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Vat Purnima 2024 Vrat Katha: इस कथा के बिना अधूरा माना जाता है वट पूर्णिमा व्रत, पूजा के समय जरूर पढ़ें

bareillyonline.com by bareillyonline.com
20 June 2024
in न्यूज़
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सावित्री ने अपने पति सत्यवान को मृत्यु के देवता यम से वापस लेने के लिए कठिन तपस्या की थी। तभी से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत करती हैं। इस दिन विधि-विधान से बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। ऐसा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

By Ekta Sharma

Publish Date: Thu, 20 Jun 2024 08:18:52 AM (IST)

Updated Date: Thu, 20 Jun 2024 08:30:15 AM (IST)

Vat Purnima 2024 Vrat Katha: इस कथा के बिना अधूरा माना जाता है वट पूर्णिमा व्रत, पूजा के समय जरूर पढ़ें
21 जून को रखा जाएगा वट पूर्णिमा व्रत। (प्रतीकात्मक फोटो)

HighLights

  1. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन रखा जाता है वट पूर्णिमा व्रत
  2. सावित्री और सत्यवान पर आधारित है व्रत कथा
  3. राजा अश्वपति की पुत्री का सत्यवान से हुआ था विवाह

धर्म डेस्क, इंदौर। Vat Purnima 2024 Vrat Katha: वट पूर्णिमा व्रत हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रखा जाता है। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं और सुखी जीवन की कामना करती हैं। यह व्रत पश्चिमी भारत में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। वहीं, उत्तर भारत में वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस दिन बेल के पेड़ और वट वृक्ष की पूजा की जाती है। वट वृक्ष में त्रिदेवों – ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है। इस दिन इसकी पूजा करने से तीनों देवता प्रसन्न होते हैं।

वट पूर्णिमा व्रत तिथि

पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 21 जून शुक्रवार को सुबह 7.32 बजे शुरू होगी और 22 जून शनिवार को सुबह 6.38 बजे समाप्त होगी। वट पूर्णिमा व्रत 21 जून को ही रखा जाएगा।

वट पूर्णिमा व्रत कथा

वट पूर्णिमा व्रत सावित्री और उनके पति सत्यवान को समर्पित त्योहार माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री राजा अश्वपति की पुत्री थीं और अत्यंत सुंदर और अच्छे स्वभाव वाली थीं। सावित्री का विवाह सत्यवान नामक युवक से कर दिया गया। सत्यवान बहुत धर्मात्मा और भगवान का सच्चा भक्त था। एक दिन नारद जी ने सावित्री से कहा कि सत्यवान की आयु बहुत कम है। ऐसे में सावित्री ने सत्यवान के प्राणों के लिए कठिन तपस्या की। लेकिन जब समय आया, तो यमराज सत्यवान के प्राण लेने आए। तब सावित्री ने अपने पतित्व के बल पर यमराज को रोक लिया। इसके कारण यमराज ने सावित्री से वरदान मांगने को कहा।

सावित्री ने 3 अलग-अलग वरदान मांगे थे, लेकिन अंततः सावित्री ने पुत्र का वरदान मांगा था और यमराज ने बिना सोचे-समझे यह वरदान सावित्री को दे दिया था, लेकिन पति के बिना पुत्र का जन्म संभव नहीं है। इसलिए अपना वचन पूरा करने के लिए यमराज को सावित्री के पति सत्यवान के प्राण लौटाने पड़े। वट सावित्री व्रत और वट पूर्णिमा व्रत के दिन इस कथा को जरूर सुनना चाहिए। इसके साथ ही व्रत पूरा माना जाता है। व्रत के प्रभाव से पति की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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