मूली की काशी हंस किस्म के बीज
किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम (National Seeds Corporation) ऑनलाइन मूली की उन्नत किस्म काशी हंस का बीज मंगवाएं अपने घर पर, इस बीज को आप ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं। कच्ची मूली अधिकतर सलाद के रूप में खाई जाती है जिसकी खेती कंद सब्जी के रूप में की जाती है। मूली का इस्तेमाल लोग सलाद, अचार या सब्जी बनाने के लिए करते हैं। देश में मूली की खेती पूरे साल की जाती है क्योंकि इसकी फसल बहुत कम समय में तैयार हो जाती है। देश में मूली की कई किस्म की खेती की जाती है। यदि प मूली की हाइब्रिड किस्म काशी हंस की खेती करके अधिक उपज तथा अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे इसका बीज ?
मूली की काशी हंस वेरायटी की खासियत:
मूली की यह किस्म काशी हंस सर्दियों के मौसम में उगाई जाती है। इस किस्म की फसल बुवाई के 45 से 60 दिन बाद तैयार हो जाती है। इसके पौधों की जड़ें नुकीली और स्वाद हल्का मीठा होता है। इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उपज 40-45 टन होता है।
कहां से खरीदें और जाने इसकी कीमत:
राष्ट्रीय बीज निगम (National Seeds Corporation) की वेबसाइट https://www.indiaseeds.com/ पर ऑनलाइन जाकर मूली की काशी हंस वेरायटी के बीज ऑर्डर कर सकते हैं। इस बीज को ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं। यहां किसानों को कई अन्य किस्मों के बीज भी आसानी से मिल जाएंगे। किसान इसे ऑनलाइन ऑर्डर करवा सकते हैं। काशी हंस किस्म की खेती करना चाहते हैं, तो इस बीज का 100 ग्राम का पैकेट, 41 प्रतिशत छूट के साथ 60 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगा।
जाने कैसे करें मूली की खेती: मूली की खेती के लिए ठंडी जलवायु अच्छी होती है जो सभी प्रकार की भूमि पर आसानी से की जा सकती है। मूली की खेती से अच्छी पैदावार के लिए रेतीली दोमट मिट्टी का चयन करें। इस प्रकार की भूमि का पीएच मान 6.5 से 7.5 के आसपास होना चाहिए। मूली के खेती के लिए पहले मिट्टी पलटने वाले प्लाउ से खेत की जुताई करें। इसके बाद कल्टीवेटर या देशी हल से 2 से 3 बार खेत की गहरी जुताई करें। इसके बाद खेत में 25 से 30 टन गोबर की खाद प्रति हैक्टेयर की दर डालकर खेत से जुताई करते हुए भूमि को समतल बना लें।
मूली में लगने वाला रोग एवं उपचार: मूली की फसल में अधिकतर व्हाईट रस्ट, सरकोस्पोरा, पीला रोग, कैरोटी, अल्टरनेरिया पर्ण, अंगमारी जैसे रोगों का प्रकोप होता है। इसके रोग से मूली फसल को उपचारित करने के लिए फफूंद नाशक दवा डाईथेन एम 45 व जेड 78 का 0.2 प्रतिशत का घोलकर खड़ी फसलों पर छिड़काव करें साथ ही खेत की जुताई के समय ही खरपतवार नियंत्रण दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है।
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