आयुर्वेद, भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, यह केवल दवाइयों और इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें दिनचर्या और ऋतुचर्या के बारे में भी बताया गया है। आयुर्वेद में कई ऐसे पेड़-पौधे और जड़ी-बूटियों के बारे में बताया गया है, जो कि हमारे आस-पास आसानी से मिल सकती हैं और कई तरह की समस्याओं और बीमारियों को दूर करने में कारगर साबित हो सकती हैं। इनमें शरपुंखा का नाम भी शामिल है, जिसका उपयोग कई तरीकों से आयुर्वेद में बताया गया है और यह आसानी से मिल भी जाता है। जिन लोगों के शरीर में ज्यादा गर्मी होती है, भूख कम लगती है और कमजोरी का एहसास होता है उनके लिए शरपुंखा का सेवन बेहद लाभकारी साबित होता है। खासकर, लिवर से जुड़ी समस्याओं में शरपुंखा एक प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि के रूप में काम करता है। आज ‘आरोग्य विद आयुर्वेद’ सीरीज के इस लेख में हम आपको रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल, सिरसा के आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा से शरपुंखा क्या है? इसे खाने के फायदे क्या हैं? साथ ही, शरपुंखा का सेवन कैसे करना चाहिए, इनके बारे में जानेंगे।
“आरोग्य विद आयुर्वेद” सीरीज का उद्देश्य आपको औषधीय जड़ी-बूटियों और रोजमर्रा की जीवनशैली में लागू किए जा सकने वाले सरल और प्रभावी आयुर्वेदिक उपायों के बारे में जागरूक करना है। इस सीरीज के माध्यम से आप जानेंगे कि कैसे आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां, खानपान, योग और जीवनशैली के बदलाव आपको शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं। चाहे बात हो इम्यूनिटी बढ़ाने की, त्रिदोष संतुलन की या फिर मौसमी बीमारियों से बचने की, आयुर्वेद हमें हर समस्या का हल प्राकृतिक रूप से प्रदान करता है।
शरपुंखा की तासीर
शरपुंखा की तासीर ठंडी होती है, जिसका मतलब है कि यह शरीर को ठंडा रखती है। आयुर्वेद के अनुसार, यह जड़ी-बूटी विशेष रूप से पित्त दोष को नियंत्रित करने में सहायक मानी जाती है। शरपुंखा का सेवन लिवर और पाचन संबंधी समस्याओं में लाभकारी होता है।
शरपुंखा के औषधीय उपयोग
शरपुंखा को आयुर्वेदिक चिकित्सा में कई रोगों के उपचार में उपयोग किया जाता है। यह जड़ी-बूटी मुख्य रूप से लिवर और पाचन तंत्र संबंधित बीमारियों में लाभकारी होती है।
लिवर की समस्याओं में उपयोग: शरपुंखा का उपयोग लिवर के कार्य को सुधारने में मदद करता है। यह जड़ी-बूटी हेपेटाइटिस, फैटी लिवर और लिवर सिरोसिस जैसी बीमारियों में लाभकारी होती है।
पाचन सुधारे: शरपुंखा का उपयोग अपच, गैस्ट्रिक समस्या और कब्ज जैसी पाचन संबंधी समस्याओं में किया जा सकता है।
पित्त दोष कंट्रोल करे: शरपुंखा पित्त दोष को संतुलित करने में उपयोगी होती है। इसका सेवन शारीरिक गर्मी और सूजन को कम करने में सहायक होता है।
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शरपुंखा के फायदे
1. लिवर डिटॉक्स में सहायक
शरपुंखा लिवर को डिटॉक्स करने में मदद करती है और लिवर को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होती है। यह लिवर को हानिकारक तत्वों से बचाती है और उसे रिवाइव करने में मदद करती है।
2. एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण
शरपुंखा में सूजन को कम करने वाले गुण होते हैं, जो लिवर की सूजन जैसी समस्याओं में लाभकारी होते हैं।
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3. एंटीऑक्सीडेंट गुण
शरपुंखा के एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर में फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद करते हैं। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
4. कैंसर निरोधक
आयुर्वेद में शरपुंखा को कैंसर निरोधक जड़ी-बूटियों में भी गिना जाता है। यह शरीर में कैंसर सेल्स की वृद्धि को रोकने में सहायक मानी जाती है।
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5. मूत्रवर्धक
शरपुंखा मूत्रवर्धक के रूप में कार्य करती है, जिससे किडनी की सफाई होती है और मूत्र मार्ग से जुड़ी बीमारियों से बचाव होता है।
शरपुंखा के सेवन के तरीके
शरपुंखा का सेवन विभिन्न रूपों में किया जा सकता है। इसका उपयोग पाउडर, कैप्सूल या काढ़े के रूप में किया जाता है।
- 5-10 ग्राम शरपुंखा के पत्तों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं और इसे दिन में दो बार सेवन करें। यह लिवर और पाचन तंत्र को सुधारने में सहायक होता है।
- 1-2 चम्मच शरपुंखा पाउडर को गुनगुने पानी या शहद के साथ दिन में एक बार लें। यह पाचन को सुधारने और लिवर को डिटॉक्स करने में मदद करता है।
शरपुंखा के साइड इफेक्ट्स
हालांकि शरपुंखा जड़ी-बूटी के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, लेकिन इसका ज्यादा सेवन कुछ साइड इफेक्ट्स भी पैदा कर सकता है।
निष्कर्ष
शरपुंखा एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो लिवर के रोगों में लाभकारी होती है। इसकी ठंडी तासीर पित्त दोष को संतुलित करती है और इसे कई बीमारियों के इलाज में उपयोग किया जाता है। हालांकि, इसका सेवन सही मात्रा में और डॉक्टर की सलाह के अनुसार करना चाहिए, ताकि इसके साइड इफेक्ट्स से बचा जा सके। शरपुंखा के सेवन से जुड़ी सभी जानकारी और उपयोग की सावधानियों का ध्यान रखकर आप इसक लाभ उठा सकते हैं।
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