त्योहारों में वजन बढ़ने से कैसे रोकें, tyoharon mein weight bdhne se kaise roke


नवरात्र के आने के साथ त्योहारों का सिलसिला शुरु हो चुका है। आज हेल्थशॉट्स में हम जानेंगे त्योहारों के दौरान बढ़ते वजन को कैसे नियंत्रित करें। हम बढ़ते वजन के दुष्प्रभावों पर भी चर्चा करेंगे, ताकि आप स्वस्थ और खुशहाल त्योहार मना सकें।”

शरीर का वजन यदि बढ़ता है तो उसके कई प्रकार के साइड इफेक्ट दिखने लगते हैं खासकर जब त्योहारों का सीजन हो तब हम अपने वजन पर नियंत्रण नहीं रख पाते। नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है और अब दीपावली, धनतेरस, छठ जैसे त्योहारों का सीजन शुरू हो गया है। ऐसे में खानपान में मिठाइयां और स्वादिष्ट पकवानों की कमी नहीं रहेगी और इस पर अगर आप जरा भी लापरवाही करते हैं तो वजन कब बढ़ जाएगा आपको पता नहीं चलेगा। इस बारे में हमने बात करी डॉ. देबजानी बनर्जी, इंचार्ज- डायटेटिक्स, पीएसआरआई हॉस्पिटल, नई दिल्ली से।

डाॅ. देबजानी कहते हैं कि अगर आप कई दिनों से वजन घटाने पर ध्यान दे रहे हैं तो ऐसे में त्योहारों के आने पर आपको अपने वजन को नियंत्रित रखने में जरा भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए। यदि आप अचानक से लापरवाही करते हैं, तो इसके कई प्रकार के साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं क्योंकि आपका शरीर इसके लिए तैयार नहीं होता। जो शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तौर पर सामने आते हैं।

वजन बढ़ने के साइड इफेक्ट्स:

डाॅ. देब इसके नुक़सान समझाते हैं कि “यदि आप अपने वजन को नियंत्रित नहीं रखते तो आपके लिए शारीरिक तौर पर यह बहुत कष्टकारी होता है। इससे आपको कई प्रकार की समस्याओं के खतरे बने रहते हैं, साँस लेने में परेशानी, नींद की कमी, थकान औऱ कमजोर इम्यून सिस्टम आदि।

Obesity k side effects
ओवरवेट महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन बढ़ जाता है। चित्र शटरस्टॉक।

1.जोड़ों की समस्याएं:

बढ़ा हुआ वजन शरीर के विभिन्न हिस्सों पर दबाव डालता है, खासकर जोड़ों पर, जैसे घुटने और कूल्हे। जब वजन बढ़ता है, तो ये जोड़ों को अधिक भार सहन करना पड़ता है, जिससे उनमें सूजन, दर्द और असुविधा हो सकती है।

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इसके अलावा, बढ़े हुए वजन से रीढ़ पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे पीठ में दर्द हो सकता है। यह स्थिति अगर लंबे समय तक रहती है, तो यह मांसपेशियों और जोड़ों को कमजोर कर सकती है, और स्थिति को और खराब कर सकती है।

2.पेट की समस्याएं:

तेजी से वजन बढ़ने से सूजन, एसिड रिफ्लक्स और पेट में असुविधा हो सकती है। जब वजन बढ़ता है, तो शरीर में फैट सेल्स अधिक सक्रिय हो जाते हैं, जो सूजन को बढ़ा देते हैं। यह ससूजन डाइजेस्टिव सिस्टम में भी हो सकती है, जिससे पेट में दर्द और असुविधा महसूस होती है। यह आहार नली (इसोफेगस) पर असर डालता है, जिससे पेट का एसिड वापस ऊपर आने लगता है। इससे जलन, खट्टी डकारें और अन्य पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

शरीर में अधिक फैट जमा होता है, तो डाइजेशन प्रभावित हो सकता है। इससे पेट में भारीपन, गैस, और अन्य पाचन संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।यह भी देखें: सुबह उठकर खाली पेट पिएं गुनगुना पानी, वेट लॉस के साथ शरीर को मिलेंगे ये 5 लाभ

3.त्वचा की समस्याएं:

तेजी से वजन बढ़ने पर त्वचा पर स्ट्रेच मार्क्स यानी खिंचाव के निशान बन सकते हैं। यह तब होता है जब त्वचा तेजी से फैलती है और उसे वापस ठीक होने में समय नहीं मिलता। इसके अलावा, कुछ लोगों को त्वचा में जलन या खुजली भी महसूस हो सकती है। यह सब तेजी से वजन बढ़ने के कारण होता है।

