कहते हैं नर्मदा के कंकण सब शंकर समान है और यह सच भी है। मध्य प्रदेश के जबलपुर में कई ऐसे हैं, जिनकी अपने आप में विशेषता है। ऐसा ही एक शिवालय है, जहां आज भी सावन सेमवार के दिन सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग के अद्भुत दृष्य देखने को मिलते हैं।
By Dheeraj kumar Bajpai
Publish Date: Mon, 12 Aug 2024 07:46:25 AM (IST)
Updated Date: Tue, 13 Aug 2024 12:30:59 PM (IST)
HighLights
- स्थापना 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच कलचुरी काल में हुई थी।
- गुंंबद पर गौर करेंगे तो आपको इस पर श्री यंत्र बना हुआ दिखेगा।
- 30 स्तंभ पर टिके मंदिर के अंदर हर एक चीज का अपना महत्व है।
नईदुनिया, जबलपुर (Sawan Somvar 2024)। संस्कारधानी जबलपुर में नर्मदा रोड पर स्थित बादशाह हलवाई मंदिर की स्थापना 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच कलचुरी काल में हुई थी। दूर से देखने पर ये मंदिर काफी छोटा मालूम होता है, लेकिन यहां चारों युग जिनमें सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग के अद्भुत दृष्य देखने को मिलते हैं। यही नहीं यहां सभी दिशाएं भी देखने को मिलेंगी।
गुंंबद पर गौर करेंगे तो आपको इस पर श्री यंत्र बना
अगर आप इस मंदिर की गुंंबद पर गौर करेंगे तो आपको इस पर श्री यंत्र बना हुआ दिखेगा। यहां नवग्रह और 27 नक्षत्र भी देखने को मिलते हैं। मंदिर के पुजारी के अनुसार यहां करीब 500 प्रतिमाएं स्थापित हैं। इस मंदिर की हर एक दीवार में देवताओं की प्रतिमा देखी जा सकती है।
मंदिर के अंदर हर एक चीज का अपना महत्व है
मंदिर 30 स्तंभ पर टिका हुआ है। मंदिर के अंदर हर एक चीज का अपना महत्व है। इस मंदिर का असल नाम पंचानन महादेव मंदिर है, लेकिन लोग इसे बादशाह हलवाई के नाम से जानते हैं। पुजारी के अनुसार, बादशाह हलवाई नाम के एक शासक हुआ करते थे।
शायद यही कारण है कि बहुत कम लोग ही जानते हैं
पुराने जमाने में ये मंदिर उनके कब्जे में था, इसलिए लोग इसे बादशाह हलवाई के नाम से जानने लगे। खास मान्यता ये है कि इस मंदिर के अंदर सिर्फ वही आ पाता है, जिसे सिर्फ भगवान भोलेनाथ बुलाना चाहते हैं। वरना आप इस मंदिर के सामने से गुजर जाओगे और आपको पता भी नहीं चलेगा। शायद यही कारण है कि इतना प्राचीन होने के बावजूद इस मंदिर के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। मंदिर के भीतर प्रवेश किए बगैर इसकी खूबसूरती का पता नहीं चल पाता है।
पंचमुखी महादेव, रिद्धि-सिद्धि गणेश आस्था का केंद्र
बादशाह हलवाई मंदिर, जहां स्तम्भों में देवी-देवताओं की आकृतियां उकेरी गई हैं। पंचमुखी महादेव के अलावा रिद्धि-सिद्धि गणेश की प्रतिमा भक्तों की आस्था का केंद्र है। सोमवार को यहां सुबह से देर रात तक धार्मिक अनुष्ठान होंगे। शहर के तमाम शिवालयों में सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी।
रंग बिरंगे पुष्प, बिल्वपत्र, दुर्वा, गेंदा, गुलाब से भोलेनाथ का श्रृंगार
गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में श्रावण मास महोत्सव मनाया जा रहा है। सावन के चौथे सोमवार को श्रद्धालु गुप्तेश्वर महादेव को स्वयं बिल्व पत्र अर्पित कर सकेंगे। प्रातः काल से संध्या आरती तक पूजन अर्चन चलेगा। रंग बिरंगे पुष्प, बिल्वपत्र, दुर्वा, गेंदा, गुलाब से भोलेनाथ का श्रृंगार किया जाएगा। भजन संध्या भी होगी।