शनि जयंती पर दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। साथ ही इस दिन करने को भी शुभ माना गया है।
By Bharat Mandhanya
Publish Date: Sat, 01 Jun 2024 11:06:52 AM (IST)
Updated Date: Sat, 01 Jun 2024 11:06:52 AM (IST)
HighLights
- न्याय के देवता माने जाते हैं शनि देव
- शनि चालीसा का करना चाहिए पाठ
- तिल और सरसों तेल चढ़ाना शुभ माना जाता है
Shani Jayanti Upay धर्म डेस्क, इंदौर। सूर्य पुत्र शनि देव को न्याय का देवता माना गया है, वे लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। शनि देव जीवन में आर्थिक तंगी सहित कई कष्टों का भी निवारण करते है। प्रत्येक शनिवार को उन्हें तिल और सरसों तेल चढ़ाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। यही कारण है कि प्रत्येक शनिवार को शनि मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। बता दें कि जून माह की शुरुआत में प्रीति योग बन रहा है। साथ ही आज भद्रा का भी साया है। ऐसे में इस शनिवार को शनि पूजन काफी शुभ माना गया है।
ऐसे करें शनिदेव का पूजन (Shani Dev Poojan)
- शनि मंदिर जाएं और शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाएं साथ ही सरसों का दीपक भी लगाए। साथ ही शनि देव को काले वस्त्र और तिल चढ़ाएं।
साढ़ेसाती होने पर करें ये उपाय (Sadesati Upay)
शनि जयंती (Shani jayanti 2024) इस बार 6 जून को पड़ रही है, ऐसे में साढ़ेसाती से मुक्ति पाने के लिए आपको नीचे दिए गए उपाय जरूर करना चाहिए।
- शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या होने पर बर्तन में तेल भरकर उसमें अपना चेहरा देखें और बर्तन और तेल का का दान करें। इसे छाया दान कहा जाता है।
- शनि जयंती (Shani Jayanti) पर भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करने से साढ़ेसाती के प्रभाव से मुक्ति मिलती है। इस दिन श्रीकृष्ण को मोर पंख और बांसुरी अर्पित करनी चाहिए।
- शनि जयंती पर भगवान हनुमान का पूजन करें और उन्हें चोला चढ़ाकर हनुमान चालीसा (hanuman Chalisa) का पाठ करें।
- शनि जयंती पर दान करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन जूते-चप्पल, बर्तन और नमक का दान करना चाहिए।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’