4.हृदय स्वास्थ्य पर खतरा:

वजन बढ़ने से शरीर में फैट बढ़ता है, जिससे ब्लड वैसेल्स मे ब्लॉकेज होने का खतरा होता है। यह हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ता है। शरीर को ज्यादा ब्लड पंप करना पड़ता है, जिससे ब्लडप्रेशर बढ़ सकता है। ये स्ट्रोक का एक प्रमुख कारण हैं। जब ब्लड फ्लो दिमाग तक नहीं पहुँचता है या क्लाॅटिंग हो जाती है, तो स्ट्रोक हो सकता है।

5. नींद की कमी:

अधिक वजन होने पर शरीर के विभिन्न हिस्सों पर दबाव पड़ता है, जिससे व्यक्ति को सोने में कठिनाई हो सकती है। इसके अलावा, मानसिक तनाव और चिंता भी नींद में खलल डाल सकते हैं। यह एक गंभीर समस्या है, जिसमें सोते समय व्यक्ति की सांस कुछ सेकंड के लिए रुक जाती है। अधिक वजन, विशेष रूप से गर्दन के चारों ओर अतिरिक्त फैट विंड पाइप को पतला कर सकता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है।

6.हार्मोनल इमबैलेंस:

जब वजन तेजी से बढ़ता या घटता है, तो शरीर में हार्मोन जैसे इंसुलिन, कोर्टिसोल, और लेप्टिन के स्तर में बदलाव आता है। ये हार्मोन भूख, ऊर्जा स्तर और शरीर के फैट जमा होने को नियंत्रित करते हैं। हार्मोनल इमबैलेंस से मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है। वजन में बदलाव से मेटाबॉलिज्म भी प्रभावित होता है। जब वजन बढ़ता है, तो शरीर को एनर्जी के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है।

7.डायबीटीज का खतरा:

अचानक वजन बढ़ने से इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ जाता है जिससे टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम होता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो शरीर में शुगर (ग्लूकोज) को एनर्जी बनाने में मदद करता है। जब इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है, तो शरीर के सेल्स इंसुलिन के प्रति संवेदनशील नहीं रहते, जिससे ग्लूकोज का सही तरीके से उपयोग नहीं हो पाता।

इसे करने से प्रभाव दिखने लगता है।. चित्र : एडॉबीस्टॉक

मानसिक और सामाजिक साइड इफेक्ट:

डाॅ. देब आगे जोड़ते हैं कि “शारीरिक साइड इफेक्ट के साथ वजन बढ़ने के मानसिक साइड इफेक्ट भी होते हैं, जिनमें व्यक्ति को आत्मविश्वास की कमी, अवसाद, चिंता, तनाव, मानसिक थकान, निराशा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं यदि सामाजिक तौर पर देखा जाए तो सामाजिक अलगाव, रिश्तों में समस्याएं, काम में समस्याएं, शिक्षा में समस्याएं, सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने में समस्याएं, समाज में आत्मविश्वास की कमी, सामाजिक दबाव, आलोचना, अपमान झेलना पड़ता है। इन साइड इफेक्ट्स को कम करने के लिए वजन कम करना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना आवश्यक है।”

ऐसे में आपको इस त्योहारी सीजन में कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए

काम की व्यस्तता अपने भोजन को छोड़ें नहीं, हर दो से तीन घंटे में छोटे-छोटे, नियमित भोजन लें।

समय निकाल कर रोजाना कम से कम 45 मिनट से एक घंटे तक तेज चलना या व्यायाम करना बहुत महत्वपूर्ण है।

तैयारियों के बीच तनाव को अच्छे से प्रबंधित करें।

शराब, तले हुए और जंक फूड से बचें और कुछ भी खाने से पहले पूरे भोजन को ध्यान से देखें।

दूसरे राउंड में खाने से पहले सोचें, स्नैक्स को ही पूरा भोजन न बनाएं।

हाइड्रेशन बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पियें। ताजा नारियल पानी, नींबू पानी, लस्सी, और छाछ, जो बहुत अच्छे प्रोबायोटिक्स हैं और आपके पेट के लिए फायदेमंद हैं।

सोडा, आइसक्रीम और अधिक चॉकलेटी फूड से हमेशा बचें। संतुलन बहुत जरूरी है, आप इनका आनंद ले सकते हैं, लेकिन यह संतुलित होना चाहिए।

कुछ हेल्दी स्नैक्स जैसे अंकुरित दाने, भुना हुआ चना, या मखाना, और रंगीन फल का सेवन किया जा सकता है।

इन सावधानियों के साथ आप अपने वजन को नियंत्रित रख सकते हैं।

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