुगर पर आधारित नहीं था। प्रोसेस्ड फ़ूड क्विक एनर्जी तो देते हैं, लेकिन रिफाइन कार्बोहाइड्रेट, हाई फैट, भी शरीर में जमा होता जाता है। इसके कारण बच्चों में भी तेजी से मोटापा बढ़ रहा है।’
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मोटापा अधिक (obesity in women)
सीमा सिंह के अनुसार, इन दिनों महिलाएं वर्क प्रेशर की वजह से शारीरिक गतिविधियों के लिए कम समय निकाल पाती हैं। हेल्दी फ़ूड तक उनकी पहुंच भी कम हो पाती है। दरअसल, पारिवारिक और ऑफिशयल जिम्मेदारियों के कारण वे अपने पोषण को प्राथमिकता नहीं दे पाती हैं। इसके अलावा, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति सहित कई जैविक कारक भी महिलाओं के वजन को विशिष्ट (obesity increases in India) रूप से प्रभावित करते हैं।
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