What is Leptospirosis: बारिश का मौसम खुशियां तो लाता है, लेकिन अपने साथ स्वास्थ्य से बारिश के मौसम में खतरे भी लेकर आता है। बारिश के मौसम में संक्रमण, बुखार, वायरल इन्फेक्शन समेत कई गंभीर समस्याओं से जुड़े खतरों का रिस्क बढ़ जाता है। बारिश के दौरान लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis) संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। यह संक्रमण एक तरह का बैक्टीरियल संक्रमण है, जो जानवरों से लेकर इंसानों तक फैल सकता है। बारिश के दौरान इन्फेक्शन, चूहों से फैलने वाली समस्याएं समेत कई गंभीर कारणों से लेप्टोस्पायरोसिस की समस्या होती है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं, लेप्टोस्पायरोसिस क्या है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए?
लेप्टोस्पायरोसिस क्या है?- What is Leptospirosis in Hindi
बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के सीनियर फिजीशियन डॉ समीर कहते हैं, “लेप्टोस्पायरोसिस, लेप्टोस्पाइरा (Leptospira) नामक जीवाणु के कारण होने वाला एक संक्रमण है। यह जीवाणु जंगली और पालतू दोनों तरह के जानवरों, खासकर चूहों में पाया जाता है। ये जीवाणु संक्रमित जानवरों के मूत्र के माध्यम से मिट्टी या पानी में मिल जाते हैं। जब कोई व्यक्ति दूषित पानी के संपर्क में आता है या संक्रमित जानवर के मूत्र से स्पर्श करता है, तो लेप्टोस्पायरोसिस के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।”
इसे भी पढ़ें: बारिश और मानसून में बढ़ जाता है सांस से जुड़ी बीमारियों का खतरा, जानें बचाव के उपाय
लेप्टोस्पायरोसिस के कारण- What Causes Leptospirosis in Hindi
लेप्टोस्पायरोसिस की समस्या कई कारणों से हो सकती है। इसका मुख्य कारण बारिश, जलभराव समेत, जानवरों से फैलने वाला इन्फेक्शन आदि इसका कारण बनते हैं। लेप्टोस्पायरोसिस के मुख्य कारण इस तरह से हैं-
दूषित पानी का सेवन या उसमें घूमना: बाढ़ के दौरान या बारिश के मौसम में जलभराव वाले क्षेत्रों में खड़े पानी में चलना या उसका सेवन करना लेप्टोस्पायरोसिस का सबसे आम कारण है।
संक्रमित जानवरों के मूत्र का संपर्क: खेतों में काम करने वाले किसान, खदान मजदूर, पशु चिकित्सक और पालतू जानवरों को पालने वाले लोग संक्रमित जानवरों के मूत्र के संपर्क में आने के कारण लेप्टोस्पायरोसिस से ग्रसित हो सकते हैं।
खराब स्वच्छता: गटर के गंदे पानी या अपशिष्ट पदार्थों के संपर्क में आने से भी लेप्टोस्पायरोसिस का खतरा रहता है।
लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण- Leptospirosis Symptoms in Hindi
लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 7 से 14 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। ये लक्षण शुरुआत में हल्के होते हैं और धीरे-धीरे गंभीर हो सकते हैं। लेप्टोस्पायरोसिस के सामान्य लक्षण इस तरह से हैं-
- तेज बुखार
- तेज सिरदर्द
- मांसपेशियों में दर्द, खासकर पीठ और पिंडलियों में
- ठंड लगना
- उल्टी और मिचली
- आंखों का लाल होना
- त्वचा पर चकत्ते या पीलिया
- जोड़ों में दर्द
- किडनी फेलियर
- फेफड़ों में सूजन या निमोनिया
- लिवर फेलियर
लेप्टोस्पायरोसिस से बचाव के टिप्स- Tips To Prevent Leptospirosis in Hindi
लेप्टोस्पायरोसिस एक गंभीर जीवाणु संक्रमण है, इससे बचने के लिए इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए-
बारिश के पानी से बचें
- बारिश के मौसम में खड़े पानी या जलभराव वाले क्षेत्रों में घूमने से बचें
- अगर बहुत जरूरी हो तो जूते और वाटरप्रूफ कपड़े पहनकर ही निकलें
- बाढ़ के पानी के संपर्क में आने से बचें
सफाई और हाइजीन का विशेष ध्यान रखें
- अपने आसपास की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें
- गंदगी जमा न होने दें, इससे चूहों जैसे संक्रमित जानवरों का जमाव कम होगा
- नालियों की नियमित सफाई करवाएं
संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से बचें
- खेतों में काम करते समय दस्ताने पहनें
- पालतू जानवरों को साफ रखें और उनके मल का तुरंत निपटारा करें
- हाइजीन का ध्यान रखें
- हमेशा साबुन से हाथ धोएं, खासकर खेतों में काम करने के बाद या पालतू जानवरों को छूने के बाद
- खुले पैर घूमने से बचें
चोट लगने पर इन चीजों का ध्यान रखें
- त्वचा पर किसी भी प्रकार की चोट को ढक कर रखें ताकि दूषित पानी का संपर्क न हो।
- संदेह होने पर डॉक्टर से सलाह लें
अगर आपको लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें। समय रहते इस बीमारी के लक्षणों को पहचानकर उचित कदम उठाने से आप इसका शिकार होने से बच सकते हैं।
(Image Courtesy: freepik.com)