Hyperemesis Gravidarum In Pregnancy: प्रेग्नेंसी हर महिला के लिए एक नया अनुभव होता है। पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को इस दौरान कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को कई तरह की सावधानियों के बारे में पता नहीं होता है। ऐसे में वह घर के बुजुर्गों से इस बारे में सलाह ले सकती हैं। गर्भावस्था की पहली तिमाही में हर महिला को मॉर्निंग सिकनेस का सामना करना पड़ता है। इसमें महिलाओं को सुबह उठने पर उल्टी और जी-मिचलाने के लक्षण महसूस होते हैं। लेकिन, कुछ महिलाओं में यह लक्षण गंभीर रुप धारण कर सकते हैं। ऐसे में महिलाओं को बार-बार उल्टी आने की इच्छा हो सकती है। इस समस्या को हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम (Hyperemesis Gravidarum) कहते हैं। आगे अशोक नगर स्थित साईं पॉलीक्लीनिक की सीनियर गाइनक्लॉजिस्ट डॉ. विभा बंसल से जानते हैं प्रेग्नेंसी में हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम होने के क्या कारण होते हैं। साथ ही, इसका इलाज कैसे किया जाता है।
प्रेग्नेंसी में ज्यादा उल्टी आने के कारण – Causes Of Hyperemesis Gravidarum In Pregnancy In Hindi
हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम के सटिक कारणों को अभी पता नहीं लगाया जा सकता है। फिलहाल, इस विषय पर रिसर्च कार्य किये जा रहें हैं। हालांकि, इसको हार्मोन के बढ़ते स्तर से जोड़कर देखा जाता है। गर्भावस्था में एचसीजी (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन) हार्मोन तेजी से बढ़ता है। प्रेग्नेंसी के शुरुआती दौर (करीब 10 सप्ताह तक) में एचसीजी का स्तर अधिक स्तर पर रहता है। ऐसे में अधिकतर महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस यानी की उल्टी और जी मिचलाने की समस्या होती है। इसके अलावा, एस्ट्रोजन हार्मोन भी प्रेग्नेंसी के दौरान उल्टी और मतली में भूमिका निभा सकता है।
हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम के लक्षण – Symptoms Of Hyperemesis Gravidarum In Pregnancy In Hindi
हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम के सबसे आम लक्षण शामिल हैं:
- दिन में तीन बार से ज्यादा उल्टी होना
- गर्भावस्था में वजन कम होना
- पाचन क्रिया प्रभावित होना
- डिहाइड्रेशन
- चक्कर आना या सिर घूमना
- पेशाब कम आना
- थकान बनी रहना
- सिरदर्द आदि।
प्रेग्नेंसी में ज्यादा उल्टी (हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम) आने का इलाज कैसे किया जाता है – Treatment Of Hyperemesis Gravidarum In Pregnancy In Hindi
डॉक्टर के अनुसार हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम के इलाज में महिलाओं को दवाओं के साथ ही उसकी लाइफस्टाइल और डाइट में भी बदलाव किए जाते हैं।
- जीवनशैली में बदलाव: इन बदलावों में प्रेशर-पॉइंट रिस्टबैंड (एक्यूप्रेशर बैंड) पहनना व सुबह और शाम को वॉक करने की सलाह दी जाती है।
- डाइट में बदलाव: इस दौरान महिलाओं को हल्का भोजन, जो आसानी से पच सके खाने की सलाह दी जाती है। इस दौरान दलिया, खिचड़ी और सूप लेने का सुझाव दिया जाता है।
- एंटी नोजिया मेडिसिन: इस समस्या में डॉक्टर महिलाओं को शुरुआती दौर में उल्टी और मितली रोकने के लिए कम डोज की दवाएं दे सकते हैं।
- ट्रिगर्स से बचना: जी मिचलाने और उल्टी होने के ट्रिगर को पहचानने और उससे दूर रहने की सलाह दी जा सकती है। कई बार महिलाओं को किसी खास गंध की वजह से मतली या उल्टी हो सकती है।
गंभीर मामलों में महिलाओं को नसों के द्वारा दवाएं और लिक्विड दिया जा सकता है। इससे उनको उल्टी के कारण होने वाली पानी से कमी से बचाव होता है।
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प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों में महिलाओं को जी-मिचलाना और उल्टी होना एक बात है। यदि, किसी महिला को बार-बार उल्टी हो रही है, तो ऐसे में आप लक्षणों को नजरअंदाज न करें। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।