जयेष्ठ मास की विनायक चतुर्थी पर भगवान श्रीगणेश को पूजा के बाद मोदक का भोग लगाया जाना चाहिये। उदयातिथि के आधार पर विनायक चतुर्थी का व्रत 10 जून सोमवार को है। पंडितों के अनुसार विनायक चतुर्थी का पर्व बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि के देवता भगवान गणेश को समर्पित है। अगर आप गणपति बप्पा को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उन्हें मोदक का भोग अवश्य लगाएं।
By Jogendra Sen
Publish Date: Mon, 10 Jun 2024 08:10:51 AM (IST)
Updated Date: Mon, 10 Jun 2024 01:00:37 PM (IST)
HighLights
- जयेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है।
- वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहा जाता है।
- जीवन में सुख-शांति के लिए चतुर्थी का व्रत रखा जाता है।
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। वैसे सनातन धर्म के कैलेंडर में प्रतिमाह दो चतुर्थी आती है। यह तिथि प्रथम पूज्य श्री गणेश को समर्पित है। जयेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 10 जून सोमवार को को मनाई जायेगी। जीवन में सुख-शांति के लिए व्रत रखा जाता है। भगवान गणेश की पूजाअर्चना करने के बाद उन्हें मोदक का भोग लगाया जाता है। प्रथम पूज्य को मोदक प्रिय हैं।
आज मनाई जायेगी विनायक चतुर्थी
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, 9 जून रविवार को दोपहर तीन बजकर 44 मिनट पर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि शुरू हो रही है और यह 10 जून सोमवार को शाम चार बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर विनायक चतुर्थी का व्रत 10 जून सोमवार को रखा जाएगा।
गणपति बप्पा के प्रिय भोग
विनायक चतुर्थी का पर्व बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि के देवता भगवान गणेश जी को समर्पित है। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद गणेश जी की पूजा करें और उन्हें प्रिय चीजों का भोग लगाएं। अगर आप गणपति बप्पा को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उन्हें मोदक का भोग अवश्य लगाएं। गणेशजी को लड्डू भी बहुत पसंद है। भगवान गणेश को मोतीचूर, नारियल ,बेसन या मखाने के लड्डू, खीर, फल और मिठाई का भी भोग लगा सकते हैं।
अर्जी वाले गणेश व मोटे गणेश
नगर में तीन प्रमुख प्रचीन गणेश मंदिर हैं। खासगी बाजार स्थित मोटे गणेशजी, एमएलबी रो़ड पर स्थित अर्जी वाले गणेशजी व हरिशंकपुरम गौरी सूत का प्राचीन मंदिर है। इन मंदिरों पर प्रतिदिन के अलावा श्रद्धालु बुधवार को अधिक संख्या में दर्शन करने के लिए जाते हैं। जीवन के संकट हरने के लिए श्रद्धालु भगवान गणेश को दुर्वा व लड्डुओं का भोग समर्पित करते हैं।